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हमेशा अकड़ दिखाने वाले मोदी की सरकार, संगठन व कार्यकर्ताओं के बीच ढिली पड़ने लगी है पकड़!

वरना दलित उत्पीड़न रोकने के लिए वे अपने कार्यकर्ताओं को निर्देश देते, जबकि उन्होंने कातर स्वर में यह कहा है कि मुझे गोली मार दो, पर दलितों को नहीं, इसके कई सियासी निहितार्थ निकाले जा रहे हैं 
 हैदराबाद। हर बात में अकड़ दिखाने वाले और अपनी मनमानी करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगता है कि अब धीरे-धीरे कमजोर होते जा रहे हैं। उनकी अकड़ भी अब संगठन और कार्यकर्ताओं के बीच घट रही है। दलितों के मुद्दे पर अपने कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों को सीधे निर्देश देने के बजाय उन्होंने यह कहा कि दलितों को नहीं मुझे गोली मार दो। उनकी इन बातों के कई सियासी निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। दलितों पर हमले और इसको लेकर राजनीति बंद करने की अपील करते हुए रविवार को कहा, 'आप गोली मारना चाहते हैं तो मुझे मार दीजिए।' भावुक अपील करते हुए पीएम मोदी ने लोगों से कहा कि वे दलितों की रक्षा और सम्मान करें, क्योंकि इस वर्ग की समाज द्वारा लंबे समय से उपेक्षा की गई है। उनकी इन बातों को अगले वर्ष होने वाले यूपी चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। उन्होंने हैदराबाद में बीजेपी कार्यकर्ताओं से कहा, 'मैं लोगों से कहना चाहता हूं कि अगर आपको कोई समस्या है, अगर आपको हमला करना है तो मुझ पर हमला करिए, मेरे दलित भाइयों पर हमला बंद करिए। अगर आपको गोली मारनी है, तो मुझे गोली मारिए, लेकिन मेरे दलित भाइयों को नहीं। यह खेल बंद होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर देश को प्रगति करनी है, तो शांति, एकता और सद्भाव के मुख्य मंत्र की उपेक्षा नहीं की जा सकती। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री को सब पता है कि दलितों का उत्पीड़न कौन कर रहा है। इनमें उनके समर्थक व कार्यकर्ता ही सर्वाधिक हैं। अपने कार्यकर्ताओं व समर्थकों को दलित उत्पीड़न न करने के निर्देश देने के बजाय खुद को गोली मारने वाली बात कुछ जमी नहीं। इसे लेकर सियासी हलकों में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'देश के विकास का मुख्य स्रोत देश की एकता है।' उनका यह बयान उस वक्त आया है, जब देश के कई हिस्सों में तथाकथित गौरक्षकों की ओर से दलितों और मुसलमानों के खिलाफ हिंसा करने को लेकर एनडीए सरकार को तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा है। सपीएम मोदी ने कहा कि कुछ 'घटनाएं' संज्ञान में आती हैं तो बहुत दुख होता है। उन्होंने कहा, 'दलितों की रक्षा करना और उनका सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी होनी चाहिए।' मोदी ने कहा कि समाज को जाति, धर्म और सामाजिक हैसियत के आधार पर बंटने नहीं देना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा, 'जो लोग इस सामाजिक समस्या का समाधान करना चाहते हैं, उनसे मैं ऐसी राजनीति छोड़ने का आग्रह करता हूं, जो समाज को बांटती हो। विभाजनकारी राजनीति से देश का कोई भला नहीं होगा।' पिछले महीने मोदी के गृह प्रदेश गुजरात के उना में चमड़ा उतारने का काम करने वाले दलितों की पिटाई से गौरक्षकों की गतिविधियों पर सवाल उठ रहे हैं। इस मुद्दे पर राजनीतिक पारा चढ़ने के बाद भारतीय जनता पार्टी के सांसदों ने भी प्रधानमंत्री और पार्टी नेतृत्व से कथित गोरक्षकों को कड़ा संदेश देने की मांग की थी। उत्तर प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी के सांसद डा. यशवंत सिंह ने बीबीसी से कहा कि जब भी दलितों पर अत्याचार होता है तो दलित समुदाय का कोई न कोई व्यक्ति उनकी बात रखता है। हम लोगों ने उनकी बात उठाई है। मैं नहीं मानता कि हमारी वजह से प्रधानमंत्री ऐसा कहा है लेकिन उनकी बात सही है।  
