कन्याकुमारी। नोबल पुरस्कार विजेता, कैलाश सत्यार्थी ने आज यहां के विवेकानंद रॉक मेमोरियल से अपनी भारत यात्रा की शुरुआत की। इस यात्रा का उद्देश्य बच्चों की तस्करी और उनके लैंगिक शोषण को समाप्त करना है। उन्होंने देश की युवा पाढ़ी से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस मार्च में शामिल होने की अपील की, जो इस देश का भविष्य हैं। कन्याकुमारी से शुरु हुई यह यात्रा 16 अक्टूबर को नई दिल्ली में समाप्त होगी। अपने सफर के दौरान यह 22 राज्यों से गुजरते हुए 11000 किलोमीटर का मार्ग तय करेगी। तमिलनाडु में यह यात्रा कन्याकुमारी, सेलम, मदुरई, वेल्लोर एवं चेन्नई से होकर गुजरेगी। कैलाश सत्यार्थी दुनिया भर के बच्चों की सुरक्षा एवं आज़ादी के लिए पिछले 36 वर्षों से अभियान चला रहे हैं। उन्हें बाल अधिकारों के लिए निरंतर प्रयास एवं सघर्ष करने हेतु नोबल पुरस्कार (2014) दिया गया था। कैलाश सत्यार्थी ने कहा, “बच्चों के साथ बलात्कार और उनका लैंगिक शोषण एक नैतिक महामारी बन चुकी है, जिसके मामले लगातार हमारे देश में सामने आ रहे हैं। अब हम मूक दर्शक बने नहीं रह सकते। हमारी चुप्पी से अधिक हिंसा पैदा हो रही है। इसलिए, यह भारत यात्रा बलात्कार, शोषण और तस्करी के खिलाफ एक खुली जंग की शुरुआत होगी। हम यहां इस बात की घोषणा करते हैं कि पीड़ितों और उनके परिवारों को डर के साये में जीने नहीं देंगे, जबकि बलात्कारी बिना किसी से डरे खुलेआम घूम रहे हों। मुझे यह स्वीकार नहीं है कि हर घंटे आठ बच्चे लापता हो रहे हैं और दो के साथ बलात्कार हो रहा है। हर बार, जब एक भी बच्चा खतरे में होता है, तो भारत खतरे में होता है। भारत यात्रा का उद्देश्य भारत को हमारे बच्चों के लिए एक बार फिर से सुरक्षित राष्ट्र बनाना है। इसमें जरा भी चूक ना होने दें: यह एक निर्णायक लड़ाई होगी, एक ऐसी लड़ाई जो भारतीय अंतरात्मा की नैतिकता को दोबारा से हासिल करेगी।”
उन्होंने यात्रा के उद्घाटन स्थल पर जमा हुए हज़ारों लोगों से पूछा, “बच्चों के खिलाफ हर प्रकार के शोषण की समाप्ति के लिए मेरी लड़ाई आज शुरु होती है। क्या आप मेरे साथ हैं?” इस जोशीले नोबल विजेता ने चेतावनी देते हुए कहा, “मैं उन दरिंदों से कहना चाहूंगाः तुम मेरे बच्चों का बलात्कार कर रहे हो। मैं तुम्हें रोकूंगा, चाहे कुछ भी हो जाए। मैं तुम्हें हमारे बच्चों की मासूमियत, मुस्कुराहट और आज़ादी को निर्वस्त्र कर उनका बलात्कार और हत्या करने नहीं दूंगा। मैं इन बच्चों के माता-पिता को अपनी बची जिंदगी दर्द के साथ, बेसहारा, दिलों में जख्म लिये और शर्मिंदा होकर जीने नहीं दूंगा। बच्चे भारत का भविष्य हैं और इस देश में बच्चों के बलात्कारियों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिये।” सत्यार्थी ने भावुक होकर कहा, “कन्याकुमारी के लिए मेरे दिल में विशेष स्थान है। मेरी पिछली भारत यात्रा 2001 की शिक्षा यात्रा थी। यह भी कन्याकुमारी से शुरु होकर नई दिल्ली पहुंची थी।” कन्याकुमारी के विवेकानंद मेमोरियल से इस यात्रा की शुरुआत, शिकागो में स्वामी विवेकानंद द्वारा 1893 में दिये गए यादगार भाषण की वर्षगांठ के अवसर पर की जा रही है। सुरक्षित बचपन-सुरक्षित भारत विषय पर आधारित यह यात्रा 21वीं सदी का ऐसा आंदोलन है, जो बच्चों के साथ होने वाली सभी प्रकार की हिंसा से जुड़ी बुराईयों से लड़ेगी। यात्रा में श्री पोन राधाकृष्णन (कन्याकुमारी से सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री वित्त एवं जहाजरानी मंत्रालय, भारत सरकार) एवं इलियाराजा (भारतीय फिल्मकार) सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। इस यात्रा को रॉक मेमोरियल से रवाना किया गया। देश के बच्चों के लिए श्री सत्यार्थी के इस मार्च में सरकारी अधिकारी, स्कूली बच्चे एवं शिक्षक, बाल हिंसा से पूर्व में पीड़ित रहे बच्चे और मीडियाकर्मी भी शामिल हुए।
