पुष्प वाटिका में सीता-राम मिलन के भावपूर्ण व्याख्यान ने जीता श्रद्धालुओं का दिल
धरमपुर में चल रहे श्रीराम कथा के दरम्यान पुष्प वाटिका प्रसंग सुनाकर अयोध्यावासी कथावाचक श्री रंगम कृष्ण जी महाराज ने जीता लोगों का दिल
गोरखपुर। महानगर के धरमपुर मोहल्ले में 07 जनवरी से चल रहे श्रीराम कथा के दरम्यान गुरुवार को पुष्प वाटिका के अद्भुत प्रसंग देखने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। अयोध्यावासी चर्चित संत और कथावाचक श्री रंगम कृष्ण जी महाराज की मधुर वाणी से जब पुष्प वाटिका में श्रीराम-सीता मिलन प्रसंग को लोगों ने सुना तो सबका मन प्रफुल्लित हो गया। अक्सर एक कहावत कही जाती है- ‘देखन में छोटन लगे, घाव करे गंभीर।’ उसी के अनुरूप बेहद कम उम्र के होने के बावजूद बड़े-बड़े कथावाचकों को अपनी समधुर वाणी और बोलने के अंदाज से पीछे छोड़ देने वाले संत श्री रंगम कृष्ण जी महाराज की अनूठी शैली हर किसी के दिल में उतरती जा रही है। पुष्प वाटिका में श्रीराम-सीता मिलन प्रसंग को श्री रंगम कृष्ण जी महाराज ने इस तरह प्रस्तुत किया कि वे सबके दिलों में छा गए। कथा सुनने आए श्रद्धालुओं की जुबान से श्री रंगम कृष्ण जी महाराज की हृदय से तारीफ करते हुए सुना गया।
कथा वाचन के दौरान श्री रंगम कृष्ण जी महाराज ने कहा कि गुरु विश्वामित्र की आज्ञा से भगवान श्रीराम अनुज लक्ष्मण के साथ उन्हें पूजा के लिये पुष्प लाने वाटिका में पहुंचते हैं। लेकिन वाटिका के मुख्य द्वार पर तैनात माली उन्हें अंदर प्रवेश करने से रोकते हैं। इस दौरान भगवान श्रीराम मालियों से ऐसे उलझे कि आखिर जनक नंदनी का जयकारा लगाने के मालियों की शर्त को उन्हें पूरी करनी पड़ी। बावजूद माली उनसे विनोद करने से नहीं चुके। इसके बाद मालियों की अनुमति पर दोनों भाई वाटिका में प्रवेश करते हैं और फुलवारी के सौंदर्य का अवलोकन करते हुये पुष्प तोड़ते हैं। इसी बीच माता सीता अपनी सखियों के साथ गौरी पूजन को पहुंचती है। कथावाचक श्री रंगम कृष्ण जी महाराज कहते हैं कि बाग घूमने के दौरान एक बावरी सखी दोनों भाईयों को देख लेती है। फिर वहां से लौटकर अन्य सखियों से श्रीराम के सौंदर्य का वर्णन करती है। फिर वाटिका अवलोकन के बहाने सिया जी भी भ्रमण करती हैं। इसी बीच श्रीराम व जानकी एक दूसरे का दर्शन करते हैं और सीता जी वहीं पर मन ही मन भगवान श्रीराम को वरण कर लेती है। सीता जी वहां से लौटकर मंदिर में माता गौरी की पूजन करती है। जिससे प्रसन्न होकर श्री गौरी जी उनकी मनोकामना पूर्ण होने का आशीष देती हैं। माता गौरी की आराधना कर सखियों संग मां जानकी महल में लौट जाती है और मन ही मन अलौकिक दृष्टि से आरती सजाकर भगवान राम की आरती उतारती हैं।
उन्होंने बड़े ही भावपूर्ण अंदाज में सुनाया कि दूसरी तरफ भगवान श्रीराम भी पुष्प लेकर महर्षि विश्वामित्र के पास पहुंचते हैं। गुरु विश्वामित्र उनके प्रेममयी भाव को समझ श्रीराम की इच्छा पूरी होने का आशीर्वाद देते हैं। आज की पुष्प वाटिका प्रसंग आरंभ करने से पहले रामदासजी आचार्य (गोलू) ने पूजन-पाठ कर माहौल को भक्तिमय बनाया। तत्पश्चात ‘एक राधा, एक मीरा, अंतर क्या दोनों में...’ भजन सुनाकर गायकी में महारत हासिल करने वाले अमित त्रिपाठी ने अपनी आर्गन की धुन पर न सिर्फ पंडाल बल्कि पूरे मोहल्ले के लोगों का दिल जीत लिया। उनके साथ तबलावादक संतोष जी और ढोलकवादक दीपक जी की कला भी अद्भुत और निराली देखी गई। यानी कुल मिलाकर कथावाचक श्री रंगम कृष्ण जी महाराज की इस छोटी सी टोली ने एक छोटे से मोहल्ले धरमपुर में कथावाचन और अन्य भक्तिपूर्ण कला का प्रदर्शन करने के बावजूद पूरे गोरखपुर महानगर में अपनी अनूठी प्रतिभा के कारण चर्चा के केन्द्र में आ गए। शायद यही वजह है कि दिनानुदिन भीड़ बढ़ती जा रही है। कथावाचन का कार्यक्रम 15 जनवरी तक चलेगा। इतने सुंदर और भव्य भक्तिपूर्ण आयोजन की व्यवस्था के लिए पं.राकेश मिश्र की भी चारों ओर तारीफ हो रही है। कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य रूप पं.राकेश मिश्र का योगदान है और उनके साथ डा.एलबी पाण्डेय, डा.टीएन पाण्डेय और शशिभूषण तिवारी का सहयोग भी सराहनीय है। (राजीव रंजन तिवारी- 8922002003)
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