झज्जर (हरियाणा)। हरियाणा में जारी जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान शनिवार को भड़की हिंसा में कुल आठ लोगों की मौत हुई है। चंडीगढ़ में मौजूद स्थानीय पत्रकार संजय शर्मा ने एडिशनल चीफ़ सेक्रेटरी पीके दास के हवाले से जानकारी दी है कि झज्जर में सेना और भीड़ के बीच हुए संघर्ष में सात लोग मारे गए हैं जबकि कैथल ज़िले के कलायत में एक गुटीय संघर्ष में एक व्यक्ति की मौत हुई है। इससे पहले एक व्यक्ति की शुक्रवार को रोहतक में पुलिस फ़ायरिंग में मौत हो गई थी। हरियाणा में जाट आंदोलन शुरू होने से कई ज़िलों में तनाव बना हुआ है। रास्ते बंद होने की वजह से रोहतक में हेलीकॉप्टर के ज़रिए फ़ौज को उतारा गया।
उधर, झज्जर शहर में सभी दुकानें बंद रहीं और रोहतक हाईवे पर ट्रकों की लंबी क़तारें देखी गईं। सोनीपत में भी जाम के हालात दिखे। सड़कों पर प्रदर्शनकारी जमे रहे और वहां भी रोहतक हिंसा का असर देखा जा रहा है। आंदोलनकारियों ने अपने साथियों से रोहतक जाने और वहां आंदोलनकारियों का साथ देने का आह्वान किया है। अखिल भारतीय जाट आरक्षण समिति के लोग भी धरनास्थल पर नज़र नहीं आए। ऐसे में लगता है कि उनके हाथ से आंदोलन निकलकर नौजवान आंदोलनकारियों के हाथों में चला गया है। बताया जाता है कि इसके चलते सरकार और सुरक्षाबलों को उनसे बात करने और समझाने-बुझाने में परेशानी हो रही है। अखिल भारतीय जाट आरक्षण समिति ने 21 फरवरी से आंदोलन का ऐलान किया था, मगर यह 14 फरवरी से ही शुरू हो गया। उस दिन हरियाणा में हुई खाप पंचायतों की बैठकों के बाद लोग सड़कों पर उतर आए। झज्जर में यातायात और लोगों की आवाजाही पूरी तरह बंद है। झज्जर के पास कई ट्रक गुरुवार से फंसे हैं। कुछ ड्राइवरों ने बीबीसी को बताया कि उन्हें डर है कि हिंसा भड़की तो कहीं उनके ट्रकों को निशाना न बनाया जाए। झज्जर में शनिवार को एक मंत्री के घर पर हमला हुआ और पुलिस और सुरक्षा बलों के साथ भी आंदोलनकारियों की झड़पें हुईं।
इससे पहले रोहतक में एक पेट्रोल पंप और पुलिस स्टेशन पर लोगों ने आग लगा दी थी। जींद में रेलवे स्टेशन पर पेट्रोल बम फेंका गया था जिससे स्टेशन के एक सेक्शन में आग लग गई थी। हरियाणा पुलिस का कहना है कि आग पर फौरन क़ाबू पा लिया गया. संवेदनशील इलाक़ों में सुरक्षा बल फ़्लैग मार्च कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने लोगों से शांति बनाए रखने और आगज़नी या हिंसा न करने की अपील की है। मौजूदा मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी कहा है कि उनकी बातों पर विचार किया जा सकता है। मगर आंदोलनकारियों का कहना है कि जब तक उन्हें आरक्षण नहीं मिल जाता, तब तक वो सड़कों से नहीं हटेंगे। आंदोलनकारियों का कहना है कि सरकार ने उनसे धोखा किया है। उनके मुताबिक़ सरकार ने छह महीने पहले कहा था कि वह आरक्षण देगी, लेकिन उसके बाद उन्होंने आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग को आरक्षण देने की बात की।
जाट आंदोलनकारी कह रहे हैं कि उन्हें ओबीसी से नीचे कोई स्टेटस मंज़ूर नहीं है। उधर, शनिवार बीजेपी सांसद राजकुमार सैनी ने कहा था कि अगर ओबीसी कोटे के लिए निर्धारित आरक्षण में कटौती करके उसे जाटों को दिया गया तो वह इस्तीफ़ा भी दे सकते हैं। इसके बाद उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
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