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मुम्बई। बॉलीवुड फिल्म निर्माता-निर्देशक अनुराग कश्याप अच्छी फिल्में बनाते हैं। उनकी फिल्में समाज को एक संदेश देती हैं, ब्लैतक फ्राइडे से लेकर गैंग्स ऑफ वासेपुर तक, कश्येप ने अपनी फिल्मों के जरिए अलग पहचान बनाई है। उन्हेंे मुखर आैर बेबाक बातें कहने के लिए जाना जाता है। मगर कश्येप का सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से माफी मांगने को कहना, थोड़ा बचकाना लगता है। बतौर निर्देशक, अनुराग का गुस्साी जायज है, उन्हेंत गुस्सा आना भी चाहिए। विवाद करण जौहर की फिल्म् ‘ऐ दिल है मुश्किाल’ को लेकर है। जिसमें पाकिस्ताीनी कलाकारों की भूमिका है। उरी में भारतीय सेना के कैंप पर हमले के बाद कुछ राजनैतिक दलों ने बॉलीवुड में पाकिस्ताैनी कलाकारों के काम करने को लेकर सवाल खड़े किए। उनका तर्क था कि जब वे (पाकिस्तानी कलाकार) यहां काम करते हैं तो उन्हें् देश में हुए आतंकी हमलों की निंदा करने में क्याप समस्यार है। इस तर्क को मजबूती इस बाद से मिली कि फवाद खान, माहिरा खान जैसे पाकिस्तानी कलाकारों ने पेरिस आतंकी हमले पर सोशल मीडिया पर शोक जताया था, मगर उरी पर खामोश रह गए। ये ऐसा मसला था जिस पर बॉलीवुड भी बंंट गया था। बॉलीवुड में कैंपों का बोलबाला है तो करण जौहर का कैंप खास अहमियत रखता है। कश्याप का स्टैंड पहले भी पाकिस्तालनी कलाकारों के समर्थन में था, मगर रविवार (16 अक्टूुबर) को उन्होंपने जिस तरह प्रधानमंत्री को संबोधित कर उनसे उनके पाकिस्ता नी दौरे पर माफी मांगने को कहा तो विवाद हो गया। हालांकि इससे ठीक एक दिन पहले, 15 अक्टूाबर को उन्होंनने इस मुदे पर ट्वीट किया था, ”दुनिया को हमसे सीखना चाहिए। हम अपनी सारी समस्यााएं फिल्मों पर दोष मढ़ कर और उन्हेंन बैन कर सुलझाते हैं। #ADHM करन जौहर, मैं आपके साथ हूं।”
मगर इसके अगले दिन अनुराग का रुख जरा आक्रामक हो गया। उन्होंहने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए लिखा, ”श्रीमान, आपने पाकिस्ताआनी पीएम से मुलाकात के लिए यात्रा पर अब तक माफी नहीं मांगी है। वह 25 दिसंबर की बात थी, उसी वक्त करण जौहर ADHM की शूटिंग कर रहे थे। ऐसा क्योंह? ऐसा क्योंो है कि हर बात हमें यह सब झेलना पड़ता है और आप चुप रहते हैं?? और आपने हमारे टैक्स के पैसों पर यात्रा की, जबकि फिल्मप किसी और की कमाई थी। मैं सिर्फ हालात समझने की कोशिश कर रहा हूं क्योंसकि मैं बेवकूफ हूं और मुझे यह सब समझ नहीं आता। अगर आपको बुरा लगा हो तो माफ कीजिए।” जाहिर है कश्येप दिसंबर 2015 और अक्टू बर 2016 का फर्क नहीं समझ पा रहे। तब हालात इतने बुरे नहीं थे और नई-नई सरकार होने के चलते पीएम मोदी पड़ोसी मुल्क से दोस्ती। की पहल करते दिखना चाहते थे। उरी हमले के बाद हालात बदले हैं और देश में पाकिस्ताान के खिलाफ माहौल बन गया है। आग में घी डालने का काम राजनेताओं ने किया और भुगतना फिल्मीे कलाकारों और सरकार को पड़ रहा है।
इस पूरे प्रकरण पर मुझे नाना पाटेकर का कुछ दिनों पहले का बयान आता है। उन्होंाने कहा था, “मेरे लिए मेरा देश सबसे पहले, मैं देश के अलावा किसी को नहीं जानता और न ही जानना चाहता हूं। एक कलाकार देश के सामने बहुत छोटा होता है।” बात पाकिस्तातनी कलाकारों का समर्थन करने या ना करने की नहीं है, बात ये है कि जब देश की बात है तो आप कैसी बात करते हैं। पाटेकर ने बड़े साफ शब्दोंा में कहा था, “मैं सेना में था। वहां मैंने ढाई साल तक नौकरी की। इसलिए मैं जानता हूं कि कौन हमारा सबसे बड़ा हीरो है। कोई भी हमारे जवानों से बड़ा हीरो नहीं हो सकता है। हमारे सैनिक ही हमारे वास्तविक हीरो हैं।” मुझे नहीं लगता कि इस विवाद को हवा दिए जाने की जरूरत है। सरकार ने पाकिस्ताहनी कलाकारों पर किसी तरह की पाबंदी नहीं लगाई, ऐ दिल है मुश्किल रिलीज भी होगी और अच्छीन हुई तो लोग देखने भी जाएंगे। ऐसे में जबर्दस्तीज किसी विवाद में प्रधानमंत्री को घसीट लेना ठीक नहीं लगता।
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