ताज़ा ख़बर

पांच राज्यों में विधानसभा चुनावः सबकी राह में रोड़े, कैसे दौड़ेंगे सियासी घोड़े

राजीव रंजन तिवारी 
चुनाव आयोग द्वारा पांच राज्यों में मतदान की तिथियों की घोषणा करते ही सियासी सेंसेक्स अचानक बढ़ गया है। यद्यपि राजनीतिक दलों द्वारा तैयारियां तो अपने-अपने हिसाब से काफी पहले से की जा रही हैं, पर अब उन तैयारियों को अमली जामा पहनाने का वक्त आ गया है। इसे लेकर भारी अफरातफरी देखी जा रही है। सभी राज्यों में उन दलों की दशा तो देखने लायक है, जिनकी तैयारियां अधूरी थीं, किन्तु जिन्होंने तैयारियों में पूरी ताकत झोक रखी थीं, वे निश्चिंत तो हैं पर उनके चेहरे पर भी हवाइयां उड़ रही हैं। वजह स्पष्ट है, शायद ही किसी राज्य में कोई दल एसा हो जिसकी राह में अड़चन भरे रोड़े न हों। यूं कहें कि मुसीबतें हर जगह हैं, कहीं थोड़ी कम तो कहीं ज्यादा। खासकर राजनीतिक दलों के बीच जिस तरह की गलाकाट सियासी प्रतिस्पर्धा देखी जा रही है उससे इसकी पुष्टि हो जा रही है कि किसी भी राज्य में किसी भी दल की राह आसान नहीं हैं। यूं कहें कि राहों में इतने रोड़े हैं सियासी घोड़े दौड़ाना आसान नहीं। वैसे तो कमोबेश हर राज्य में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच टकराव की स्थिति है, किन्तु देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। दरअसल, उत्तर प्रदेश की लड़ाई हमेशा से अनूठी रही है और इस बार सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी खेमे में खास तरह के आंतरिक कलह की वजह से कुछ ज्यादा ही जटिल होती दिख रही है। गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की घोषणा कर दी है। इसके मुताबिक गोवा, पंजाब और उत्तराखंड में एक-एक चरण में, मणिपुर में दो चरण और उत्तर में प्रदेश सात चरणों में मतदान होगा। गोवा और पंजाब में चार फरवरी को वोट डाले जाएंगे, जबकि उत्तराखंड में 15 फरवरी को मतदान होगा। गोवा में विधानसभा की 40, पंजाब में 117 और उत्तराखंड में 70 सीटें हैं। मणिपुर में दो चरणों में मतदान होंगे, जिनमें से पहले चरण का मतदान चार मार्च को और दूसरे चरण का आठ मार्च को होगा। राज्य में विधानसभा की 60 सीटें हैं। उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 403 सीटों के लिए सात चरणों में मतदान होंगे। पहले चरण का मतदान 11 फरवरी, दूसरे चरण का 15 फरवरी, तीसरे चरण का 19 फरवरी, चौथे चरण का 23 फरवरी, पांचवें चरण का 27 फरवरी, छठो चरण का चार मार्च को और सातवें और अंतिम चरण का मतदान आठ मार्च को होगा। 11 मार्च को एक साथ सभी राज्यों की मतगणना होगी। कुल 690 में विधानसभा सीटों पर चुनाव होना है, जिनमें 133 सुरक्षित सीटें हैं। 5 राज्यों में कुल 1 लाख 85 हजार पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। कई जगहों पर ईवीएम मशीनों में उम्मीदवारों की फोटो भी होगी। चुनाव आचार संहिता तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। यूपी, पंजाब, उत्तराखंड में उम्मीदवार 28 लाख रुपये खर्च कर सकते हैं जबकि मणिपुर और गोवा में उम्मीदवार 20 लाख रुपये खर्च कर सकते हैं। धर्म-जाति के नाम पर वोट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानना होगा। चुनावी दृष्टि से सबसे अहम राज्य उत्तर प्रदेश है जहां विधानसभा में 403 सीटें हैं। इन पांच राज्यों में से उत्तर प्रदेश और पंजाब में महीनों पहले से चुनावी घमासान मचा हुआ है। यूपी में सत्ताधारी पार्टी सपा खुद ही कलह का शिकार है। सीएम अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव के बीच रस्साकशी का दौर चल रहा है। यहां टक्कर सपा और भाजपा के बीच जरूर देखी जा रही है, किन्तु यह हालात बदल भी सकते हैं। क्योंकि मायावती की बसपा भी अपने आप में एक अलग ध्रूव है और यदि युवा नेता अखिलेश यादव खेमे से कांग्रेस व कुछ अन्य पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ती हैं तो पाशा अखिलेश के हाथों में ही होगा, इसमें कोई शक नहीं है। दरअसल, चुनाव की तारीखों का एलान तब हुआ है जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी बुरी तरह से पारिवारिक कलह में फंसी हुई है। एक