मुंबई। पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी की किताब के विमोचन समारोह के आयोजक सुधींद्र कुलकर्णी के चेहरे पर शिवसेना कार्यकर्ताओं द्वारा कालिख पोते जाने की घटना के कुछ घंटे बाद मुंबई में इस पुस्तक को लॉन्च किया गया। शिवसेना ने पुस्तक के विमोचन का कार्यक्रम रद्द करने की मांग की थी। कुलकर्णी के चेहरे पर स्याही पोतने को लेकर मचे गुस्से के बीच शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने साफ किया है वह कार्यक्रम का विरोध करती रहेगी। संजय राउत ने इस घटना को लेकर भड़के गुस्से के बाद संवाददाता सम्मेलन कर कहा, कुलकर्णी पर हुआ हमला हिंसा नहीं है। उनकी पार्टी कसूरी के विरोध पर कायम है और वह पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करती है।
इस घटना की जानकारी देते हुए कुलकर्णी ने कहा, 'शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने मेरे घर के बाहर मुझ पर हमला किया। जैसे ही मैं निकल रहा था उन्होंने मेरे चेहरे पर स्याही पोत दी। उन्होंने मुझसे अपशब्द भी कहे।' इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि इस घटना में आठ से दस सेना कार्यकर्ता शामिल थे। केंद्र और राज्य की सत्ता पर आसीन पार्टी बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने इस घटना की निंदा की है। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं और ये लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं। कुलकर्णी को आडवाणी का करीबी माना जाता है।
अपनी पुस्तक 'नाइदर ए हॉक नॉर ए डोव : एन इंसाइडर्स एकाउन्ट ऑफ पाकिस्तान्स फॉरेन पॉलिसी' के विमोचन के लिए मुंबई आए कसूरी ने कहा, 'मैं इतनी दूर सिर्फ होटल में बैठे रहने नहीं आया। आज जो हुआ, उससे मैं बेहद दुखी हूं। आपके पास विरोध करने का अधिकार है लेकिन सुधींद्र कुलकर्णी के साथ जो हुआ वह विरोध नहीं है। बीजेपी के पूर्व सलाहकार कुलकर्णी की संस्था 'ऑब्जकर्वर रिसर्च फाउंडेशन' मुंबई में कसूरी के पुस्तक का विमोचन कर रही है। स्याही प्रकरण के बाद कुलकर्णी ने कहा, 'शिवसेना को इस तरह का प्रतिबंध लगाने का कतई कोई अधिकार नहीं है। हम पुस्तक विमोचन रद्द नहीं करेंगे।'
कुलकर्णी ने कहा, 'न धमकी से, न सौ बंदूक से, न गोली से... बात बनेगी बोली से।' वहीं सुबह उन्होंने मुख्यमंत्री की तारीफ करेत हुए ट्वीट भी किया। वहीं इस विवाद पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी ट्वीट कर कहा, 'भारत में इस तरह असिहष्णुता बर्दाश्त नहीं की जा सकती। पहले गुलाम अली कॉन्सर्ट और अब कसूरी का पुस्तक विमोचन। हम भारत में देसी तालिबान नहीं चाहते।' इससे पहले शिवसेना ने पड़ोसी देश के आतंकवाद का समर्थन करने का हवाला देते हुए चेतावनी दी थी कि कार्यक्रम अगर रद्द नहीं किया गया तो बाधित किया जाएगा। सेना विभाग प्रमुख आशीष चेंबूरकर ने नेहरू तारामंडल के निदेशक को एक पत्र लिखा था, जिसमें मांग की गई थी कि कार्यक्रम को रद्द किया जाए और आयोजकों को उसके अनुसार सूचित किया जाए।
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