मुंबई (सुरेंद्र मिश्र)। उत्तर प्रदेश में 200 सीटों पर चुनाव लड़ने की शिवसेना की घोषणा से भाजपा में थोड़ी हलचल है। इससे कयास लगाया जा रहा है कि कहीं भाजपा की स्थिति बिहार चुनाव जैसी न हो जाए। हालांकि शिवसेना की मंशा कुछ ऐसी ही है लेकिन, इसका सर्वाधिक फायदा समाजवादी पार्टी उठाएगी। वहीं, शिवसेना को इसका लाभ मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) चुनाव में मिलेगा। दरअसल, शिवसेना अपने सहयोगी पार्टी भाजपा से नाराज है। शिवसेना के नेता मानते हैं कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा से गठबंधन टूटने और उसके बाद सत्ता में शामिल होने पर केंद्र और राज्य सरकार में पार्टी को जो तवज्जो मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिली है। इसलिए शिवसेना ने पहले बिहार में अपना दम दिखाया और अब उत्तर प्रदेश व गोवा में भाजपा से दो-दो हाथ करने की तैयारी में है। मजे की बात यह है कि दो विपरीत विचारधारा वाली पार्टी सपा और शिवसेना के बीच उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर गजब का तालमेल बन चुका है। यही वजह है कि शिवसेना प्रवक्ता व सांसद संजय राउत ने लखनऊ में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के खिलाफ बयानबाजी करने से परहेज किया।
यह सही है कि महाराष्ट्र के बाहर शिवसेना का कोई वजूद नहीं रहा है जबकि दिवंगत शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे को चाहने वालों की संख्या देश भर में है। परंतु, इसकी एक वजह यह भी रही है कि बाल ठाकरे अपने जीवन में किसी भी राज्य में चुनाव प्रचार के लिए नहीं गए। उसके बाद शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने भी अपने पिता के पदचिन्हों पर चले। परंतु, अब परिस्थितियां बदली हैं। उद्धव ठाकरे ने ऐलान किया है कि वह दशहरा के बाद अयोध्या में रामलला के दर्शन कर उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार का शंखनाद करेंगे। यही नहीं, वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी गंगा आरती करने जाएंगे। इसलिए शिवसेना को लगता है कि उद्धव ठाकरे के मैदान में उतरने से उत्तर प्रदेश में चुनावी फिजा बदलेगी और हिंदुत्व के मुद्दे पर शिवसेना प्रत्याशी के पक्ष में लहर बनेगी।
दूसरी ओर, बीएमसी चुनाव में इस बार भाजपा-शिवसेना के बीच गठबंधन की संभावना नहीं है। बीजेपी उत्तर भारतीय और गुजराती मतों के सहारे मुंबई में अपना महापौर बनाने की फिराक में है। मुंबई भाजपा अध्यक्ष आशीष शेलार ने कई मौके पर इसका जिक्र किया है। इसलिए बीएमसी चुनाव में इस बार सपा सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। चूंकि समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश की प्रमुख पार्टी है इसलिए सपा का पूरा दारोमदार उत्तर भारतीय और मुस्लिम वोटरों पर होगा। मतलब साफ है कि उत्तर भारतीय वोटों के बिखराव का सीधा लाभ शिवसेना को मिलेगा। इस तरह उत्तर प्रदेश में शिवसेना तो मुंबई में सपा से भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है। साभार-अमर उजाला
- Blogger Comments
- Facebook Comments
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment
आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।