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बीजेपी पर सहयोगी शिवसेना का कटाक्ष, भाजपा कहती है-‘‘राम मंदिर वहीं बनाएंगे लेकिन तारीख नहीं बताएंगे’

नई दिल्ली। केंद्र में भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने सोमवार (6 फरवरी) को नोटबंदी, सर्जिकल स्ट्राइक, महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन, राम मंदिर और अनुच्छेद 370 जैसे तमाम मुद्दों पर भाजपा नीत सरकार को लोकसभा में जमकर खरी-खरी सुनायी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर परोक्ष रूप से तानाशाहीपूर्ण तरीके से काम करने का आरोप लगाया। सत्ता में भागीदार शिवसेना के वरिष्ठ सदस्य आनंद राव अड़सूल ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के मुद्दे पर भाजपा को कठघरे में खड़ा किया और कहा, ‘भाजपा में हिम्मत नहीं है। आपके (भाजपा सांसदों के) मन में तो यह बात है और इसी विचारधारा पर दोनों दल साथ आए थे। यह कथनी और करनी में अंतर दिखाता है।’ उन्होंने कहा कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे सही कहते हैं कि भाजपा यही बात करती है कि ‘राम मंदिर वहीं बनाएंगे लेकिन तारीख नहीं बताएंगे।’ राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए अड़सूल ने कहा कि यदि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इसे लुभावने नारे के तौर पर देखा जाता तो इसमें गलत क्या था ? लालकृष्ण आडवाणी ने रथयात्रा इसी आधार पर निकाली थी, अटल जी की सरकार इसी आधार पर बनी थी। उन्होंने समान नागरिक संहिता के संदर्भ में कहा कि आज हमें शादी ब्याह के अवसर पर घर में लाउडस्पीकर बजाने के लिए पुलिस से अनुमति लेनी पड़ती है लेकिन कुछ लोग सुबह, दोपहर, शाम बिना अनुमति के लाउडस्पीकर बजाते हैं और उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद ये सब चालू है। अड़सूल ने कहा कि अटल जी ने अनुच्छेद 370 को रद्द करने की बात कही थी। उस पर कोई पहल क्यों नहीं होती। उन्होंने कहा कि भाजपा से इस वैचारिक समानता के चलते गठबंधन हुआ था, ‘हिंदुस्तान हिंदुओं का है तो हिंदुओं को यहां सम्मान क्यों नहीं मिलना चाहिए।’ शिवसेना सांसद ने सरकार और प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, ‘कई बार समझ में नहीं आता कि ये लोकतंत्र है या तानाशाही। सर्जिकल स्ट्राइक के लिए सरकार और सैनिकों को धन्यवाद। लेकिन उसके बाद भी आतंकवाद जारी है। फिर से क्यों नहीं आमने सामने की लड़ाई की गयी?’ अड़सूल ने कहा, ‘सर्जिकल स्ट्राइक में मारे जाने वाले सैनिक का सम्मान किया जाता है लेकिन उस सैनिक के परिवार का कितना सम्मान होता है ?।’ अड़सूल ने करारा प्रहार करते हुए कहा, ‘सर्जिकल स्ट्राइक के बाद अगले दिन सर्वदलीय बैठक बुलाकर सभी को इसकी सूचना दी गयी लेकिन नोटबंदी के फैसले के ऐलान के बाद ऐसी कोई बैठक क्यों नहीं बुलायी गयी।’ उन्होंने नोटबंदी के कारण गांव-देहात में लोगों की परेशानी का मुद्दा उठाया और साथ ही सवाल किया कि इस नोटबंदी को ग्रामीण इलाकों में 94 फीसदी सफल बताने वाले आंकड़े कहां से आते हैं ? महाराष्ट्र, गुजरात और केरल में हालात और ज्यादा खराब हैं जहां अधिकतर व्यवस्था सहकारी बैंकिंग व्यवस्था है। शिवसेना सदस्य ने कहा कि नोटबंदी के फैसले को हमारी पार्टी ने भी समर्थन दिया था लेकिन बाद में पता चला कि इसके लिए तो पहले से कोई योजना ही नहीं बनायी गयी थी। यहां तक कि वित्त मंत्री को भी विश्वास में नहीं लिया गया। उन्होंने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि गोधरा कांड के बाद जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को हटाने की मांग जोर पकड़ रही थी तो शिवसेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से कहा था कि मोदी को नहीं हटाना है। अगर उस समय उन्हें हटा दिया गया होता तो कौन जानता है कि वह प्रधानमंत्री बनते या नहीं बनते। अड़सूल ने महाराष्ट्र में नगर निगम चुनावों से पहले शिवसेना और भाजपा के बीच चल रही रस्साकशी की पृष्ठभूमि में कहा कि सत्ता अकेले भाजपा के हाथों में नहीं आयी है। अगर ऐसा ही था तो लोकसभा चुनाव के बाद दिल्ली विधानसभा में भाजपा की हालत खराब क्यों हो गयी और यही हाल बिहार में भी हुआ। उन्होंने हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सराहना करते हुए यह भी कहा कि उनका जन्म किसी महान परिवर्तन के लिए हुआ है और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की तस्वीर को बदलने के लिए काम किया है लेकिन कभी कभी बाकी लोगों में अहंकार आ जाता है। महाराष्ट्र के संबंध में उन्होंने कहा कि भाजपा पहले कहती थी कि शिवसेना हमारा बड़ा भाई है लेकिन बड़े भाई के चार बच्चे और छोटे भाई के दस बच्चे होने से छोटा भाई बड़ा नहीं बन जाता है। लेकिन अब वे कहते हैं कि परिवार बड़ा होने से वे बड़े हो गए हैं। उनका इशारा विधानसभा में भाजपा की सीटें शिवसेना से अधिक होने की तरफ था। उन्होंने भाजपा को नसीहत देते हुए कहा कि चुनाव तो आता जाता रहता है लेकिन जिस विचारधारा पर गठबंधन होता है उसे नहीं भुलाया जाना चाहिए।
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