दो सौ से ज्यादा विधायकों का समर्थन लेकर ‘साइकिल’ के लिए फिर चुनाव आयोग पहुंचे मुलायम-अखिलेश (अंदर पढ़ें)
नई दिल्ली/लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने के बाद सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) में अखिलेश और मुलायम सिंह के बीच मचा घमासान अब थमता सा नजर आ रहा है। सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सामने मुलायम सिंह ने सरेंडर कर दिया है। सपा सुप्रीमो ने अखिलेश की शर्तें मान ली है। सूत्रों के मुताबिक, अमर सिंह और चाचा शिवपाल को लेकर अखिलेश ने जो शर्तें रखीं थी उनके सामने मुलायम सिंह झुक गए हैं। जल्द ही अमर सिंह पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देंगे। इसके साथ ही पार्टी के शिवपाल यादव भी यूपी अध्यक्ष पद छोड़ेंगे। इससे पहले आज मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लखनऊ स्थित अपने सरकारी आवास पर अपने समर्थक विधायकों तथा अन्य नेताओं से मुलाकात की। अखिलेश ने उनसे पार्टी के चुनाव चिह्न साइकिल पर दावा ठोंकने के लिए जरूरी शपथपत्रों पर हस्ताक्षर कराए। अखिलेश गुट ने दावा किया था कि बैठक में 200 से ज्यादा विधायकों और विधान परिषद सदस्यों ने अखिलेश के पक्ष में हलफनामों पर हस्ताक्षर किए हैं। सूत्रों के मुताबिक अखिलेश अपनी मांगों को लेकर किसी भी तरह का समझौता नहीं करना चाहते हैं। विधानसभा चुनाव की घोषणा हो जाने के बावजूद पिता की राह से जुदा रास्ते पर चल पड़े अखिलेश सपा संगठन पर अपना वर्चस्व लगातार बढ़ाते दिख रहे हैं। उनके निर्देश पर कल आजमगढ़, देवरिया, कुशीनगर और मिर्जापुर के बर्खास्त सपा जिलाध्यक्षों को कल ‘बहाल’ कर दिया गया।
दो सौ से ज्यादा विधायकों का समर्थन लेकर ‘साइकिल’ के लिए फिर से चुनाव आयोग के दरवाजे पहुंचे पिता मुलायम के साथ अखिलेश
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने के बाद सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के दोनों गुटों में ‘साइकिल’ पर कब्जे को लेकर जारी शक्ति प्रदर्शन की होड़ अंतिम दौर में पहुंच गई है। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और उनके मुख्यमंत्री पुत्र अखिलेश यादव चुनाव आयोग के सामने अपना दावा मजबूत करने के लिये समर्थकों द्वारा हस्ताक्षरित हलफनामे एकत्र करने में जुट गए हैं। मुलायम अपने अनुज शिवपाल सिंह यादव के साथ चुनाव आयोग में अपना पक्ष रखने के लिए आज एक बार फिर दिल्ली रवाना हुए। मुलायम और शिवपाल के दिल्ली रवाना होने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने सरकारी आवास पर अपने समर्थक विधायकों तथा अन्य नेताओं से मुलाकात की और उनसे पार्टी के चुनाव चिह्न साइकिल पर दावा ठोंकने के लिए जरूरी शपथपत्रों पर हस्ताक्षर कराए। अखिलेश गुट का दावा है कि बैठक में 200 से ज्यादा विधायकों और विधान परिषद सदस्यों ने अखिलेश के पक्ष में हलफनामों पर हस्ताक्षर किए हैं। बैठक में शामिल कैबिनेट मंत्री रविदास मेहरोत्रा ने बाद में बताया कि मुख्यमंत्री ने हमसे कहा कि मुलायम सिंह यादव जी मेरे पिता हैं। हमने उनसे कहा है कि तीन महीने के लिए हमें पूरे अधिकार मिल जाएं और हमारे फिर से सत्ता में आने के बाद आप (मुलायम) जो निर्णय चाहें, वह कर लीजिए। सरकार के एक अन्य मंत्री शंखलाल मांझी ने कहा कि नेताजी (मुलायम) के बिना सपा अधूरी है। मुख्यमंत्री सपा का चेहरा हैं। चेहरे के बगैर सपा सरकार के बारे में सोचना बेकार है। चुनाव आयोग ने सपा के दोनों गुटों द्वारा ‘साइकिल’ पर दावे के सिलसिले में दाखिल किए गए दस्तावेजों पर अपनी प्रक्रिया शुरू कर दी है। आयोग ने दोनों गुटों से आगामी नौ जनवरी तक अपने-अपने समर्थक विधायकों, विधान परिषद सदस्यों तथा सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित शपथपत्र जमा करने को कहा है, ताकि यह पता लग सके कि किसके पास कितना संख्या बल है। मुलायम गुट के सूत्रों के मुताबिक सपा मुखिया और शिवपाल आज अपने साथ विधायकों, विधान परिषद सदस्यों तथा सांसदों के हस्ताक्षरित शपथपत्र ले गए हैं। पिछले रविवार को हुए सपा के विवादित राष्ट्रीय अधिवेशन में सपा के 229 में से 200 से ज्यादा विधायक, बड़ी संख्या में विधान परिषद सदस्य तथा अन्य पार्टी नेता एवं पदाधिकारी शामिल थे। इस अधिवेशन में मुख्यमंत्री अखिलेश को सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था, जबकि अमर सिंह को पार्टी से निष्कासित करने तथा शिवपाल सिंह यादव को सपा के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने का फैसला किया गया था। अखिलेश के हिमायती माने जाने वाले सपा राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल ने दावा किया कि ज्यादातर विधायक, विधान परिषद सदस्य तथा सांसद अखिलेश के साथ हैं। माना जा रहा है कि अखिलेश के प्रतिनिधि भी आज ही चुनाव आयोग के दफ्तर जाकर विधायकों, विधान परिषद सदस्यों तथा सांसदों के हस्ताक्षरित हलफनामे सौपेंगे। आपसी गतिरोध के बीच, वरिष्ठ नेता आजम खां की कोशिशों से सपा के दोनों गुटों में दो दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन वह बेनतीजा रही। इस सबके बीच, मुख्यमंत्री अखिलेश ने कल पीछे ना हटने का साफ इशारा देते हुए एक कार्यक्रम में कहा था कि हम चुनाव में जा रहे हैं। हम फिर लौटेंगे। कहां नट-बोल्ट लगाना है, कहां हथौड़ा इस्तेमाल करना है, उसे ठीक से इस्तेमाल करेंगे। सूत्रों के मुताबिक दोनों ही गुट अपनी-अपनी मांगों को लेकर किसी भी तरह का समझौता नहीं करना चाहते हैं। विधानसभा चुनाव की घोषणा हो जाने के बावजूद कोई भी गुट नरमी नहीं दिखा रहा है। दरअसल, अपने पिता की राह से जुदा रास्ते पर चल पड़े अखिलेश सपा संगठन पर अपना वर्चस्व लगातार बढ़ाते दिख रहे हैं। उनके निर्देश पर कल आजमगढ़, देवरिया, कुशीनगर और मिर्जापुर के बर्खास्त सपा जिलाध्यक्षों को कल ‘बहाल’ कर दिया गया। गत रविवार को हुए अधिवेशन में प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाये गये शिवपाल यादव ने सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव द्वारा ‘असंवैधनिक’ करार दिए गए उस कार्यक्रम में शिरकत करने के आरोप में इन जिलाध्यक्षों को बर्खास्त कर दिया था।
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