लखनऊ। समाजवादी पार्टी में सालभर पुराने टकराव को खत्म करने और पिता-पुत्र के बीच आपसी सुलह की गुंजाइशों को फिर झटका लगा है। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने बेटे अखिलेश यादव के खास और विश्वस्त रामगोपाल यादव को आज (21 सितंबर को) लोहिया ट्रस्ट के सचिव पद से हटा दिया है। उनकी जगह अपने विश्वस्त शिवपाल यादव को सचिव बनाया है। बता दें कि लोहिया ट्रस्ट एक गैर राजनीतिक संस्था है जिसके अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव हैं। इसका दफ्तर भी लखनऊ में समाजवादी पार्टी के मुख्यालय से करीब 200 मीटर की दूरी पर है। पिछले महीने आठ अगस्त को ट्रस्ट की बैठक में 77 वर्षीय मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश के करीबी चार लोगों को हटाकर उनकी जगह शिवपाल कैम्प के चार लोगों को तैनात किया था। करीब डेढ़ महीने बाद बुजुर्ग समाजवादी नेता ने गुरुवार को रामगोपाल पर गाज गिराई है। बता दें कि लोहिया ट्रस्ट की बैठक में अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव नहीं आए थे।
मुलायम सिंह यादव के इस कदम से इस बात को बल मिला है कि 3 अक्टूबर को आगरा में प्रस्तावित समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन से पहले ही सपा संरक्षक नई पार्टी का एलान कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक इस सम्मेलन में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तीन साल के लिए होना है। बता दें कि इस साल के शुरुआत में अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव से पार्टी की कमान छीन ली थी और चाचा शिवपाल यादव को प्रदेश अध्यक्ष से हटा दिया था। इस लड़ाई में रामगोपाल यादव अखिलेश यादव के साथ थे। उधर, एक अलग घटनाक्रम में बसपा के बागी नेता इन्द्रजीत सरोज अपने समर्थकों के साथ अखिलेश यादव की मौजूदगी में समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। इस मौके पर सरोज ने मोदी सरकार और बसपा प्रमुख मायावती पर हमला बोला और कहा कि बसपा में उसी तरह अघोषित इमरजेंसी है, जैसी इमरजेंसी मोदी सरकार में है। साभार जनसत्ता
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