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यूपी में बिना ‘टायर’ के नहीं दौड़ेगी कोई सियासी ‘गाड़ी’!

बालीवुड के मशहूर सिने स्टार राजपाल यादव की पार्टी को मिला ‘टायर’ चुनाव चिन्ह, सर्व समभाव पार्टी से गठबंधन को कई दलों में चल रही है कानाफूसी 
राजीव रंजन तिवारी 
लखनऊ। वैसे तो सबको पता है कि किसी भी गाड़ी को चलाने के लिए टायर सर्वाधिक जरूरी है। यदि इसे सियासत से जोड़ दें तो इस ‘टायर’ की अहमियत कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। पता चला है कि मशहूर सिने स्टार राजपाल यादव की सर्व समभाव पार्टी को चुनाव आयोग की ओर से ‘टायर’ चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया है। सर्व समभाव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीपाल यादव हैं, जो चर्चित सिने स्टार राजपाल यादव के बड़े भाई हैं। खैर, मैं अक्सर अपने विभिन्न आलेखों में यह लिखता रहता हूं कि भारतीय लोकतांत्रिक सियासत की नींव पूरी तरह से संभावनाओं पर टिकी हुई है। यानी कब, किस दल का सियासी सेंसेक्स ऊपर चढ़ जाए, कहा नहीं जा सकता। मूल विषय यह है कि एकाध दक्षिणपंथी राजनीतिक दलों (जिनका नाम लेना नहीं चाहता) को छोड़ दें तो सबकी विचारधारा वही है, जिस नाम की पार्टी अभिनेता राजपाल यादव ने बनाई है, यानी सर्व समभाव पार्टी। हर कोई सर्वधर्म समभाव के नाम पर ही वोट लेना चाहता है। पर दिक्कत यह है कि इस विचारधारा वाली पार्टियों की संख्या बहुत अधिक है, फलतः वोटों का बंटवारा लाजिमी है। अब यदि सर्व समभाव की विचारधारा वाली पार्टियां चाहती हैं कि वोटों की एकजुटता बनी रहे तो वह बिना सर्व समभाव पार्टी की ‘टायर’ के अपनी सियासी ‘गाड़ी’ नहीं दौड़ा सकती। इसकी खास वजह यह है कि अन्य सभी दलों के नेताओं से ज्यादा भीड़ राजपाल यादव के पास है। अब तो पूरी बात समझ में आ ही गई होगी। दरअसल, मशहूर सिने स्टार राजपाल यादव तमाम दलों के दलदल में अपना भी एक दल सर्व समभाव पार्टी लेकर मैदान में आ गए हैं। यह उनकी खुशकिस्मती ही कहेंगे कि चुनाव आयोग ने उन्हें ‘टायर’ चिन्ह आवंटित किया है। यदि सूबे के मौजूदा हालात की बात करें तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि जिस पार्टी को भी अपनी रफ्तार बढ़ानी है उसे सिने स्टार राजपाल यादव के ‘टायर’ का सहारा लेना होगा, वरना कोई दक्षिणपंथी सत्ता पर काबिज होकर सर्व समभाव के विचारधारा को सिरे से तहस-नहस कर देगा। यह तो करीब-करीब स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस और अखिलेश यादव के बीच सीटों का तालमेल हो जाएगा और कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी तथा अखिलेश खेमे से डिम्पल यादव स्टार प्रचारक होंगी। पर, यह सबको पता है कि राजनीति के नाम पर इनका रसूख भले ज्यादा हो, पर भीड़ जुटाने के मामले में सिने स्टार राजपाल यादव के सामने ये कहीं नहीं टिकटते। इसलिए कांग्रेस, अखिलेश, रालोद व अन्य समान विचारधारा वाली पार्टियों को चाहिए कि वह राजपाल यादव की सर्व समभाव पार्टी को भी अपने खेमे में रखे और इन्हें सीटों के बंटवारे दरम्यान सम्मानजनक सीटें उपलब्ध कराए। चूंकि सियासत में कुछ भी संभव है, इसलिए दावा तो नहीं किया जा सकता, पर इतना जरूर कहा जा सकता है कि यदि कांग्रेस, अखिलेश, रालोद व अन्य के साथ सर्व समभाव पार्टी का गठबंधन हो जाता है तो इस खेमे को सत्ता के गलियारे तक पहुंचने में बहुत दिक्कत नहीं होगी। हालांकि सभी पार्टियां अपने-अपने स्तर से चुनाव को अपने पक्ष में करने मंं जुटी हुई हैं। इसी क्रम में कुछ दलों के लोगों ने सिने राजपाल यादव से भी तालमेल का ऑफर दिया है। पर, राजपाल यादव ने अभी कोई फैसला नहीं लिया है। सूत्रों का कहना है कि राजपाल यादव पार्टी की एक्सपर्ट कमेटी की मीटिंग में इस मुद्दे को रखेंगे। उसके बाद ही फैसला हो पाएगा कि किस दल के साथ राजपाल का कनेक्शन जुड़ता है।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ स्तंभकार हैं, इनसे फोन नम्बर- 8922002003 पर संपर्क किया जा सकता है)
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