नई दिल्ली। संसद में आज भी अगस्तावेस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील पर संग्राम जारी रहने के आसार हैं। बीजेपी-कांग्रेस की जुबानी जंग के बीच अब सरकार ने जांच के साथ आगे बढ़ने की योजना बनाई है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि सरकार यह मानती है कि मौजूदा दस्तावेज सोनिया गांधी और दूसरे कांग्रेस नेताओं पर मुकदमा चलाने या उन्हें सजा देने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। इसकी जांच के लिए यह पता करना जरूरी है कि घूस की रकम कहां गई? इससे पहले गुरुवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के उस बयान पर निशाना साधा, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह किसी से नहीं डरतीं। शाह ने कहा कि वह नहीं डरती हैं, लेकिन बीजेपी संविधान, लोकलाज से डरती है। इधर, कांग्रेस ने भी अपने बचाव में हमलावर रुख़ अपना रखा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने अगस्तावेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदा मामले में संलिप्तता के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के आरोपों से इनकार किया और कहा कि अगर उनके खिलाफ कुछ भी गलत पाया जाता है, तो उन्हें फांसी पर लटका दिया जाए। पटेल ने कहा कि ये आरोप निराधार हैं। वे किस आधार पर मेरा नाम ले रहे हैं? मेरा लिखा कुछ नहीं है। मैंने कुछ नहीं लिखा। यह दुर्भावनापूर्ण है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार आरोप लगा रही है तो उसे जांच भी करनी चाहिए। अगर मेरे खिलाफ कुछ भी गलत पाया जाता है तो उन्हें मुझे फांसी पर लटका देना चाहिए। कांग्रेस के एक अन्य नेता ऑस्कर फर्नांडीस ने कहा, यदि सरकार के पास कोई सूचना है, तो उसे सामने लाए और सदन में बयान दे।
कांग्रेसी नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि दो साल से मोदी सरकार क्या कर रही है? रिश्वत देने वाले और लेने वाले पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? क्या मनोहर पर्रिकर बताएंगे कि 22 अगस्त 2014 को रक्षा मंत्रालय ने इस कंपनी की ब्लैक लिस्टिंग खत्म करके रक्षा मसौदे में भाग लेने की इजाजत क्यों दी? केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि दलों में मौजूद बिचौलियों की बेचैनी साफ दिखाई दे रही है। इससे एक बात साफ है कि सच्चाई अब छुप नहीं पाएगी। कानून अपना काम करेगा। मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि इटालियन कोर्ट में जिस तरह से करप्शन के आरोप साबित हुए हैं और जिस तरह कांग्रेस के नेता का नाम उभर कर सामने आया है, इससे साफ है कि अगस्तावेस्टलैंड का ये स्कैम कांग्रेस के गले की फांस बन गया है। बीजेपी नेता राममाधव ने ट्वीट किया है कि अगस्तावेस्टलैंड से बोफोर्स की याद ताजा हो गई है। कोई गुनाहगार नहीं, कोई शर्म नहीं, लूट जारी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं ये सोच रहा था कि खुदा न खास्ता कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की जगह मेरा नाम होता तो पीएम मोदी आधा घंटा भी नहीं लगाते गिऱफ्तारी करने में। सारी एजेंसियां घर के बाहर खड़ी होतीं। जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने कहा कि सोनिया गांधी कह चुकी हैं कि अगर उनके विरुद्ध कोई साक्ष्य है तो सरकार प्रस्तुत करे और कार्रवाई करे। खाली राजनीति न करें। ऐसा मेरा भी मानना है।
डील कैंसिल होने पर नहीं लौटाए पैसे
ऑगस्टां वेस्टलैंड हेलीकॉप्टार सौदे में घोटाले का खुलासा होने के बाद विवाद बढ़ता ही जा रहा है। इटली की कोर्ट के फैसले में भारतीय नेताओं व अन्यह को रिश्वात देने की बात सामने आने के बाद सियासी तूफान खड़ा हो गया है। इस डील में कांग्रेस के कई नेताओं के नाम सामने आए हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, करीब 53 करोड़ डॉलर का कांट्रैक्ट हासिल करने के लिए कंपनी ने भारतीय को 120-125 करोड़ रुपये तक की रिश्वत दी थी। अब एक और सनसनीखेज खुलासा हुआ है कि ऑगस्टाग वेस्ट़लैंड कंपनी ने इस डील के कैंसिल होने के बाद भारत को अब तक पैसे नहीं लौटाए हैं। बताया जा रहा है कि तीन चॉपर्स के लिए कंपनी को 800 करोड़ रुपये दिए गए थे। रिपोर्ट के अनुसार, डील कैंसिल होने के बाद ऑगस्टाी वेस्ट लैंड कंपनी ने भारत को 800 करोड़ रुपए अब तक नहीं लौटाए हैं। जबकि यह डील 3600 करोड़ में हुई थी। रिपोर्टों के अनुसार, भारत की ओर से कंपनी को गई डाउन पेमेंट डील कैंसल होने के बाद नहीं लौटाई गई। घोटाला सामने आने के बाद कंपनी ने ये हेलीकॉप्टलर भारत को भेजे थे, जो अभी भी पालम एयरबेस पर हैं। डील कैंसिल होने के बाद इनका इस्तेमाल नहीं किया गया। कंपनी ने भारत में तीन हेलीकॉप्टर भेजे थे, जिसे एयरफोर्स ने 2012 में स्वीकार किया था। इससे 9 महीने पहले इटली में ऑगस्टा वेस्टलैंड में करप्शन को लेकर पहली गिरफ्तारी हुई थी। करप्शन सामने आने के बाद भारत सरकार ने डील कैंसिल कर ऑगस्टा1 वेस्टलैंड से पेमेंट की वसूली के लिए मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू की, तब तक ये हेलीकॉप्टर्स 556 घंटों की उड़ान भर चुके थे। रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2013 में संसद में कैग की रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें दो गड़बड़ियों की तरफ इशारा किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया कि कॉन्ट्रैक्ट नेगोशिएशन कमेटी ने कॉस्ट 4877.5 करोड़ बताई थी, जबकि जनवरी 2006 में इसकी कीमत 793 करोड़ मानी गई थी। लिहाजा नई कॉस्ट छह गुना ज्यादा थी। वेंडर ने 3966 करोड़ की कॉस्ट ऑफर की थी जबकि कमेटी उससे 22.80 पर्सेंट ज्यादा यानी 4877.5 करोड़ रुपए देने को राजी थी। गौर हो कि वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले को लेकर हुए विवाद के बीच सरकार ने कहा कि सौदे के बारे में वह सीबीआई से रिपोर्ट मांगेगी और ऑगस्टाव वेस्टलैंड और इसकी मूल कंपनी फिनमेकेनिका को काली सूची में डालने की पहल करेगी। साथ ही सरकार ने दावा किया कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने घोटाले में घिरी कम्पनी पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया था।
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