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अहमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (10 जनवरी) को वाइब्रेंट गुजरात समिट के आठवें कार्यक्रम में भाषण दिया। मोदी ने सबसे पहले कार्यक्रम में सहयोग करने वाले देशों का धन्यवाद किया। उन्होंने जापान और कनाडा का अलग से भी शुक्रिया किया। मोदी ने आगे कहा कि गुजरात महात्मा गांधी और सरदार वल्लभ भाई पटेल की भूमि है और भारत की व्यापार की भावना को भी दिखाती है। मोदी ने कहा कि डिजिटल टेक्नोलॉजी विकास में तेजी लाती है और सरकार को ठीक और सरल रूप से काम करने में मदद करती है। मोदी ने मौजूद लोगों ने कहा, ‘यकीन कीजिए हम लोग दुनिया की सबसे डिजीटल अर्थव्यवस्था बनने की दहलीज पर खड़े हैं।’ मोदी ने कहा कि वैश्विक मंदी के बावजूद भारत ने अच्छी बढ़त हासिल करके दिखाई। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था में बदलाव के लिए पूरी कोशिश कर रही है। मोदी ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ वैश्विक स्तर पर उतना बड़ा ब्रैंड बन चुका है जो कि भारत के पास पहले नहीं था। उन्होंने बताया कि भारत निर्माण उद्योग में दुनिया में छठा स्थान रखता है। मोदी ने कहा कि भारत टूरिज्म को बढ़ावा देना चाहता है और इसके लिए बड़े पैमाने पर काम करना चाहता है।
अमेरिकी अखबार के अनुसार ने नोटबंदी से कठिनाई भरे दौर में है भारतीय अर्थव्यवस्था
न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा है कि नोटबंदी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था भारी कठिनाई झेल रहा है और नकदी की कमी के कारण भारतीयों के जीवन में परेशानियां बढ़ रही हैं। समाचार पत्र ने सोमवार को अपने संपादकीय लेख में कहा कि भारत में 500 रुपये तथा 1,000 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण की भयावह योजना बनाई गई और उसे अंजाम दिया गया और इस बात के शायद ही सबूत हैं कि इससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगी। टाइम्स ने कहा, “भारत सरकार द्वारा अचानक सबसे ज्यादा चलन में रही मुद्रा को विमुद्रित करने के दो महीने के बाद अर्थव्यवस्था कठिनाई भरे दौर में है।” लेख के मुताबिक, “विनिर्माण क्षेत्र में मंदी है, रियल एस्टेट तथा कारों की बिक्री गिर गई है, किसान, दुकानदार तथा अन्य भारतीयों के मुताबिक नकदी की कमी ने जीवन को बेहद कठिन बना दिया है।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते आठ नवंबर को 500 रुपये तथा 1,000 रुपये के नोटों को अमान्य घोषित कर दिया था। देश की पूरी करेंसी में इन दोनों नोटों का हिस्सा 86 फीसदी था। मोदी ने कहा था कि ऐसा करना भ्रष्टाचार, कालेधन तथा आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के लिए आवश्यक था। समाचार पत्र ने कहा, “नोटबंदी के कदम की योजना भयावह तरीके से बनाई गई और फिर उसका क्रियान्वयन किया गया। भारतवासी बैंकों के बाहर पैसे जमा करने व निकालने के लिए घंटों कतार में खड़े रहे।” लेख में कहा गया, “नए नोटों की आपूर्ति कम है, क्योंकि सरकार ने पर्याप्त मात्रा में पहले इन नोटों की छपाई नहीं की थी। छोटे कस्बों तथा ग्रामीण इलाकों में नकदी की समस्या विकराल है।” समाचार पत्र ने कहा, “भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा कि चार नवंबर को चलन में 17,700 अरब रुपये थे, जबकि 23 दिसंबर को यह आंकड़ा इसका आधा 9200 अरब रुपये हो गया।” लेख में कहा गया, “इस बात के बेहद कम सबूत हैं कि नोटबंदी के कदम से भ्रष्टाचार से निपटने में सहायता मिली।”
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