काबुल। पीएम नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान में भारत के सहयोग से तैयार नए संसद भवन का उद्घाटन किया। इस मौके पर उनके साथ अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी भी मौजदू थे। पीएम मोदी ने कहा कि यह इमारत दोनों देशों के बीच दोस्ती का प्रतीक है। अफगानिस्तान की नई संसद में पीएम मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान में लोकतंत्र मजबूत हो रहा है। बुलेट को बैलेट से हराना होगा। पीएम ने यहां कहा, शब्दों को ऊंचाई दें, आवाज को नहीं, क्योंकि फूल बारिश में पैदा होते हैं, तूफान में नहीं। अफगानिस्तानी संसद में अटल ब्लॉक भी है। पीएम मोदी ने कहा कि आज से अच्छा दिन इस संसद के उद्घाटन के लिए हो नहीं सकता था, क्योंकि आज उन अटल जी का जन्मदिन है, जिन्होंने आपके पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई के साथ मिलकर इस संसद का सपना देखने की शुरुआत की थी।
भारत मेडिकल, सेटेलाइट, सुरक्षा क्षेत्र और युवाओं को ट्रेनिंग देता रहेगा। यहां के लोगों ने भारतीयों की रक्षा के लिए जान दी है। भारत और अफगानिस्तान कभी एक दूसरे खिलाफ नहीं हुए। भारत मजबूत अफगानिस्तान के लिए काम करता रहेगा। हम अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह निभाएंगे। नए अफगानिस्तान के निर्माण में सबको सहयोग करना होगा और विकास के लिए सीमापार आतंक को रोकना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ही दो दिवसीय रूस यात्रा संपन्न करने के बाद अब अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पहुंचे। उनका यहां राजकीय स्वागत किया गया, जिसके बाद गनी ने राष्ट्रपति भवन में उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। दोनों नेता एक-दूसरे से गले मिलते दिखाई दिए। युद्ध से जूझ रहे अफगानिस्तान में भारत की मित्रता की मिसाल के तौर पर बनने वाली इस संसद का काम 2007 में शुरू हुआ। इस इमारत को भारत की ओर से अफगानिस्तान को लोकतंत्र की प्रतीकात्मक भेंट करार दिया जा रहा है। इसे नवंबर 2011 में ही बनकर तैयार होना था, लेकिन इसकी तिथि दो बार बढ़ानी पड़ी। इसका डिजाइन मुगल और आधुनिक कला पर आधारित है। पीएम की यह यात्रा अफगानिस्तान को तीन रूसी हेलीकॉप्टर एमआई 25 गनशिप पहुंचाने के दो दिन बाद हो रही है। ये हेलीकॉप्टर मशीन गन, रॉकेट और ग्रेनेड लॉन्चरों से लैस हैं। मोदी की इस यात्रा को लेकर अफगानिस्तान में भी खासी उत्सुकता दिखी। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी की यह पहली काबुल यात्रा है और मोदी से पहले 2011 में मनमोहन सिंह ने काबुल का दौरा किया था।
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