लखनऊ। राहुल गांधी और अखिलेश यादव के बीच कोई ना कोई सियासी खिचड़ी जरूर पक रही है, जो भाजपा और बसपा को बेदम करने के लिए एक बड़े हथियार के रूप में सामने आएगी। ‘यदुवंश’ में जारी लड़ाई के बीच अखिलेश यादव ने राहुल गांधी को लेकर जो कुछ कहा है उसके बाद अटकलों का बाजार गर्म है। अलबत्ता शिवपाल यादव ने कोई सस्पेंस पैदा नहीं किया। अपने महागठबंधन की कवायद में आज उन्होंने अजीत सिंह से मुलाकात की लेकिन इस मुलाकात को लेकर भी उनका मजाक उड़ाया जा रहा है। ‘स्कूल के बच्चे ने मुझे राहुल गांधी समझ लिया..’ मजाक में कही गई अखिलेश की ये बात दूर तलक जा सकती है। परिवार में खटपट चल रही है। कल होकर ऊंट किस करवट बैठेगा, कोई नहीं जानता। ऐसे में लग रहा है कि अखिलेश यादव ने राहुल का जिक्र यूं ही नहीं किया है। अखिलेश यादव के बयान के भाव को समझने के लिए थोड़ा और पीछे चलिए।
राहुल गांधी ने सर्जिकल स्ट्राइक वाले मुद्दे पर जब खून की दलाली वाला विवादास्पद बयान दिया था, तो उस वक्त भी अखिलेश यादव ने उनका साथ दिया था। अखिलेश यादव ने कहा था कि राहुल ने सही कहा है। अखिलेश ने राहुल गांधी की ये तरफदारी उस वक्त की थी जब यदुवंश की लड़ाई का पहला अध्याय शुरू हुआ था। लेकिन, अब तो इस लड़ाई का अंतिम अध्याय शुरू हो चुका है और अब फिर अखिलेश यादव ने राहुल गांधी का बड़े प्यार से जिक्र किया है। अखिलेश यादव राहुल गांधी में राजनीतिक संभावनाएं तलाश रहे हैं तो कांग्रेस भी उनमें अपनी सियासी संभावनाएं तलाश रही है। इसी सप्ताह प्रियंका गांधी के साथ कांग्रेस के नेताओं की जो बैठक हुई, उसमें कई नेताओं ने खुलकर कहा कि अगर अखिलेश यादव अकेले चुनाव लड़ते हैं तो फिर कांग्रेस को उनसे हाथ मिला लेना चाहिए। कांग्रेस और अखिलेश के इस रूख की भनक शिवपाल यादव को भी है। यही वजह है कि वो भी सियासी साथियों की तलाश में दिल्ली का लगातार दौरा कर रहे हैं। यूपी में महागठबंधन की कवायद में शिवपाल यादव के सबसे बड़े मददगार बने हैं शरद यादव। शरद यादव ने 25 अक्टूबर को सोनिया गांधी से मुलाकात की। उसके बाद शिवपाल यादव उनसे मिले।
दोनों के बीच क्या खिचड़ी पकी, इसकी खबर नहीं लेकिन आज तो अजीत सिंह और शिवपाल यादव ने मुलाकात के बाद दोस्ती के नये अध्याय का एलान कर दिया। शिवपाल यादव लाइक माइंडेड लोगों की तलाश में जुटे हुए हैं। अजीत सिंह से उनकी बात बनती दिख रही है। आनेवाले दिनों में वो कुछ और लोगों से मिलनेवाले हैं। लोग उनकी आशावादिता की तारीफ कर रहे हैं लेकिन कुछ लोग दबी जुबां में ये भी कह रहे हैं कि परिवार में बंधन नहीं और ये जनाब चले हैं महागठबंधन बनाने।
(साभार एबीपी)
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