ताज़ा ख़बर

क्या उत्तराखंड में सीएम हरीश रावत की कुर्सी बचेगी?

देहरादून (शिव जोशी, बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए)। उत्तराखंड सरकार में नंबर दो मानी जाने वाली संसदीय कार्य और वित्त मंत्री इंदिरा हृदयेश ने पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के पाला बदलने के क़दम को आत्मघाती क़रार दिया है. इंदिरा हृदयेश ने कहा, ''सरकार की संवैधानिक स्थिति मज़बूत है और इस पर किसी तरह का कोई संकट नहीं है. बाग़ी विधायकों को राज्यपाल के सामने अपनी स्थिति साफ़ करनी होगी. मैं स्पीकर के साथ राज्यपाल से मिलने जाऊंगी और उन्हें पूरी स्थिति बताऊंगी कि किस तरह व्हिप की अवहेलना की गई है.'' हृदयेश के मुताबिक़, ''एक-एक कर सारे विधेयक पारित किए गए. आख़िर में इन तमाम विभागीय बजटों के सार विनियोग विधेयक को भी ध्वनि मत से पास करा दिया गया, इससे ये लोग बिदक गए. यह बहुत हैरानी की बात है.'' दूसरी ओर, भाजपा के वरिष्ठ नेता भगत सिंह कोश्यारी ने कहा,"हम राज्यपाल से सरकार को बर्खास्त करने की मांग करेंगे." भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री हरीश रावत की सरकार को "राक्षस राज" बताया है. कांग्रेस के बाग़ी विधायकों में हरक सिंह रावत, उमेश शर्मा काउ, सुबोध उनियाल, कुंवर प्रणव सिंह, अमृता रावत, शैलेंद्र सिंघल, विजय बहुगुणा, शैला रानी रावत, प्रदीप बत्तरा शामिल हैं. इस राजनीतिक ड्रामे के बाद सबसे पहले कांग्रेस से बग़ावत कर भाजपा का दामन थामने वाले नौ विधायकों की सदस्यता जा सकती है, क्योंकि उन्होंने पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया है. सरकार बनाने में भाजपा को मदद करने की उनकी कोशिश का कोई महत्व नहीं है. इन विधायकों की कुल संख्या भाजपा विधायकों की संख्या की एक तिहाई से कम है. लिहाज़ा, उन्हें अलग राजनीतिक धड़े के रूप में सदन में मान्यता नहीं मिल सकती. गेंद अब राज्यपाल के पाले में है. उत्तराखंड में पैदा हुए संवैधानिक और राजनीतिक संकट के मद्देनज़र जो स्थितियां बन सकती हैं, उनमें पहली यह है कि सरकार सदन में बहुमत साबित कर दे. दूसरी स्थिति यह हो सकती है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए. तीसरी हालत यह भी हो सकती है कि हरीश रावत विधानसभा भंग करने और मध्यावधि चुनाव कराने की सिफ़ारिश राज्यपाल से करें और राज्यपाल उसे मान लें. चौथी स्थिति में राज्यपाल सरकार को बर्खास्त कर भाजपा को सरकार बनाने के लिए बुलाएं और सदन में बहुमत साबित करने को कहें. अब देखते हैं कि आंकड़े क्या कहते हैं. सदन में शुक्रवार को बजट पर चर्चा के दौरान 70 में से 68 विधायक मौजूद थे. कांग्रेस के कुल 36 विधायक हैं. बसपा के दो, उत्तराखंड क्रांति दल का एक और तीन निर्दलियों का समर्थन उन्हें हासिल है. इस तरह सदन में सरकार के पास 42 विधायकों का समर्थन है. नौ विधायक शुक्रवार को बाग़ी हो गए तो कांग्रेस के पास 33 विधायके बचेंगे. विधानसभा स्पीकार को भी इसमें जोड़ दें तो उसके पास विधायकों की कुल तादाद 34 होती है. भाजपा के 28 विधायक हैं, जिनमें दो शुक्रवार को मौजूद नहीं थे. इनमें से एक गणेश जोशी जेल में हैं और दूसरे भीमलाल आर्य ग़ैरहाज़िर रहे. वे हरीश रावत के नज़दीकी माने जाते हैं. इसलिए अगर वोटिंग की नौबत आई तो भीमलाल शुक्रवार की तरह फिर ग़ैरहाज़िर रह सकते हैं. शुक्रवार के हालात के बाद भाजपा के मौजूदा 26 में कांग्रेस के नौ बाग़ी विधायकों को भी शामिल कर दें, तो उसका आंकड़ा 35 हो जाता है. यह बहुमत से एक कम है. वोटिंग की स्थिति में अगर जेल में बंद गणेश जोशी को मतदान में भाग लेने की अनुमति मिल पाती है, तो भाजपा के पास 36 यानी बहुमत का आंकड़ा हो जाता है. लेकिन सवाल यह है कि क्या इस आंकड़े को तौलने की नौबत आएगी या सदन में ताक़त दिखाने का मौका आया भी तो आंकड़े कहां से कहां खिसक जाएं. सवाल यह भी है कि क्या राज्यपाल कुछ अलग ही फ़ैसला करेंगे? (साभार)
  • Blogger Comments
  • Facebook Comments

0 comments:

Post a Comment

आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।

Item Reviewed: क्या उत्तराखंड में सीएम हरीश रावत की कुर्सी बचेगी? Rating: 5 Reviewed By: newsforall.in