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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गोरखपुर से फूंका चुनावी बिगुल

एम्स का शिलान्यास, उर्वरक फैक्ट्री के पुनरुद्धार कार्य की शुरुआत 
गोरखपुर। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत पर निशाना साधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को सपा और बसपा दोनों को आड़े हाथ लेते हुए राज्य की जनता से परिवारवाद और जातिवाद की राजनीति को तिलांजलि देकर सिर्फ विकासवाद को अपनाने का आहवान करते हुए केन्द्र की तरह सूबे में भी भाजपा की सरकार बनाने का आहवान किया। प्रधानमंत्री ने यहां एम्स का शिलान्यास और उर्वरक फैक्ट्री के पुनरुद्धार कार्य की शुरुआत करने के बाद आयोजित रैली में उत्तर प्रदेश की जनता को विकास का न्यौता दिया और कहा कि बाकी हर पार्टी की झोली भरने के बावजूद खाली हाथ बैठी जनता का भला केवल विकास से ही होगा। उन्होंने कहा कि परिवार की राजनीति और जातिवाद की राजनीति बहुत हो चुकी। अपने परायों का खेल बहुत हो चुका। आपने हर किसी की झोली भरके देखा, क्या आपकी झोली भरी, नौजवानों, किसानों का भला हुआ क्या। मोदी ने कहा कि अब समय आ गया है सोचिये, यह जातिवाद और परिवारवाद का जहर यूपी का भला नहीं करेगा। सिर्फ विकासवाद ही आपका भला करेगा, विकास की राजनीति ही आपका भला करेगी। मैं आपको विकास के लिये निमंत्रण देने आया हूं। जैसे मुझे आशीर्वाद दिया, आगे भी दीजिये। जिस तरह दिल्ली में आपने आपके लिये दौड़ने वाली सरकार दी है, उसी तरह उत्तर प्रदेश में भी आपके लिये दौड़ने वाली सरकार बनाइये। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार की कोशिश यूरिया उत्पादन की ऐसी रणनीति बनाने की है जिससे कि विदेश से यूरिया न लाना पड़े। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार देश में पहली बार खाद के दाम कम करने में सफल रही है। देश में महंगाई की चर्चा स्वाभाविक होती है। अगर देश में टमाटर सब्जी का दाम बढ़ गया तो 24 घंटे सरकार की आलोचना करने वाले तैयार रहते हैं लेकिन अगर महत्वपूर्ण दाम कम हो जाएं, या फिर अहम फैसले हो जाएं तो उनकी बात नहीं होती। मोदी ने कहा कि आज मुझे बताते हुए खुशी है कि हमारी सरकार की नीतियों के कारण, भ्रष्टाचार खत्म करने के लगातार प्रयासों और किसानों की भलाई की चिंता के कारण हमारी सरकार ने डीएपी खाद की कीमतों में प्रति टन ढाई हजार रुपये कमी करने में कामयाबी हासिल की है। इससे पहले कभी किसी सरकार ने किसान को सस्ते में खाद देने की बात सोची तक नहीं थी। यह पहली सरकार है जिसने इस दिशा में सोचा है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की है। अगर एक बार किसान इस योजना को अपनाएगा तो संकट की घड़ी में यह बीमा उसके काम आएगा। इस योजना में कम से कम प्रीमियम और ज्यादा से ज्यादा लाभ मिलेगा। आजादी के बाद ऐसी योजना किसानों के लिये पहली बार आयी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दो साल अकाल के कारण वित्तीय संसाधनों पर बुरा असर पड़ने के बावजूद उनकी सरकार ने किसानों के हजारों करोड़ रुपये के बकाया गन्ना मूल्य का 93 प्रतिशत हिस्से तक का भुगतान कराया है। उत्तर प्रदेश सरकार से पूछता हूं कि जब केन्द्र ने इतना किया है तो वह सात प्रतिशत बकाया क्यों रोके हुए है। उसे भी जल्द पूरा करे। उन्होंने कहा कि जो बच्चे और माताएं छूट गयी हैं, इंद्रधनुष योजना के जरिये उनके टीकाकरण का काम किया जा रहा है। लोगों को खोज-खोज कर उनकी जिंदगी बचाने का भगीरथ काम किया जा रहा है। मोदी ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में पर्यटन, कृषि तथा औद्योगिक क्रान्ति की अपार सम्भावनाएं बताते हुआ कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये उनकी सरकार ने बड़ी संख्या में सड़क