कांग्रेस ने साधा मोदी पर जोरदार निशाना 
कांग्रेस ने शनिवार को ही प्रधानमंत्री के बयान पर सवाल उठाए थे। कांग्रेस नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी का कहना था कि आने वाले चुनावों को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी भारतीय जनता पार्टी को हुए नुकसान की भरपाई की कोशिश में हैं। चतुर्वेदी ने कहा था, "उन्हीं की पार्टी और संघ से जुड़े संगठन इसका नेतृत्व करते आ रहे हैं। ये कहना कि इसमें असामाजिक तत्व जुड़ गए हैं। एक तरह से ये दोषियों को बचाने जैसा दिखता है। अगर पीएम वास्तव में ईमानदार हैं तो बताएं कि उन्होंने और सरकार ने क्या कार्रवाई की है। उन राज्यों में जहां भारतीय जनता पार्टी की सरकारें हैं, वहां ऐसे लोगों पर भविष्य में कठोर कार्रवाई होगी इस बात का विश्वास दिलाएं." 
गौरक्षकों पर मोदी के बयान से ख़तरा  
गौरक्षकों के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की सोशल मीडिया पर ख़ासी चर्चा हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कुछ लोग गौरक्षक के नाम पर दुकान खोलकर बैठ गए हैं। मुझे इस पर बहुत ग़ुस्सा आता है। उन्होंने कहा कि 80 फीसदी गौरक्षक गोरखधंधों में लिप्त हैं। मोदी के इस बयान पर कई लोगों ने ट्विटर पर टिप्पणी की है। विकी रेड्डी ने लिखा कि मोदी ने तथाकथित गौरक्षकों को बदनाम किया। उन्होंने अपने ही लोगों की आलोचना की। अच्छा क़दम। यूपी और पंजाब चुनाव नज़दीक हैं। पवन खेरा ने लिखा कि ख़ुद को गौरक्षक बताने वाले 80 फ़ीसदी लोग बाक़ी बचे 20 फ़ीसदी लोगों को बदनाम कर रहे हैं। जयपुर में पिछले 10 दिनों में भूख से 500 गाय मर गईं, लाठी वाले गौरक्षक कहां हैं?  
कश्मीर मुद्दे पर भाजपा सांसद ने मोदी की नीति को बताया गलत 
भाजपा सांसद आर.के. सिंह ने केंद्र सरकार की कश्मीर नीति पर सवाला उठाया और कहा कि राज्य के लिए सरकार की नीति पूरी तरह गलत है और राज्य की स्थिति से कड़ाई के साथ निपटा जाना चाहिए। सिंह ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान इस मामले को उठाया, और कहा, "सरकार की मौजूदा कश्मीर रणनीति पूरी तरह गलत है। कश्मीर की बहुसंख्यक आबादी शांति चाहती है, जबकि चंद लोग ही आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त हैं। अलगाववादियों और कुछ आतंकवादियों से निपटने का तरीका सही नहीं है। यह गलत है। पूर्व केंद्रीय गृह सचिव सिंह ने कहा, "अलगाववादियों के खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए और हवाला के धन का प्रवाह रोका जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हाल ही में राज्य सरकार के एक मंत्री पर बम से हमला किया गया। सिंह ने कहा, "कश्मीर के कुछ स्थान खाली कर दिए गए हैं। कुछ पुलिस चौकियां भी खाली हो गई हैं। जिस तरीके से स्थिति से निपटा जा रहा है, वह सही नहीं है।" सिंह सरकार की कश्मीर और पाकिस्तान से संबंधित नीतियों के आलोचक रहे हैं।
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