इसके पश्चात नोबल पुरस्कार विजेता ने फुटबॉल ग्राउंड की ओर मार्च किया और वहां मौजूद बच्चों, कॉलेज छात्रों, स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों, और नागरिकों के समूह को संबोधित किया। उन्होंने लोगों की अंतरात्मा से अपील करते हुए उन्हें बाल लैंगिक शोषण और तस्करी के बढ़ते मामलों को रोकने का उपाय ढूंढने का आग्रह किया। श्री सत्यार्थी और उनके फाउंडेशन द्वारा भारत यात्रा शुरु किये जाने पर सरकारी अधिकारियों, मंत्रियों, धर्म गुरुओं, कॉर्पोरेट हस्तियों, नागरिक समुदाय, मीडियाकर्मियों ने सर्वसम्मति से अपना समर्थन जाहिर किया है। श्री पोन राधाकृष्णन, केंद्रीय राज्यमंत्री वित्त एवं जहाजरानी मंत्रालय, ने कहा, “आज का दिन हम सभी लिए बेहद खास है। रवींद्रनाथ टैगोर, सी. व्ही. रामन सहित अन्य भारतीय भी अतीत में नोबल पुरस्कार जीत चुके हैं, और श्री कैलाश सत्यार्थी भी उसी श्रेणी में आते हैं, जो तमिलनाडु और कन्याकुमारी के लिए एक बेहद विशेष व्यक्ति हैं। श्री सत्यार्थी द्वारा बच्चों के लैंगिक शोषण और तस्करी रोकने के लिए कन्याकुमारी और तमिलनाडु से भारत यात्रा की शुरुआत करने पर हम उन्हें धन्यवाद देते हैं।” कुछ सबसे बड़े नागरिक आंदोलनों के निर्माता के रूप में, श्री सत्यार्थी देश में बच्चों के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा को समाप्त करने के अपने लक्ष्य हेतु काम करेंगे। उन्होंने बच्चों की सुरक्षा और खुशहाली सहित बच्चों के साथ होने वाली हिंसा के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने तथा कानूनों का बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए संसद में एक बिल लाने की मांग की है। यह यात्रा बच्चों के बलात्कारर और बाल यौन शोषण के खिलाफ एक तीन वर्षीय अभियान की शुरुआत है। जिसका उद्देश्य इसके प्रति जागरूकता और इन मामलों की रिपोर्टिंग को बढ़ाना है। इसके साथ ही चिकित्सा और क्षतिपूर्ति के प्रति संस्थािगत प्रतिक्रिया को और मजबूत बनाना भी इसका प्रमुख लक्ष्यथ है। वहीं अदालती सुनवाई के दौरान पीड़ितों और गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और बाल यौन शोषण के मामलों में दोषियों को निश्चित समय के अंदर सजा दिलाना भी इस अभियान के प्रमुख लक्ष्योंल में शामिल है।
इस यात्रा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे दिल से समर्थन दिया है और यात्रा की शुरुआत के अवसर पर उनका संदेश भी पढ़कर सुनाया गया। सभी नागरिक, सुरक्षित बचपन - सुरक्षित भारत की शपथ www.bharatyatra.online पर जाकर ले सकते हैं। फाउंडेशन का मिशन बच्चों के अनुकूल ऐसी नीतियों का सृजन, कार्यान्वयन और वकालत करना है, जो बच्चों के समग्र विकास और सशक्तिकरण को सुनिश्चित करें। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, फाउंडेशन सरकार, व्यापार, नागरिक समाज के साथ ही बच्चों और युवाओं को इन प्रयासों और कार्यों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करता है। जिससे शिक्षा और स्वास्थ्य की कमी जैसी बुराइयों से बच्चे सुरक्षित रह सकें। अधिक जानकारी के लिए, www.satyarthi.org.in पर जाएं।
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