नई दिल्ली। ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ जैसी कार्रवाई को ‘स्थायी हल’ नहीं बताते हुए पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने कहा है कि पाक के कब्जे वाले कश्मीर में भारतीय सेना की कार्रवाई की सफलता की असली परीक्षा नियंत्रण रेखा पर शांति कायम होने और घुसपैठ में कमी आने या नहीं आने से होगी। उरी आतंकवादी हमले के बाद भारत के लक्षित हमले (सर्जिकल स्ट्राइक) करने के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि वह इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं है कि इससे नीति में बड़े बदलाव का संकेत मिलता है और उन्होंने भारत की कार्रवाई को उसी तरह बताया जैसे घास को कुछ ऊंचाई तक रखने के लिए नियमित अंतराल पर बार.. बार काटा जाता है। उन्होंने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘मैं आश्वस्त नहीं हूं कि यह कोई बड़ा नीतिगत बदलाव है।’’ मनमोहन सिंह सरकार में साल 2011 से 2014 तक एनएसए रहे मेनन ने कहा, ‘‘सबसे पहले तो सर्जिकल स्ट्राइक शब्द का इस्तेमाल सही नहीं है। इस मुहावरे को अमेरिका ने परमाणु संदर्भ में किया था। इसका बहुत खास मतलब है…परमाणु हथियारों की शत्रुओं से निपटना और उन हथियारों का उन्मूलन करना।
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