निर्माण के कार्य पर बल दिया है। इसके अलावा अविद्युतीकृत गांवों में बिजली पहुंचाने की दिशा में भी अभूतपूर्व गति से काम हुआ है। इससे पहले, कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि गोरखपुर एम्स में 330 सुपरस्पेशलिटी ब्लॉक और 750 जनरल शैयाएं होंगी। इस एम्स से पूर्वाचल के लगभग 15 और पड़ोसी बिहार के पांच जिलों को इसका लाभ मिलेगा। कार्यक्रम को केन्द्रीय मंत्रियों पीयूष गोयल, अनन्त कुमार, और कलराज मिश्र तथा भाजपा के प्रान्तीय अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने भी सम्बोधित किया। क्षेत्रीय सांसद योगी आदित्यनाथ ने स्वागत भाषण किया।  
गोरखनाथ मंदिर में महन्त अवैद्यनाथ की प्रतिमा का अनावरण 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता एवं अन्य सामाजिक अभियानों को आगे बढ़ाने में संत समाज की भूमिका की सराहना करते हुए शुक्रवार को यहां कहा कि धर्मकर्म के काम के साथ ही समाज को आधुनिक बनाने में भी संतों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मोदी ने गोरखनाथ मंदिर में महन्त अवैद्यनाथ की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद वहां मौजूद संत समाज को संबोधित करते हुए कहा कि हमेशा से परिवर्तन को अपनाने वाले हमारे देश में संत परम्परा अब धर्म कर्म के साथ-साथ शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा समेत हर क्षेत्र से जुड़ रही है। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि देश के लाखों संत और सैकड़ों मठ व्यवस्थाएं भारत को आधुनिक और सम्पन्न बनाने और देश को लोगों में अच्छे मूल्य विकसित करने में अहम भूमिका निभाएं और कई ऐसा कर भी रहे हैं। देश के भविष्य के लिए यह बहुत उपयोगी है। भाजपा से चार बार सांसद रहे अवैद्यनाथ अयोध्या राम मंदिर आंदोलन में अग्रणी रहे थे। उनका वर्ष 2014 में निधन हो गया था। सरकार ने पिछले वर्ष उनकी पहली जयंती पर एक डाक टिकट जारी किया था। इस मौके पर गोरखपुर से सांसद एवं गोरखनाथ पीठ के महंत योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री मोदी के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री पुरानी परम्पराओं को भी आगे बढ़ा रहे हैं और उनके प्रयास का ही नतीजा है कि संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक और संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार भी इस अवसर पर मोदी के साथ मंदिर में मौजूद थे।  
मैं सीएम के रेस में नहीं, योगी हूं योगी रहूंगा 
 पूर्वांचल में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वो यूपी में सीएम की रेस में नहीं हैं, वो योगी हैं और योगी ही रहेंगे. पार्टी का एक बड़ा गुट खासकर हिंदूवादी गुट ये चाहता है कि योगी के चेहरे को आगे कर चुनाव हों. कानपुर में हाल में हुई संघ की बैठक के बाद कई संगठनों ने मोहन भागवत से मुलाकात कर योगी आदित्यनाथ को सीएम प्रोजेक्ट करने की मांग भी की थी. लेकिन आज योगी ने इस पर ये कहकर विराम लगा दिया कि किसी के नाम की मांग करना संगठन और व्यक्ति का अपना अधिकार है. मैं किसी रेस में नहीं हूं. योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बीजेपी का यूपी चुनावों में चेहरा कौन होगा, ये संसदीय बोर्ड तय करेगा. मैं कोई चेहरा नहीं हूं. पार्टी का कार्यकर्ता हूं. सांसद हूं और एक सांसद के रूप में पार्टी जहां चाहेगी, मैं वहां कैंपेन करूंगा. किसी के नाम की मांग करना संगठन और व्यक्ति का अपना अधिकार है. किसी का चेहरा आगे करना है कि नहीं ये बीजेपी संसदीय बोर्ड को तय करना है. बीजेपी में एक चेहरा मोदी जी का है, जो सर्वमान्य है उन्होंने देश दुनिया में ये साबित किया है. ये बीजेपी संसदीय बोर्ड तय करने में सक्षम है कि किसका चेहरा आगे करें या नहीं. यूनिफॉर्म सिविल कोड या यूपी चुनाव की तैयारी ?
