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यूपी विधानसभा चुनाव के पहले चरण में मामूली झड़पों के बीच 73 सीटों पर 64 फीसदी हुआ मतदान

मेरठ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के पहले चरण में पश्चिमांचल के 15 जिलों की कुल 73 सीटों पर शनिवार को छुटपुट घटनाओं के बीच औसतन करीब 64 प्रतिशत वोट पड़े। राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी टी. वेंकटेश ने मतदान सम्पन्न होने के बाद देर शाम आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि पहले चरण में औसतन करीब 64 प्रतिशत औसत मतदान हुआ। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 61.04 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस दौरान बुलंदशहर में लगभग 64 प्रतिशत, एटा में 73, फिरोजाबाद में 63, नोएडा में 60, गाजियाबाद में 57, हापुड़ में 70, हाथरस में 62, कासगंज में 61, मथुरा में 68, मेरठ में 65, मुजफ्फरनगर में 65, शामली में 63, आगरा में 64, अलीगढ़ में 65 तथा बागपत में करीब 67 प्रतिशत मतदान हुआ। उन्होंने बताया कि पहले चरण में मतदाताओं ने काफी जोश-ओ-खरोश से मतदान किया। आयोग के निर्देशों के अनुसार जो भी मतदाता शाम पांच बजे तक मतदान केन्द्र में उपस्थित हुआ, उसे वोट डालने दिया गया। पहले चरण में शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, हापुड़, बुलन्दशहर, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, आगरा, फिरोजाबाद, एटा और कासगंज जिलों की 73 सीटों पर मतदान हुआ। मतदान केंद्रों पर सुबह से ही मतदाताओं की लम्बी-लम्बी कतारें देखी गयीं। पहले चरण में विभिन्न पार्टियों के कई छत्रपों की प्रतिष्ठा दांव पर थी। नोएडा सीट पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र पंकज सिंह, कैराना सीट से भाजपा सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका, मथुरा सीट से भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा तथा कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता प्रदीप माथुर, सरधना सीट से भाजपा के विवादास्पद विधायक संगीत सोम तथा थाना भवन सीट से सुरेश राणा समेत कुल 839 उम्मीदवारों का चुनावी भाग्य इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों में बंद हो गया। मतदान के दौरान कुछ जगहों से झड़पें होने की खबरें मिली हैं। बागपत से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार शहर की बाघू कालोनी में दो समुदायों के बीच एक समुदाय को मतदान से रोकने की कोशिश किये जाने तथा मतदान पर्चियां छीने जाने पर आपस में पथराव तथा मारपीट हुई। इस घटना में 10 लोग घायल हो गये। मौके पर पहुंची पुलिस ने सभी घायलों को अस्पताल पहुंचाया। बागपत के ही जिले के बड़ौत स्थित लोयन गांव में बूथ संख्या 35 पर राष्ट्रीय लोकदल के कार्यकर्ताओं ने दलित मतदाताओं को रोका और उनकी मतदान पर्ची फाड़ दी। इस मामले में तीन रालोद कार्यकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। मेरठ से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार सरधना सीट से भाजपा विधायक संगीत सोम के भाई गगन सोम को फरीदपुर गांव स्थित मतदान केंद्र के पास पिस्टल ले जाने पर हिरासत में लिया गया। मेरठ में ही मंत्री शाहिद मंजूर के काफिले पर बसपा समर्थकों द्वारा पथराव किये जाने की खबर है। इसके अलावा कुछ अन्य मतदान केंद्र पर भी हंगामे की खबरें हैं। शामली में कुछ दबंगों द्वारा मतदाताओं को वोट डालने से रोके जाने की सूचना मिली है। पहले चरण के चुनाव में एक करोड़ 17 लाख महिलाओं समेत कुल दो करोड़ 60 लाख 17 हजार 81 मतदाता कुल 839 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला कर सकेंगे। मतदान