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राहुल की हिरासत से कितना चढ़ा कांग्रेस का सेंसेक्स?

राजीव रंजन तिवारी 
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी को दो दिन में तीन बार हिरासत में लिए जाने से देश का माहौल कुछ बदला-बदला सा लग रहा है। इस प्रकरण को देश लिए बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम माना जा रहा है, जो कथित तौर पर केन्द्र सरकार की विफलता का परिचायक बन सकता है। खासकर कांग्रेसी खेमा तो इस पूरे प्रकरण से बेहद उत्साहित है। उसे लगता है कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के इशारे पर दिल्ली पुलिस द्वारा की गई राहुल गांधी के खिलाफ इन कार्वाइयों से कांग्रेस का सेंसेक्स ऊपर चढ़ा है। कांग्रेसियों के उत्साह और ऊर्जा को देखकर अक्टूबर 1977 में हुई इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी की चर्चा होने लगी है। कहा जा रहा है कि जब इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी हुई थी तब पूरे देश के कांग्रेसी अपने नजदीकी जेलों में अपनी गिरफ्तारी देने के लिए टूट पड़े थे। तब कांग्रेसियों द्वारा कहा गया था कि जब तक इंदिरा गांधी की रिहाई नहीं होगी, तब तक वे जेल में ही रहेंगे। इससे बढ़ती समस्याओं के मद्देनजर ही इंदिरा गांधी को जेल से रिहा किया गया था। अब सवाल यह उठ रहा है कि अपनी हिरासत के बाद चढ़े कांग्रेस के सेंसेक्स को उपाध्यक्ष राहुल गांधी यूपी चुनाव 2017 और लोकसभा चुनाव 2019 तक कायम रख पाएंगे? हालांकि कांग्रेसी तो दंभ भर रहे हैं कि राहुल को हिरासत में दिलाकर मोदी सरकार ने अपने ही पांव पर कुल्हाड़ी मार ली है। वन रैंक वन पेंशन को लेकर पूर्व सैनिक की आत्मंहत्या पर दिल्ली की सियासत खासी गर्मा गई है। पिछले दिनों के घटनाक्रम में राम मनोहर लोहिया अस्पताल जाकर पीड़ित परिवार से मिलने की कोशिश कर रहे राहुल गांधी को भीतर जाने की इजाजत नहीं दी गई। बाद में दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। गांधी को करीब दो घंटे तक थाने में बिठाए रखा गया, जहां उन्होंने कहा कि यह पहली बार है कि हमें पूर्व जवान के परिजनों से नहीं मिलने दिया गया। यह पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है। इस बीच थाने में पुलिसकर्मियों पर गुस्साते राहुल गांधी का वीडियो भी सामने आया, जिसे सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया गया। दो घंटे बाद जब राहुल को रिहा किया गया था तो वे कांग्रेस के अन्य नेताओं के साथ दोबारा पूर्व सैनिक के परिवार से मिलने पहुंच गए। जहां उन्हें फिर से हिरासत में ले लिया गया। एक दिन बाद दिल्ली कांग्रेस द्वारा आयोजित कैंडल लाइट मार्च की अगुवाई कर रहे राहुल को जंतर मंतर से इंडिया गेट की तरफ जाते समय पुलिसकर्मियों ने रोक दिया। यानी राहुल गांधी दो दिन में तीन बार हिरासत में लिए गए। बताते चलें कि वन रैंक वन पेंशन की मांग को लेकर धरने पर बैठे पूर्व सैनिक रामकिशन ग्रेवाल ने आत्माहत्या कर ली थी। उनके बेटे का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर‍ हुआ, जिसमें वह अपने साथ हो रहे ऐसे बर्ताव पर हैरानी जताते दिख रहे हैं। राहुल से पहले दिल्ली के उप-मुख्यामंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया को भी अस्पताल में पूर्व सैनिक के परिवार से मिलने से पहले ही हिरासत में लिया गया था। इस पर दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर ‘गुंडागर्दी’ का आरोप लगाया था। सोशल मीडिया पर दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई के लिए मोदी सरकार को जिम्मेावार ठहराया गया, क्योंकि दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस आईटी सेल के संयोजक विशाल कुन्द्रा ने लिखते है कि महात्मा गांधी को रोका अंग्रेजों ने, इंदिरा गांधी को रोका मोरारजी देसाई ने और राहुल गांधी को रोका नरेन्द्र मोदी ने। मोदी सरकार की यह कार्रवाई उसी के लिए घातक बनेगी। विशाल कुन्द्रा कहते हैं कि मोदी सरकार की जनविरोधी और अलोकतांत्रिक नीतियों को जनता समझने लगी है और वह सरकार को अवश्य सबक सिखाएगी। गौतमबुद्धनगर जिले में जमीन से जुड़े किन्तु अच्छे-अच्छों को अपनी सोशल साइट्स पर पानी पिला देने वाले कांग्रेसी कार्यकर्ता दीपक शर्मा कहते हैं कि जिस दिन राहुल गांधी को हिरासत में लिया गया था, उसी दिन से मोदी सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई। इस तरह की जनविरोधी गतिविधियां मोदी