तरह से समाजवादी पार्टी दो फाड़ हो गई है। समाजवादी परिवार में इस फूट का फायदा बीजेपी और बहुजन समाज पार्टी लेने की कोशिश कर रही हैं। बता दें कि इससे पहले 3 जनवरी को यूपी का एक ओपिनियन पोल आया था। उसके मुताबिक समाजवादी पार्टी की स्थिति सबसे मजबूत बताई गई थी लेकिन बहुमत से दूर बताया गया था। जबकि भाजपा को दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने की बात कही गई थी। बताया जा रहा है कि सपा के दो फाड़ होने और मुलायम-अखिलेश के आमने-सामने आ जाने के बाद राजनीतिक नफ़ा-नुक़सान भी देखा जा रहा है। शुरुआत में तो ऐसा लगा कि अखिलेश के नेतृत्व में पार्टी चुनाव में उतरेगी तो उसे लाभ होगा, लेकिन अब ये बातें भी सामने आ रही हैं कि मुलायम के जीते जी समाजवादी पार्टी का उनके बिना कोई मतलब नहीं। इसीलिए यदि इन क़यासों में भी सच्चाई है कि ये सब जो हो रहा है वो मुलायम सिंह की रणनीति का हिस्सा है तो भी शायद पार्टी को नुकसान ही हो। सबके बावजूद युवा नेतृत्व की वजह से अखिलेश यादव सब पर भारी पड़ सकते हैं, यह अनुमान लगाया जा रहा है। इतना ही नहीं यदि अखिलेश यादव खेमे से कांग्रेस पार्टी, अभिनेता राजपाल यादव वाली सर्व समभाव पार्टी (ससपा) और अजित सिंह की पार्टी रालोद से तालमेल हो जाता है तो यूपी में इस सपा गठबंधन की सरकार भी बन सकती है। वहीं, पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) सत्ता में आने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए है। पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन की दूसरी बार सत्ता में वापसी हुई थी और इस बार उसे कांग्रेस और आप से जबर्दस्त चुनौती मिल रही है। पंजाब में सबसे बड़ी बात यह देखी जा रही है कि यहां आकाली-भाजपा गठजोड़ होने के बावजूद सारा दारोमदार आकाली की छवि पर ही है। इसे लेकर भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व आश्वस्त है। उसे यह लग रहा है कि यदि पंजाब में आकाली-भाजपा गठजोड़ को चुनाव में फायदा होता है तो यह कह दिया जाएगा कि केन्द्र सरकार के कामकाज से खुश होकर लोगों ने वोट दिया है और यदि हार होती है तो भाजपा के लोग इसके लिए आकाली दल पर ठीकरा फोड़ देंगे। उधर, आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब में पहली बार मैदान में है और उसे बेहतर स्थिति में बताया जा रहा है। लेकिन आम आदमी पार्टी का आंतरिक कलह उसके लिए घातक हो सकता है। जबकि कांग्रेस ने पंजाब में भाजपा के स्टार प्रचारक रहे क्रिकेटर/सांसद नवजोत सिंह सिद्धू को अपने पक्ष में कर एक बेहतरीन दांव खेला है। इस भरोसे उसे लग रहा है कि पार्टी पंजाब में सत्ता तक पहुंच सकती है। इतना ही नहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रचार के लिए आमंत्रित करना भी कांग्रेस के लिए फायदे का सौदा हो सकता है। क्योंकि पटना साहिब के विकास के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जितना काम किया है, उसका लाभ उन्हें पंजाब में मिल सकता है। आपको बता दें पटना साहिब गुरू गोविन्द सिंह की जन्मस्थली है, जिसके प्रति पंजाब के लोगों में जबरदस्त आस्था है। उधर, उत्तराखंड में भी सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस को भाजपा और कुछ अन्य क्षेत्रीय पार्टियों से कड़ी टक्कर मिल रही है। हालांकि यहां मुख्यमंत्री अपनी राजनीतिक सूझबूझ से सबकुछ सुलझाने में सफल रहे हैं, फिर राह आसान नहीं कहा जा सकता। कमोबेश यही स्थिति गोवा की भी है। वहां की सत्ताधारी भाजपा को कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिल रही है। बहरहाल, देखना है कि कौन सी पार्टी किस रणनीति के तहत अपनी चुनावी नैया को पार लगाती है।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और स्तम्भकार हैं, इनसे फोन नम्बर 08922002003 पर संपर्क किया जा सकता है)
  • Blogger Comments
  • Facebook Comments

0 comments:

Post a Comment

आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।

Item Reviewed: पांच राज्यों में विधानसभा चुनावः सबकी राह में रोड़े, कैसे दौड़ेंगे सियासी घोड़े Rating: 5 Reviewed By: newsforall.in