अखिलेश आनंद 
क्या ये महज एक इत्तेफाक है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही केन्द्र की बीजेपी सरकार को यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता की याद आ गई? क्या वजह है कि मोदी सरकार को सत्ता में आने के बाद ये समझने में दो साल का वक्त लग गया कि अब यूनिफॉर्म सिविल कोड पर आगे बढ़ना है ? जबकि बीजेपी के सबसे बुनियादी मुद्दों में से एक है यूनिफॉर्म सिविल कोड. पूर्ण बहुमत के सात सत्ता में आने के बावजूद बीजेपी यूनिफॉर्म सिविल कोड को भूली बैठी थी. अब जाकर कानून मंत्रालय ने लॉ कमीशन को चिट्ठी लिखकर कोड पर पड़ताल करने को कहा है. मोदी सरकार ने कमीशन से कोड से संबंधित सभी पहलुओं की जांच करने को कहा है. सवाल ये है कि आजादी के 6 दशक बीत जाने के बाद भी जिस यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सहमति नहीं बन पाई है, क्या अब बन पाएगी या फिर इसे फिर से एक चुनावी शिगूफे के तौर पर ही देखा जाए? अभी देश में हर मजहब के लोगों के लिए शादी, तलाक और जमीन जायदाद के बंटवारे से संबंधित अलग अलग कानून हैं. इन मामलों में धर्म विशेष के अपने पर्सनल लॉ हैं. ऐसा नहीं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का जिन्न पहली बार बोतल से बाहर निकला हो. इस मसले पर बहस होती रहती है लेकिन अब तक ये राय मशविरा अंतहीन ही नजर आया. साल 1985 में शाह बानो केस के बाद यूनिफॉर्म सिविल कोड सबसे ज्यादा चर्चा में आया. सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो के पूर्व पति को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया लेकिन राजीव गांधी की तत्कालीन सरकार ने संसद में विवादास्पद कानून पेश कर दिया जिसके बाद से यूनिफॉर्म सिविल कोड भारत की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बना. आज बड़ा सवाल यही है कि आखिर यूनिफॉर्म सिविल कोड में दिक्कत क्या है? क्यों ना देश में सभी के लिए एक ही कानून हो ? हालांकि इसके विरोध में तर्क देने वाले कहते हैं कि भारत जैसे बहुलवादी और विविधतापूर्ण देश में आप समान नागरिक संहिता नहीं लागू कर सकते क्योंकि अनेकता में एकता ही भारत की पहचान है. जैसी की उम्मीद थी, इस मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है. अपने अपने नफा नुकसान के नजरिए से राजनीतिक दलों ने इस पर सियासी रोटी सेंकनी शुरु भी कर दी है. हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हमारे संविधान में 16 नीति-निर्देशक सिद्धांत हैं. इनमें से एक पूरी तरह शराब निषेध के बारे में बात करता है. हम इसके बारे में बात क्यों नहीं करते और पूरे भारत में संपूर्ण मद्यनिषेध क्यों नहीं कराते क्योंकि दिशानिर्देशक सिद्धांत के तौर पर इसका भी उल्लेख है. ओवैसी ने कहा कि इस तरह के आंकड़े हैं कि कई महिलाओं को प्रताड़ित किया जा रहा है या उनके शराबी पति उन्हें पीट रहे हैं और सड़क दुर्घटनाओं की बड़ी वजह में भी नशे में गाड़ी चलाना शामिल है. ओवैसी ने ये तर्क भी दिया कि संविधान के अनुच्छेद 371 की एक धारा नगा और मिजो नागरिकों को विशेष प्रावधान प्रदान करती है. उन्होंने पूछा कि क्या आप इसे भी हटा देंगे.
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