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तो क्या नरेन्द्र मोदीजी अंग्रेजों के जमाने के पीएम हैं?

नई दिल्ली (रंगनाथ सिंह)। फिल्म शोले में जेलर का "आधे इधर जाओ, आधे इधर जाओ बाकी मेरे साथ आओ" डॉयलॉग काफी मशहूर हुआ था। खबर है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (23 अगस्त) को दिल्ली में पार्टी की एक बैठक में यूपी और पंजाब समेत आगामी पांच राज्यों में होने वाले विधान सभा चुनाव के लिए अपना फार्मूला पेश किया है। मीडिया के अनुसार बंद दरवाजे के पीछे हुई बीजेपी के अहम पदाधिकारियों की इस बैठक में पीएम मोदी ने कहा, “राष्ट्रवादी तो हमारे साथ हैं, हमें दलित और पिछड़ों को साथ लाना है।” खबरों के अनुसार इस बैठक में बीजेपी नेताओं से इस बात पर भी मंथन करने की भी अपील की गई कि “कई दलित और आदिवासी नेताओं के होने के बावजूद दलित और आदिवासी बीजेपी को अपनी पार्टी क्यों नहीं मानते?” इन बयानों के सामने आने के बाद सबसे पहला सवाल ये खड़ा हुआ कि क्या दलित और पिछड़े राष्ट्रवादी नहीं हैं? और क्या पीएम की नजर में वही राष्ट्रवादी है जो बीजेपी के साथ है? और क्या इस देश के दलित, पिछड़े, आदिवासी और मुसलमान तभी राष्ट्रवादी माने जाएंगे जब वो बीजेपी के वोटर बन जाएंगे? क्या बीजेपी ही राष्ट्र है, जिसके प्रति देश के सभी वोटरों को वफादार होना चाहिए? पीएम मोदी के इस कथित बयान और सलाह से कई लोगों को शोले फिल्म के अंग्रेजों के जमाने के जेलर का मशहूर डॉयलॉग याद आ गया, “आधे इधर जाओ, आधे इधर जाओ बाकी मेरे साथ आओ।” आइए देखते हैं पीएम मोदी और बीजेपी के साथ जाने वाले कितने हैं? 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या 121 करोड़ से अधिक है। 2011 की जनगणना की खास बात ये है कि केंद्र सरकार ने आजादी के बाद पहली बार जाति आधारित जनगणना कराई लेकिन अभी तक इसके आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं। सरकार ने अब तक जनसंख्या के धर्म आधारित आंकड़े ही जारी किए हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार देश की कुल 1,210,854,977 आबादी में 79.8 प्रतिशत (96.63 करोड़) हिन्दू और 14.23 प्रतिशत (17.22 करोड़) मुस्लिम हैं। बाकी देश में कोई ऐसा अल्पसंख्यक धार्मिक समुदाय नहीं है जिसकी आबादी कुल आबादी का ढाई प्रतिशत भी हो। केंद्र सरकार ने 2001 की जनगणना के जाति आधारित आंकड़े नहीं जारी किए हैं इसलिए हम 2007 में जारी नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (एनएसएसओ) के आंकड़ों से थोड़ी मदद ले सकते हैं। एनएसएसओ के अनुसार देश की कुल आबादी में 40.94 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), 19.59 प्रतिशत दलित और 8.63 प्रतिशत आदिवासी हैं। हालांकि इन आंकड़ों पर कई सवाल खड़े किए गए। देश में ओबीसी आरक्षण को सुझाव देने वाले मंडल आयोग (1979) ने देश में ओबीसी (इसमें मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग शामिल है) की आबादी करीब 52 प्रतिशत मानी थी। अगर मोटे तौर पर इन आंकड़ों को स्वीकार कर लिया जाए तो बीजेपी के साथ देश की कितनी आबादी बची? इसपर ज्यादा दिमाग़ खर्च करने की जरूरत नहीं है। चूंकि पीएम मोदी और बीजेपी ने आगामी चुनावों के मद्देनजर ही ऐसे बयान दिए होंगे इसलिए हम चुनावी आंकड़ों से इसका जवाब आसानी से पा सकते हैं। साल 2014 के लोक सभा चुनाव में बीजेपी को अपने जन्म के बाद सर्वाधिक वोट और लोक सभा सीटें मिलीं थीं। आम चुनाव में 55.38 करोड़ वोटरों ने मतदान किया था जिसमें से 31.34 प्रतिशत (करीब 17.35 करोड़) वोटरों ने बीजेपी को वोट दिया था। यानी देश की कुल आबादी (बालिग वोटरों और नाबालिग दोनों मिलाकर) में करीब 15 प्रतिशत बीजेपी के मतदाता हैं। इतने बड़े देश में “राष्ट्रवादियों” की इतनी कम आबादी? तो क्या मोदीजी अंग्रेजों के जमाने के पीएम हैं?(साभार जनसत्ता)
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