बनारस। शुक्रवार रात से करीब 200 छात्र-छात्राएं प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और विश्वविद्यालय कुलपति से मामले में अपना पक्ष रखने को कहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी दौरे से एक दिन पहले बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) परिसर में गुरुवार (21 सितंबर) को एक छात्रा से छेड़छाड़ के बाद यहां छात्राओं में जबरदस्त आक्रोश है। आरोप है कि गुरुवार शाम छह बजे तीन युवाओं ने छात्रा से छेड़छाड़ और उत्पीड़न किया। पीड़िता की पहचान फाइन आर्ट्स प्रथम वर्ष की छात्रा के रूप में की गई है। घटना के बाद छात्र-छात्राओं ने प्रशासन के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर कर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। खबर है कि बीती शुक्रवार रात से करीब 200 छात्र-छात्राएं प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और विश्वविद्यालय के कुलपति से मामले में अपना पक्ष रखने को कहा है। द क्विंट की खबर के अनुसार घटना मामले में विश्वविद्यालय की एक छात्रा ने बताया कि गुरुवार शाम करीब छह बजे बाइक सवार तीन युवाओं ने उनकी दोस्त को छेड़ा और कुर्ते के अंदर हाथ डालने की कोशिश की। जब आरोपियो के खिलाफ शिकायत की तो उलटे पीड़िता से ही सवाल पूछा गया और उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए गए। जबकि छात्रा ने बताया था कि उसके साथ क्या हुआ है।
खबर के अनुसार पीड़िता ने छात्रावास जाकर अन्य छात्राओं को घटना की जानकारी दी। जिसपर सभी छात्राओं ने बड़े पैमाने पर कुलपति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का फैसला लिया। छात्राओं का कहना है कि वो इस बात से बहुत खुश है कि इस मुहिम में विश्वविद्यालय के छात्र भी उनके साथ हैं। खबर के अनुसार प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि कुलपति आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें और छात्राओं की सुरक्षा पुख्ता करें। वहीं छात्राओं ने मामले में लिखित शिकायत भी की है। चीफ प्रोटेक्टर को लिखे पत्र में कहा गया है, ‘छात्राओं को आए दिन अनेक सुरक्षा संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। छात्रावास आने-जाने का मार्ग भी सुरक्षित नहीं है। आए दिन छेड़खानी होती रहती हैं। यहां तक अंतर्राष्ट्रीय छात्राओं को भी ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लड़के छात्रावास के बाहर आकर आपत्तिजनक हरकतें करते हैं। वो हस्तमैथुन करते हैं। पत्थर फेंकते हैं। छात्राओं के खिलाफ आपत्तिनजक शब्द बोलते हुए निकलते हैं।’ ये लेटर वायरल हो रहा है, जिसमें ऐसा कहा गया है। हालांकि, प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं हो पाई है। दूसरी तरफ बीएचयू की अन्य छात्रा का आरोप है कि यहां छात्राओं को सुरक्षा बहुत कम दी जाती है। यहां उत्पीड़न बहुत ही आम बात है। आमतौर पर छात्राओं को रोज ऐसी परिशानियों से गुजरना पड़ता है। इस वजह से बहुत सी छात्राएं पढ़ाई पूरी करने से पहली ही जा चुकी हैं। ये बात एक छात्रा ने कही है।साभार जनसत्ता
