नई दिल्ली। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आइसीएचआर) के अध्यक्ष वाई सुदर्शन राव द्वारा पांच महीने पहले व्यक्तिगत आधार पर पद छोड़ने की अनुमति देने के अनुरोध के साथ भेजे गए पत्र ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को असमंजस में डाल दिया है और अधिकारियों का कहना है कि यह पत्र इस्तीफा नहीं है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय से कोई जवाब नहीं मिलने पर राव अपने पद पर बने हुए हैं।
एचआरडी मंत्री स्मृति ईरानी को पिछले साल नवंबर में भेजे अपने पत्र में राव ने कहा था, ‘कृपया मुझे आइसीएचआर, नई दिल्ली के अध्यक्ष पद से व्यक्तिगत आधार पर मेरा इस्तीफा देने की अनुमति दें और आपसे इसे स्वीकार करने का अनुरोध करता हूं। राव उस समय तक इस शीर्ष पद पर एक साल से अधिक समय पूरा कर चुके थे। हालांकि पत्र के शब्दार्थ में जाते हुए मंत्रालय के अधिकारियों को लगता है कि इस्तीफा सौंपने की अनुमति मांगना पद छोड़ने के समान नहीं है। इस तरह आइसीएचआर की वेबसाइट पर अपना इस्तीफा भेजने का नोट डाले जाने के कुछ महीने बाद भी राव इस संस्था के प्रमुख की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। जब एचआरडी मंत्रालय के एक अधिकारी से पूछा गया कि मंत्रालय ने पत्र पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की तो उन्होंने कहा, ‘पत्र की भाषा से मानव संसाधन विकास मंत्रालय को लगा कि यह इस्तीफा देने की अनुमति मांगने का अनुरोध है। इसलिए मंत्रालय ने इसे त्यागपत्र के तौर पर नहीं लिया है’। एक और वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमने राव के पत्र को इस्तीफा नहीं माना है। लेकिन हम आने वाले दिनों में उनके पत्र का जवाब भेज सकते हैं’। मंत्रालय के तर्क पर प्रतिक्रिया लेने के लिए जब राव को ईमेल भेजा गया और फोन किए गए तो उनका कोई जवाब नहीं आया।
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