सरकार के लिए सत्ताच्यूत करने का परिचायक बनेगा। सोशल साइट्स पर अन्य लोग भी यह साफ शब्दों में कह रहे हैं कि केन्द्र सरकार के कथित जनविरोधी कारनामे ही कांग्रेस और राहुल गांधी की लोकप्रियता को बढ़ा रहे हैं, जिसे संघ और भाजपा के लोगों ने द्वारा लम्बे अरसे से डैमेज करने की कोशिश की जा रही थी। इसके अलावा केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय समाचार चैनल एनडीटीवी इंडिया न्यूज चैनल को 24 घंटे के लिए 'ऑफ एयर' करने का आदेश दिया है। चैनल के खिलाफ यह कार्रवाई पठानकोट हमले के समय सैन्य ऑपरेशन से संबंधित संवेदनशील जानकारी दिखाए जाने के चलते की गई है। आतंकी हमले की कवरेज के संबंध में किसी चैनल के खिलाफ इस तरह की यह पहली कार्रवाई है। चैनल को नौ नवंबर की रात 12:01 बजे से लेकर 10 नवंबर की रात 12:01 बजे तक ऑफ एयर करने की बात कही गई है। जबकि चैनल प्रबंधन ने मंत्रालय के आरोप को खारिज कर दिया है। इस प्रकरण से सरकार की आलोचना हो रही है। और तो और भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने भी राहुल गांधी को हिरासत में रखे जाने की कार्रवाई की आलोचना की है। शिवसेना की आलोचना के बाद तो संघ और भाजपा के लोग बैकफूट पर आ गए हैं। सोशल साइट्स पर भद्दी-भद्दी गालियां देते देशद्रोही बताकर मोदी विरोधियों को पाकिस्तान भेजने की धमकी देने वालों से अब उल्टे यह कहा जाने लगा है कि जरा शिवसेना को भी पाकिस्तान भेजकर दिखाओ। दरअसल, शिवसेना के प्रवक्ता अरविन्द सावंत ने कहा है कि राहुल गांधी और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को एक रैंक एक पेंशन के मुद्दे पर कथित आत्महत्या करने वाले पूर्व सैनिक के परिवार से मिलने से नहीं रोका जाना चाहिए था। दक्षिण मुंबई निर्वाचन क्षेत्र से सांसद सावंत ने कहा कि यह किस तरह का रवैया है? दिल्ली पुलिस की कार्रवाई निंदनीय तथा शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि कथित आत्महत्या का राजनीतिकरण किया जाना ठीक नहीं था और परिवार से सही व्यवहार नहीं किया गया। सावंत ने कहा कि राहुल गांधी एक राष्ट्रीय दल के उपाध्यक्ष हैं, जबकि सिसोदिया एक निर्वाचित सरकार के उपमुख्यमंत्री हैं। दिल्ली पुलिस के गलती करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। राजनीति के जानकार बताते हैं कि राहुल गांधी के खिलाफ दिल्ली पुलिस की कार्रवाई ने केन्द्र की मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी को बैकफूट पर ला दिया है। हालांकि भाजपा के लोग इस कोशिश में हैं कि किसी तरह से कांग्रेस को इसका सियासी लाभ न मिल सके, वैसी रणनीति बनाई जाए। उधर, कांग्रेस में भी अक्टूबर 1977 को हुई इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी के बाद के हालातों पर गहन अध्ययन शुरू कर दिया गया है। जानकार बताते हैं कि इंदिरा गांधी देश की सबसे ताकतवर प्रधानमंत्रियों में गिनी जाती हैं, मगर एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें भी जेल जाना पड़ा। लोकसभा में श्रीमती गांधी की गिरफ्तारी का प्रस्ताव तक पास कर दिया गया था। आखिरकार तमाम विरोधों के बावजूद गिरफ्तारी हुई। आपातकाल के बाद बनी जनता सरकार ने श्रीमती गांधी को गिरफ्तार कराने की रणनीति बनाई थी। प्रस्ताव लोकसभा में आया और सांसदों ने उसे तुरंत पास भी कर दिया। आखिरकार प्रस्ताव पास होते ही सीबीआई की टीम ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। तत्पश्चात उन्होंने जमानत लेने से इंकार कर दिया और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। तत्पश्चात पूरे देश की जेलों में कांग्रेसियों का हुजूम उमड़ पड़ा। तबके युवा नेता रहे यूपी के महाराजा डा.संजय सिंह और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दलित नेता दीपक कुमार ने इंदिरा गांधी की रिहाई के तरह-तरह के नारे दिए थे। सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी भी इंदिरा गांधी की तरह करिश्मा कर सकते हैं? जानकारों का जवाब सकारात्मक है। कहा जाता है कि राहुल गांधी में भी अप्रतिम ऊर्जा और साहस है, वे चाहें तो करामात दिखा सकते हैं। बहरहाल, देखना है कि कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी के हिरासत प्रकरण का कितना लाभ ले पाती है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और चर्चित स्तंभकार हैं। इनसे फोन नम्बर- 08922002003 पर सम्पर्क किया जा सकता है।)
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