'मोदी जी बीएचयू आकर सेल्फी विद डॉटर लीजिए'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के वाराणसी दौरे पर हैं. लेकिन वाराणसी शुक्रवार से मोदी की वजह से नहीं, बल्कि बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) की वजह से चर्चा में है. बीएचयू कैंपस में गुरुवार को एक छात्रा से कथित छेड़छाड़ के बाद छात्राएं यूनिवर्सिटी गेट पर प्रदर्शन कर रही हैं. आकांक्षा ने कहा, ''छेड़छाड़ की शिकायत करने पर यूनिवर्सिटी प्रशासन हमसे उलटा सवाल करने लगता है. आए दिन पूछा जाता है कि रात या बेवक्त बाहर क्यों निकलती हो.' बीएचयू में छात्राओं के प्रदर्शन की सोशल मीडिया पर भी चर्चा है. बीएचयू की पूर्व छात्राएं भी इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर लिख रही हैं. प्रदीपिका सारस्वत ने साल 2012 में बीएचयू से पढ़ाई की थी. प्रदीपिका ने फ़ेसबुक पर लिखा, ''2012 में मुझे भी नवीन हॉस्टल मिला था. पहली वॉर्डन मीटिंग हुई तो कहा गया कि हॉस्टल की इज़्ज़त आप सब लड़कियों की इज़्ज़त है. हॉस्टल से एक किलोमीटर की दूरी तक आप किसी लड़के के साथ नज़र नहीं आनी चाहिए. उन्हीं दिनों परिसर में 24x7 साइबर लाइब्रेरी की शुरुआत हुई. लड़के वहां जा सकते थे लेकिन लड़कियां नहीं, क्योंकि हम सात बजे के बाद बाहर नहीं निकल सकती थीं. हमने प्रशासन से शिकायत की. सिग्नेचर कैंपेन किया पर कुछ नहीं हुआ. ख़ुशी है कि आकांक्षा और बाक़ी लड़कियां आवाज़ उठा रही हैं. बदलाव आज नहीं तो कल, आएगा ज़रूर.'' बीएचयू की पूर्व छात्रा यशी कविता दास लिखती हैं, ''दो साल पहले त्रिवेणी के सामने दिनदहाड़े एक लड़की को चार थप्पड़ मारकर निकल गए दो-तीन लड़के. हमने वीसी हाउस के बाहर प्रदर्शन किया था. पता है उस लड़की को थप्पड़ क्यों मारा गया था? क्योंकि वो लड़के दूसरे लड़के को मारने आए थे, जिससे वो लड़की बात कर रही थी. इसलिए उसे भी जड़ दिया.'' यशी अपनी एक दोस्त का किस्सा बताते हुए लिखती हैं, ''एक दोस्त नवीन हॉस्टल दौड़ते हांफते और रोती हुई पहुंची. क्योंकि तीन लड़के चिल्लाने लगे इसको पकड़ो और दुपट्टा खींचने लगे. रात भर महिला सेल का नंबर लगाया. किसी ने फोन नहीं उठाया." आकांक्षा एन सहाय ने फेसबुक पर लिखा, ''इसमें कोई दो मत नहीं है कि गलती प्रशासन की ही है. ऊपर से मदद करने की बजाय प्रशासन गलती लड़कियों की ही बताता है. 2015 में हुए विरोध प्रदर्शन को भी दबा दिया गया. प्रशासन ने बस ये किया कि पांच दिन चुनिंदा गर्ल्स होस्टल के बाहर प्रॉक्टर की पेट्रोलिंग करवाई और उसके बाद सब हवा.'' स्वाति सिंह लिखती हैं, ''बीएचयू में छात्राओं से छेड़खानी की ये पहली घटना नहीं है. कई बार छात्र-छात्राएं खुद इन मुद्दों के खिलाफ प्रदर्शन कर चुके हैं. पर हर बार प्रशासन कभी उन्हें नंबर कम देने की धमकी देकर पीछे कर लेता तो कभी उनके घरवालों से प्रेशर दिलवाकर. लेकिन इस बार स्टूडेंट्स पूरी तरह अड़ चुके है.'' मनीषा शर्मा लिखती हैं, ''एंटी रोमियो दल को बीएचयू भेजो न. एंटी रोमियो दल की बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में ज़रूरत है.'' फ़ेसबुक पर कनपुरिया नाम के एक अकाउंट से लिखा गया, ''प्रधानमंत्री जी 'सेल्फी विद डॉटर' के तहत एक सेल्फी आंदोलनरत लड़कियों के साथ भी ले लेते. बीएचयू में लड़कियों की सुरक्षा का ख़तरा हमेशा के लिये ख़त्म हो जाता.'' मोहम्मद जावेद लिखते हैं, ''मदरसों की वीडियो रिकॉर्डिंग कराने वाली राष्ट्रवादी सरकार और जेएनयू में कंडोम गिनने वाले स्वघोषित राष्ट्रवादियों को बीएचयू में सरेआम होती भगवा गुंडई नज़र नहीं आ रही.'' मनमोहन पांडे ने फ़ेसबुक पर लिखा, ''ओह. योगी के राज, मोदी के क्योटो और बीएचयू जैसे शिक्षामंदिर में ये घटना. वो भी तब मोदीजी बनारस दौरे पर हैं. अच्छे दिन.'' विष्णु ने फेसबुक पर लिखा, ''बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में छात्राओं के साथ होने वाली रूटीन छेड़खानी की मुख़ालफ़त में सरेआम दुपट्टा खींचने और कट्टा लहराने वाले छात्र भी शामिल हैं. है ना अजब-ग़ज़ब देश. का कीजिएगा...''. साभार बीबीसी
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