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सहारनपुर में हिंसा के दौरान तनाव बढ़ने पर नपे बड़े अधिकारी, हटाए गए डीआईजी, डीएम और एसएसपी

सहारनपुर (नीरज दूबे रिंकू)। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में भड़की जातीय हिंसा की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। सहारनपुर में हुई हिंसा में अब तक 25 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया गया है। स्थिति को समान्य करने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गयी है। यह जानकारी पुलिस महानिरीक्षक विजय सिंह मीणा ने दी। पुलिस महानिरीक्षक (लोक शिकायत) विजय सिंह मीणा ने कहा कि सहारनपुर हिंसा मामले में अब तक 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। बुधवार (24 मई) को इस मामले में योगी आदित्यडनाथ सरकार ने कार्रवाई करते हुए एसएसपी सुभाष चंद्र दुबे का ट्रांसफर कर दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, डीएम एनपी सिंह को भी हटा दिया गया है। आलाकमान ने सहारनपुर के डिविजनल कमिश्नर और डीआईजी पर भी गाज गिराई है। केएस इमैनुएल को नया डीआईजी नियुक्त किया गया है। मीणा ने बताया कि बीते दिन की सहारनपुर हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हुई है। उन्होंने बताया कि जिले में स्थिति नियंत्रण में है, 10 कम्पनियां तैनात की गई हैं। स्थिति की समीक्षा के लिए चार वरिष्ठ अधिकारी भी भेजे गए हैं। स्थिति सामान्य होने तक अधिकारी वहीं रहकर उठाए जा रहे कदमों पर नजर रखेंगे। मुख्यमंत्री ने चार वरिष्ठ अधिकारियों के दल को सहारनपुर भेजा है। इस टीम में गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्रा, एडीजी कानून एवं व्यवस्था आदित्य मिश्रा, आईजी एसटीएफ अमिताभ यश और डीजी सुरक्षा विजय भूषण शामिल हैं। सहारनपुर में मंगलवार को बसपा सुप्रीमो मायावती की सभा थी। इसमें शामिल होकर लौट रहे लोगों का आरोप था कि उन पर ठाकुरों ने रॉड, लाठियों और चाकुओं से हमला किया। एसपी प्रबल प्रताप सिंह ने बताया था कि घटना में एक की मौत हो गई, जबकि 13 लोग घायल थे। पिछले एक हफ्ते से जिले के विभिन्न गांवों और कस्बों में राजपूत और दलित समुदाय खुलेआम और चोरी-छुपे एक-दूसरे के खिलाफ जहर उगल रहे हैं। दोनों समुदाय लामबंद हैं और मनमानी पर उतारू हैं। डीआइजी जितेंद्र कुमार साही का तबादला किए जाने के बावजूद उन्हें फिर से यहीं पर रोक दिया गया। पिछली सरकार में तैनात कमिश्नर एमपी अग्रवाल भी अभी तक यहीं बने हुए हैं। कमिश्नर और डीआइजी दोनों मुख्यमंत्री के जनपद गोरखपुर के निवासी हैं। करीब 600 दलितों और 900 ठाकुरों की आबादी वाले गांव शब्बीरपुर से हिंसक चक्र की शुरुआत हुई थी। इन संघर्षों के दलित पीड़ितों का कहना है कि ऊंची जाति के ठाकुरों ने उन्हें गांव के रविदास मंदिर परिसर में बाबासाहिब अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित नहीं करने दी थी। बाद में पांच मई को राजपूत राजा महाराणा प्रताप की जयंती के उपलक्ष्य में ठाकुरों के एक जुलूस पर एक दलित समूह ने आपत्ति जतायी तो इससे हिंसा फूट पड़ी। इसमें एक व्यक्ति को अपनी जान गंवानी पड़ी और 15 लोग घायल हो गये। उतरप्रदेश के सहारनपुर जिले में मंगलवार को हुई हिंसक घटनाओं के बाद बुधवार फिर सुबह थाना बडगांव के अन्तर्गत ग्राम मिर्जापुर में ईंट भट्टे पर सो रहे दो लोगों पर हमला कर दिया जिससे दोनों गम्भीर रूप से घायल हो गये। पुलिस सूत्रों ने बताया कि तडके भट्टे पर सो रहे एक ही जाति के नितिन और यशपाल को बडगांव के पास गोली मारकर घायल कर दिया गया जबकि दूसरे से मारपीट की गई। पुलिस ने बताया कि इस घटना को सहारनपुर की हिंसक की घटनाओं से जोडकर देखा जा रहा है जबकि इस घटना का पूर्व की घटना से कोई वास्ता नहीं है। एक अन्य घटना के बारे में पुलिस ने बताया कि आज दोपहर एक बजे युवक प्रदीप अपनी बाइक से जनता रोड़ से गुजर रहा था तभी पुवारका ब्लाक के निकट बाइक पर सवार होकर आये अज्ञात बदमाशों ने उस पर तमंचे से फायर किये और फरार हो गये। उन्होंने बताया कि प्रदीप को चिकित्सालय मे भर्ती कराया गया लेकिन उसकी गम्भीर हालत को देखते हुए उसे हायर सेन्टर रैफर कर दिया गया। घटना के विरोध में चिकित्सालय पर हंगामा भी किया। पुलिस हमलावरों की तलाश कर रही है। (साभार जनसत्ता)
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