के लिये 14 हजार 514 केंद्र तथा 26 हजार 823 मतदान स्थल बनाये गये। इस चरण में 5140 मतदान केंद्रों को संवेदनशील माना गया। स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान के लिये 826 कम्पनी केंद्रीय बल तथा पुलिस के 8011 उपनिरीक्षक, 4823 मुख्य आरक्षी तथा 60 हजार 289 आरक्षियों की तैनाती की गई। इसके अलावा 2268 सेक्टर मजिस्ट्रेट, 285 जोनल मजिस्ट्रेट तथा 429 स्टैटिक मजिस्ट्रेट भी तैनात किये गये। पहले चरण में मतदाताओं की संख्या के लिहाज से गाजियाबाद का साहिबाबाद सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र है, वहीं एटा का जलेसर सबसे छोटा क्षेत्र है। आगरा दक्षिण सीट से सबसे ज्यादा 26 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं हस्तिनापुर से सबसे कम छह प्रत्याशी मैदान में हैं।  
पहले चरण में कौन किसके साथ 
एनबीटी के वरिष्ठ पत्रकार शादाब रिजवी के मुताबिक देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के 15 जिलों में 73 सीटों के लिए हुई वोटिंग में मुस्लिमों ने खूब साइकल दौड़ाई हालांकि बसपा को को भी मायूस नहीं किया। दलित भी सीधे तौर पर बसपा की झोली में जाते दिखे। जाटों की पहली पसंद रालोद रही, लेकिन कुछ जगह भाजपा पर भी खूब नरमी दिखाई। बड़ा बदलाव यह रहा कि सपा से छिटक गए अति पिछड़ों का रुझान ज्यादातर भाजपा की तरफ दिखा। विधानसभा चुनाव में पहले फेज की 73 सीटों में आधी मुस्लिमों के रुझान वाली हैं। 15 में से 7 जिलों में मुस्लिमों की आबादी 20 फीसदी तक है। मुस्लिम वोटरों ने शनिवार को कांग्रेस के हाथ से थामी गई सपा की साइकल को खूब दौड़ाया। ऐसे में वेस्ट यूपी में गठबंधन का नारा ‘यूपी को ये साथ पसंद है’ कारगर होता दिख सकता है। मुस्लिमों में मेरठ, बागपत, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस में वोटिंग के वक्त कई रंग दिखे। साइकल की सावरी करने वाले मुस्लिमों ने बसपा को भी निराश नहीं किया। दलित-मुस्लिम गठबंधन जहां-जहां होता दिखा, वहां उन्होंने बसपा को पहली पसंद रखा। जिन सीटों पर रालोद के मुस्लिम प्रत्याशी रहे, वहां उन्होंने उनके हक में नल पर वोट डालने से भी गुरेज नहीं किया। दलितों ने प्रत्याशी नहीं, मायावती और बसपा के नाम पर वोट दिया। पूरी तरह और जज्बे के साथ उन्होंने हाथी पर सवारी की। भाजपा ने मेरठ, बुलंदशहर और मुजफ्फरनगर में कई सीटों पर ध्रुवीकरण की कोशिश की लेकिन दलितों ने उनका साथ नहीं दिया। भाजपा का डॉक्टर आम्बेडकर प्रेम भी उन पर बेअसर साबित हुआ। पोलिंग बूथ पर दलित का साफ कहना था कि वे बहनजी को सीएम बनाने के लिए वोटिंग कर रहे हैं। वेस्ट यूपी में रालोद और अजित सिंह के लिए ही जाट मतदाता का दिल धड़का। जहां-जहां रालोद के जाट प्रत्याशी थे, वहां तो खुलकर वोटिंग की लेकिन जहां पार्टी के दूसरी जाति के कैंडिडेट थे, वहां जाट निर्णायक स्थिति में रहे। उन्होंने भी रालोद के पक्ष में वोटिंग की। जहां पार्टी कैंडिडेट कमजोर साबित हुआ वहां नाराजगी के बावजूद जाट मतदाता ने भाजपा को ही पसंद किया। मुस्लिमों के साथ मिलकर 2012 में साइकल पर सवारी करने वाले अति पिछड़े इस बार सपा से बिदके दिखे। वेस्ट यूपी में अति पिछड़े-प्रजापति,धीवर, सैनी आदि चुनाव को प्रभावित करते हैं। इस बार वोटिंग से एक सप्ताह पहले तक कई सीटों पर अति पिछड़े SP के साथ दिख रहे थे, लेकिन मतदान के दिन उनका ज्यादा रुझान भाजपा की तरफ दिखा। वैश्य, ठाकुर भाजपा के कमल पर, ब्राह्मणों में कांग्रेस-सपा गठबंधन और भाजपा-बसपा की तरफ वोटिंग करने की बात कहते सुने गए। इसके अलावा यादव सपा, त्यागी सपा और भाजपा, गुर्जर सपा और भाजपा के पाले में खड़ा नजर आया। (साभार)
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