पटना। बिहार में नई कैबिनेट ने शपथ ले ली है। मंत्रिमंडल के चेहरों का ऐलान पहले ही कर दिया गया था जिसने शनिवार की शाम को शपथ ली। नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार में 26 मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल किया गया है। राजभवन में राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने सभी मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलायी। मंत्रियों की सूची में से एक नाम बीजेपी के मंगल पांडेय का भी था जो कि शनिवार को शपथ नहीं ले सके। वो शिमला से वक्त पर पटना नहीं आ सके इस कारण वो मंत्री पद की शपथ नहीं ले सके। कैबिनेट में सहयोगी के रूप में एनडीए के विधायकों और विधान पार्षदों को भी शामिल किया गया। कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या पर नजर डालें तो जेडीयू से 14 और एनडीए से भी 12 लोगों ने मंत्री पद की शपथ ली। जेडीयू और एनडीए कोटे के मंत्रियों में सबसे पहले शपथ जेडीयू के विजेंद्र प्रसाद यादव ने लिया। उसके बाद भाजपा के प्रेम कुमार ने शपथ ली। मंत्री के तौर पर ललन सिंह, जय कुमार सिंह, प्रमोद कुमार, नंद किशोर यादव ने शपथ लिया। जेडीयू से 14 और एनडीए से 12 लोग मंत्री बने। समारोह में एनडीए के घटक दलों के वरीय नेता मौजूद रहे।
जेडीयू से श्रवण कुमार, विजेन्द्र यादव, जय कुमार सिंह, संतोष कुमार निराला, महेश्वर हजारी, मदन सहनी, शैलेश कुमार, कपिलदेव कामत, रमेश ऋषिदेव, कृष्ण कुमार ऋषि ,राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, दिनेश चंद्र यादव, कृष्णनंदन वर्मा, खुर्शीद आलम, मंजू वर्मा ने शपथ ली। एनडीए कोटे से एक मंत्री लोजपा के बने जबकि अन्य मंत्री बीजेपी कोटे से ही रहे। बीजेपी से नंद किशोर यादव, प्रेम कुमार, मंगल पांडेय, राम नारायण मंडल, विजय कुमार सिन्हा, ब्रज किशोर बिंद, राणा रणधीर सिंह, कृष्ण कुमार ऋषि, प्रमोद कुमार, विनोद नारायण झा, सुरेश शर्मा, विनोद सिंह मंत्री बने।
मंत्रियों के नाम व विभाग
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार - गृह, सामान्य प्रशासन और निगरानी, उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी - वित्त, वाणिज्य कर, वन और आईटी विभाग, विजेंद्र यादव - ऊर्जा, उत्पाद और मद्य निषेध विभाग, प्रेम कुमार - कृषि विभाग, ललन सिंह - जल संसाधन, योजना विकास, नंद किशोर यादव - पथ निर्माण विभाग, श्रवण कुमार - ग्रामीण विकास, संसदीय कार्य, रामनारायण मंडल - राजस्व, भूमि सुधार, जय कुमार सिंह - उद्योग, विज्ञान प्रावैधिकी, प्रमोद कुमार - पर्यटन विभाग, कृष्णनंदन वर्मा - शिक्षा विभाग, महेश्वर हजारी - भवन निर्माण विभाग, विनोद नारायण झा - पीएचईडी महकमा, शैलेश कुमार - ग्रामीण कार्य विभाग, सुरेश शर्मा - नगर विकास एवं आवास, मंजू वर्मा - समाज कल्याण विभाग, विजय सिन्हा - श्रम संसाधन विभाग, संतोष निराला -परिवहन विभाग, राणा रणधीर - सहकारिता विभाग, खुर्शीद उर्फ फिरोज - अल्पसंख्यक कल्याण, गन्ना उद्योग, विनोद सिंह - खान एवं भूतत्व, मदन सहनी - खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण, कृष्ण कुमार ऋषि - कला संस्कृति विभाग, कपिल देव कामत - पंचायती राज विभाग, दिनेश यादव - लघु सिंचाई, आपदा प्रबंधन, रमेश ऋषिदेव - अनुसूचित जनजाति, कल्याण विभाग।
नीतीश सरकार के चुनौतियों का दौर शुरू
नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ मिलकर जब शनिवार को अपनी टीम में 26 मंत्रियों को शामिल किया तो उनकी प्राथमिकताओं में अगला चुनाव भी शामिल रहा। साथ ही पार्टी के अंदर महागठबंधन तोड़ने के बाद सबकुछ सामान्य करना भी उनके लिए अहम था। हालांकि, बीजेपी-जेडीयू, दोनों दलों की ओर से ज्यादातर वही मंत्री बने, जो बिहार में एनडीए-1 में भी मंत्री थे। जेडीयू के विजेंद्र प्रसाद यादव को सीनियर मंत्री बनाया गया है। दरअसल, वह उन चंद नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने महागठबंधन तोड़ने में जल्दबाजी नहीं करने का अनुरोध किया था। लेकिन अपनी बात पार्टी फोरम के अंदर ही रखने और नाराजगी सार्वजनिक नहीं करने का उन्हें इनाम मिला। विजेंद्र एनडीए 1 में भी मंत्री रह चुके हैं। नीतीश सरकार में दो यादव और एक मुस्लिम नेता को भी जगह दी गई है। हालांकि, नए मंत्रियों के शपथ के बाद कुछ नाराजगी भी सामने आई है। शरद यादव अभी तक नाराज चल रहे हैं और उन्हें मनाने की कोशिश जारी है। एनडीए की सहयोगी और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) को बिहार कैबिनेट में कोई जगह नहीं दी गई है। सूत्रों के मुताबिक, नीतीश उनके दल के सुधांशू शेखर को मंत्री बनाने के पक्ष में नहीं थे। दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार की सियासी दुश्मनी किसी से छिपी नहीं है। हालांकि, बीजेपी आरएलएसपी के नेता को मंत्रिमंडल में जगह देने के खिलाफ नहीं थी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जेडीयू और बीजेपी के मिलने के बाद उपेंद्र कुशवाहा अगला कदम क्या उठाते हैं। हालांकि, पहले ही उनकी पार्टी में दो-फाड़ हो चुका है और एक धड़े के नेता अरुण कुमार के नीतीश से अच्छे संबंध भी हैं।
शपथ ग्रहण से ठीक पहले हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी भी नाराज हो गए और नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी की ओर से न्योता मिलने के बाद भी शपथग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए। सूत्रों के अनुसार, वह अपने बेटे की जगह सरकार में चाहते थे। उन्होंने इस बारे में शुक्रवार को अपनी मंशा जाहिर की थी। चूंकि मांझी के बेटे किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं, इस कारण उनके दावे को खारिज कर दिया गया। वहीं, जब शनिवार को कैबिनेट में रामविलास पासवान के भाई और एलजेपी नेता पशुपति कुमार पारस के मंत्री बनाने की खबर आई तो मांझी नाराज हो गए। दरअसल, पारस भी किसी भी सदन के हिस्सा नहीं है। इसके बाद मांझी की नाराजगी सार्वजनिक हुई। उन्होंने कहा कि क्या पारस को सरकार में जगह दिया जाना परिवारवाद नहीं है। सूत्रों के अनुसार, दलित नेता मांझी इस बात से नाराज हैं कि उनसे ज्यादा रामविलास पासवान को तरजीह दी गई है। अब मांझी का अगला कदम क्या होगा, इस बारे में देखना दिलचस्प होगा। आरजेडी सूत्रों के अनुसार, वह लालू प्रसाद यादव के भी संपर्क में हैं। ऐसे में नीतीश के बीजेपी के साथ आने के बाद एनडीए के दो पुराने सहयोगी आने वाले दिनों में क्या रुख अपनाते हैं, इसपर भी सभी की नजर रहेगी। इस बीच जेडीयू के सीनियर नेता शरद यादव की नाराजगी अब तक कम नहीं हुई है। सूत्रों के अनुसार, उन्हें मनाने की कोशिश जारी है, लेकिन वह अब तक नहीं माने हैं। दरअसल, वह महागठबंधन तोड़कर नीतीश के बीजेपी से मिलने के खिलाफ थे। उनकी नाराजगी की खबरों में उस समय नया मोड़ आया, जब पटना में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने दावा किया कि उनकी शरद यादव से बात हुई है और वह नीतीश कुमार से नाराज हैं। लालू ने एक इंटरव्यू में कहा, 'शरद यादव ने मुझे फोन किया था। वह हमारे संपर्क में हैं और उन्होंने कहा है कि वह हमारे साथ हैं।' शरद यादव अभी भी मीडिया से बात नहीं कर रहे हैं। उन्हें मनाने की कोशिश वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी की थी। शरद यादव ने दो-तीन दिनों में अपना रुख साफ करने की बात कही थी।'
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