लखनऊ। समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा है कि बिना किसी काम के नाम कमाने की कला में भाजपा ने महारत हासिल कर ली है। पिछले पांच महीनो में भाजपा सरकार ने एक भी अपनी योजना का परिचय तक नही कराया, बल्कि समाजवादी सरकार ने जो योजनाएं लागू की थी उन्हे ही अपनी उपलब्धि बता रही है। इस संबंध मे ताजा उदाहरण मेट्रो रेल का दोबारा उद्घाटन कर जनता की आंख में धूल झोंकने का एक और करतब होगा। सच तो यह है कि केंद्र की भाजपा सरकार बराबर मेट्रो परियोजना में अडंगे डालती रही थी। एनओसी देने में भी खूब देरी की गई क्योंकि उप्र में समाजवादी सरकार थी। लखनऊ की जनता को यह बात भूली नहीं है कि अभी गत 1 दिसम्बर 2016 को ही समाजवादी सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने स्वयं मेट्रो रेल का ट्रायल रन कराया था। उन्होने दो ड्राइवर लड़कियों को लाल रंग की मेट्रो रेल की चाबी देकर इस ट्रायल को हरी झंडी भी दिखाई थी।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राजधानी में मेट्रो रेल का उपहार देकर नागरिकों को आवागमन की एक बड़ी सुविधा प्रदान की है। उन्होने ही स्मार्ट कार्ड और वाईफाई सुविधा की व्यवस्था की है। इसके स्टेशनों के नाम हिंदी अंग्रेजी उर्दू में लिखाने की व्यवस्था की है। अखिलेश यादव ने लखनऊ के अतिरिक्त आगरा, कानपुर, मेरठ, नोएडा तथा वाराणसी में मेट्रो रेल परियोजना की रिपोर्ट तैयार कराने का काम भी शुरू कर दिया था जिसे भाजपा सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया। अखिलेश यादव ने लखनऊ को जो सुविधा दी अब भाजपा राज में दूसरे जनपद उससे वंचित ही रहेगें। क्योंकि भाजपा में न तो जनहित में साहसिक निर्णय लेने की क्षमता है और न ही वह दूरदृष्टि है जो असंभव को संभव बनाना जानती है। यह अखिलेश का ही विजन है जो उन्होंने मेट्रो जैसी बड़ी योजना लागू की थी। मेट्रो के माध्यम से उन्होने गंगा-यमुना संस्कृति को बढ़ावा दिया। इसमें लखनऊ की पहचान चिकनकारी को भी स्थान दिया गया है। मेट्रो का यह भी संदेश है कि इसमें सभी वर्गो और समुदायों का स्वागत है।
अखिलेश यादव ने इस योजना के शिलान्यास के समय ही दो वर्ष के अन्दर सन् 2016 तक इसके लोकार्पण का भी इरादा कर लिया था जिसे उन्होने पूरा कर दिखाया था। वास्तव में भाजपा ने अखिलेश जी को मिलने वाले श्रेय पर डाका डालने का काम किया है लेकिन लखनऊ की जनता अखिलेश जी की मेट्रो रेल के लिये हमेशा आभारी रहेगी।
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