मेरठ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेरठ में अपनी पहली रैली की। 1857 में मेरठ से आजादी की लड़ाई शुरू होने का हवाला देते हुए उन्होंने लोगों से इस चुनाव में "स्कैम" से आजादी पाने का आह्वान किया। उन्होंने अपने ही अंदाज में "स्कैम" की व्याख्या करते हुए कहा- "एस से समाजवादी पार्टी, सी से कांग्रेस, ए से अखिलेश यादव और एम से मायावती।" क्रांतिधरा के शताब्दीनगर के मैदान में तय समय से पहले पहुंचे मोदी 57 मिनट तक गरजे। बोले, इस भूमि से अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका गया था। आज गरीबी से मुक्ति, भ्रष्ट ताकतों के खिलाफ, माफिया व अवैध कब्जेदारों के खिलाफ बिगुल फूंका जा रहा है। इसमें प्रदेश की जनता की आहुति जरूरी है। उन्होंने कहा कि दो महीने पहले जिन्हें सपा में खनन माफिया और गुंडा कहा जा रहा था, आज उन्हें ही टिकट देकर चुनाव लड़ाया जा रहा है। सपा के परिवारवाद पर भी तंज कसा और कहा कि जनता त्रस्त है और यहां की सत्ताधारी पार्टी चाचा-भतीजा, मामा-साला और भतीजे की बहू, न जाने कहां-कहां किस-किस में फंसी हुई है। सपा सरकार की लचर कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार पर प्रहार करते हुए जनता से सत्ता परिवर्तन की अपील की।
मोदी ने पार्टी के घोषणापत्र के दो अहम बिंदुओं को गिनाया और कहा कि प्रदेश में सरकार बनते ही किसानों की कर्ज माफी और 14 दिन में गन्ना भुगतान सुनिश्चित कराया जाएगा। खेतों में पानी, हर हाथ को हुनर मिले और माताओं-बहनों की इज्जत की सुरक्षा हो सके, इसके लिए प्रदेश में परिवर्तन जरूरी है। कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विकास का द्वार मेरठ है। यहां की औद्योगिकनगरी प्रदेश की आन-बान-शान बढ़ा रही है। लेकिन यहां भी शाम को आम नागरिक जिंदा लौटे, इसकी कोई गारंटी नहीं है। कहा कि इसी उत्तर प्रदेश ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाया है। इसलिए वह कर्ज चुकाना चाहते हैं, जो तभी संभव है जब विकास के लिए केंद्र के साथ सहयोग करने वाली प्रदेश में भी सरकार हो। प्रधानमंत्री ने सपा-कांगे्रस गठबंधन पर तंज कसा। बोले, 27 साल यूपी बेहाल का नारा देकर देवरिया से दिल्ली तक खाट बिछाने वाले गुंडागर्दी पर उप्र सरकार को कोस रहे थे, लेकिन रातोंरात ऐसा क्या हो गया कि एक दूसरे के गले लग गए? ये लोग गले लगाकर बचाओ-बचाओ चिल्ला रहे हैं। सवाल उठता है कि जो खुद को न बचा सके, प्रदेश को क्या बचाएगा। मोदी ने नोटबंदी से नाराज व्यापारी वर्ग को भी साधने की कोशिश की। बोले-मेरी लड़ाई कालेधन से है। मुझे मोहल्ले की कुश्ती नहीं करनी है। ऊपर से सफाई करनी है। ताकतवरों के खिलाफ लड़ना है। सरकारी मुलाजिमों को आगाह किया कि वे छोटे व्यापारियों को तंग न करें। अगर तंग किया गया और यह बात उनके कान में आई तो वह बचाव में उतर जाएंगे।
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