नई दिल्ली (विनीत खरे)। पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के गिलगित-बल्टिस्तान इलाक़े को संवैधानिक तौर पर पाकिस्तान का प्रांत बनाने के विकल्पों पर एक समिति काम कर रही है। पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर को भारत अपना हिस्सा कहता है और गिलगित बल्टिस्तान इसी में है। गिलगित बल्टिस्तान के मुख्यमंत्री हफ़ीज़ुर्रहमान ने बीबीसी हिंदी सेवा को दिए एक इंटरव्यू में समिति के बारे में बताया। लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया है कि इस सिलसिले में अभी कोई फ़ैसला नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि समिति कुछ दिनों में अपनी सिफ़ारिशें पाकिस्तान सरकार को भेजेगी।
चीन गिलगित-बल्टिस्तान के क्षेत्र में लाखों डॉलर का निवेश कर रहा है. इसको लेकर भारत ने आपत्ति भी जताई है। पाकिस्तान को चीन से जोड़ने के लिए ये अहम संपर्क क्षेत्र है और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) के मुख्य मार्ग पर स्थित है। हफ़ीज़ुर्रहमान ने कहा कि पिछले साल जून में गिलगित बाल्टिस्तान में हुए चुनावों में उन्होंने इसे अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था। पारंपरिक रूप से पाकिस्तान कहता रहा है कि कश्मीर एक विवादित क्षेत्र है और इसके दर्जे के बारे में संयुक्त राष्ट्र के 1948-49 के प्रस्ताव के तहत जनमत संग्रह से फ़ैसला होना चाहिए। रहमान ने कहा, ''रायशुमारी की बात थी. अगर भारत रायशुमारी नहीं कराना चाहता तो कम से कम पाकिस्तान तो रायशुमारी कराए।'' पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर और गिलगित बाल्टिस्तान दो अलग-अलग हिस्से हैं और इन दोनों क्षेत्रों की अपनी अलग-अलग विधायिकाएं हैं. तकनीकी तौर पर ये पाकिस्तान का हिस्सा नहीं हैं।
उधर इस्लामाबाद से बीबीसी संवाददाता हारुन रशीद के मुताबिक़ पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक़ गिलगित बल्टिस्तान फ़िलहाल एक ऑटोनॉमस इलाक़ा है और उसकी अपनी एक काउंसिल है जिस पर एक वज़ीर-ए-आला शासन करता है। कश्मीर का इलाक़ा इससे अलग है. कश्मीर को विवादित क्षेत्र माना जाता है. पाकिस्तान अपने इलाक़े को आज़ाद कश्मीर कहता है। मसला यह है कि 1846 में जब डोगरा पूरी कश्मीर घाटी पर शासन करते थे तो उन्होंने गिलगित बल्टिस्तान पर क़ब्ज़ा कर लिया था और इसे अपने साथ मिला लिया था। हारुन के अनुसार जब भारत का 1947 में विभाजन हुआ तो गिलगित-बल्टिस्तान का मामला दोनों देशों के बीच अनिर्णीत रह गया. कश्मीर पर तो दोनों देश दावा करते थे लेकिन गिलगित बलटिस्तान की व्याख्या नहीं की गई। भारत का कहना रहा है कि कश्मीर के साथ गिलगित और बाल्टिस्तान उसका इलाक़ा है तो इस वजह से पाकिस्तान भी इस मामले को नहीं सुलझा नहीं सका और इस इलाक़े को अपने संविधान के अंदर नहीं ला सका, क्योंकि अगर पाकिस्तान गिलगित बाल्टिस्तान को अपना हिस्सा बनाता है, पांचवां सूबा बनाता है तो फिर कश्मीर पर उसका केस कमज़ोर होता है। इस वजह से गिलगित बल्टिस्तान का मामला लटका रह गया था। हारुन रशीद के अनुसार अब मामला चीन से आने वाले 50 बिलियन डॉलर निवेश का है तो इसे सुनिश्चित करने के लिए पाकिस्तान सरकार गिलगित बल्टिस्तान पर ग़ौर कर रही है। हारुन रशीद बताते हैं कि पाकिस्तान सरकार का मानना है कि कश्मीर का मसला जब सुलझेगा तब सुलझेगा, लेकिन जो गिलगित बाल्टिस्तान का मसला है उस पर एक क़दम आगे लेकर जाया जाए और संविधान में इसको जगह दी जाए ताकि चीन के निवेश को सुनिश्चित किया जा सके। (साभार बीबीसी)
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