नई दिल्ली। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने साल 2012 में सेना के दिल्ली कूच करने की खबर को सही बताया है. मनीष तिवारी का ये बयान विदेश राज्यमंत्री और उस समय आर्मी चीफ रहे वीके सिंह के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है. मनीष तिवारी दिल्ली में एक किताब के विमोचन के कार्यक्रम में पहुंचे थे. मनीष तिवारी से पूछा गया था कि क्या सेना ने मनमोहन सिंह के पीएम रहते वक्त दिल्ली कूच किया था? जिसका जवाब देते हुए मनीष तिवारी ने कहा कि दुर्भाग्यवश ये सही खबर थी. 4 अप्रैल 2012 को अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने एक खबर छापकर दावा किया था कि सरकार की बिना इजाजत के सेना की दो टुकड़ियां दिल्ली की तरफ बढ़ रहीं हैं. हालांकि तत्कालीन सरकार ने उस वक्त इस खबर का खंडन कर दिया था. मनीष तिवारी अप्रैल 2012 में तो मंत्री नहीं थे लेकिन अक्टूबर 2012 में सूचना प्रसारण मंत्री बनाए गए थे.
अब मनीष तिवारी के दावे को तत्तकालीन सेना अध्यक्ष जनरल वीके सिंह, तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी और कांग्रेस ने झुठला दिया है. लेकिन इंडियन एक्सप्रेस के तत्कालीन संपादक शेखर गुप्ता अभी भी खबर पर कायम हैं. शेखर गुप्ता का कहना है कि हम अपनी इस बात पर कायम है. इस खबर पर मनीष तिवारी के बयान से एक बार फिर मुहर लग गई है. केंद्रीय मंत्री और सेना के पूर्व अध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने मनीष तिवारी के दावे को खारिज कर दिया है. वीके सिंह ने कहा है कि मनीष तिवारी अभी खाली है लिहाजा उनके पास कहने को कुछ नहीं है. वीके सिंह ने तिवारी को किताब पढने की सलाह दी है. सेना द्वारा दो साल पहले तख्ता पलटने की खबर के मामले में जनरल वी के सिंह ने उज्जैन में आज बढ़ा बयान दिया है. मनीष तिवारी के बयान पर पलटवार करते हुए जनरल वी के सिंह ने कहा की मनीष तिवारी को मेरी किताब पड़ना चाहिए उन्हें समझ आ जाएगा. जनरल वी के सिंह उज्जैन में महाकाल भगवान के दर्शन करने आए हुए थे. तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी ने एबीपी न्यूज से कहा है कि सेना मार्च को लेकर संसद में तब जो बयान दिया था उस पर कायम हूं. हम आपको बता दें कि 2012 में भी रक्षा मंत्री रहे एंटनी ने इस खबर का खंडन किया था. मनीष तिवारी के बयान से कांग्रेस ने पल्ला झाड़ लिया है. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि मनीष तिवारी न तो उस समय फैसले लेने वालों में थे. न ही उनके दावे में कोई सच्चाई है. कांग्रेस ने मनीष तिवारी को आगे ऐसे बयान न देने को कहा है.
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