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दलित बच्चों की हत्या पर वीके सिंह बेतुके बोल, ‘कोई कुत्ते को पत्थर मारें, तो भी क्या सरकार जिम्मेवार है’

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने आज कहा कि हरियाणा में दो दलित बच्चों की हत्या से सरकार का कोई लेना-देना नहीं। हालांकि अपनी बात के समर्थन में उन्होंने बेहद ही संवेदनहीन और विवादस्पद तर्क दे डाला। उन्होंने कहा, 'हर चीज़ के लिए सरकार जिम्मेवार नहीं, कहीं उसने पत्थर मार दिया कुत्ते को, तो सरकार जिम्मेवार है, ऐसे नहीं है।' हरियाणा के सुनपेड़ गांव में दलित परिवार के घर हुए हमले को लेकर जब सिंह से पूछा गया तो, 'कभी स्थानीय घटनाओं को सरकार से मत जोड़िये। यह दो परिवारों के बीच मतभेद था, वह मतभेद किस रूप में परिवर्तित हुआ, कहां पर प्रशासन की नाकामी हुई, इसकी जांच की जा रही है।' इसके बाद ही यह उन्होंने विवादित बयान दे दिया। वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वीके सिंह के बयान की निंदा करते हुए कहा कि उनका यह बयान निंदनीय और एससी/एसटी एक्ट के तहत अपराध है। उनके खिलाफ तत्काल केस होना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने पीएम मोदी से वीके सिंह को अपने मंत्रिमंडल से हटाने की भी मांग की। वहीं कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने दिल्ली में कहा, 'यह निंदनीय है, स्तब्ध करने वाला और अमानवीय है। जनरल वीके सिंह ने न सिर्फ देश के पूरे दलित समाज का अपमान किया है, बल्कि सभी भारतीयों का अपमान किया है। यह मोदी सरकार की सोच को दर्शाता है, जो कि दलितों का अपमान करती है, अल्पसंख्यकों का अपमान करती है और गरीबों एवं दलितों को हेय दृष्टि से देखती है।' सुरजेवाला ने मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीके सिंह को हटाएं और उनकी ओर से माफी मांगें। उन्होंने कहा कि मंत्री के खिलाफ अनुसूचित जाति अत्याचार निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने सिंह द्वारा कुत्ता शब्द के इस्तेमाल को 'बेहूदा और घृणित' बताया है। वहीं पार्टी के प्रवक्ता संजय झा ने ट्वीट किया, मोदी जी पिल्लों की बात करते थे, वीके सिंह कुत्ता कहते हैं! क्या यह सरकार इतनी निर्दयी, उदासीन असंवेदनशील है? हालांकि अपने इस विवादस्पद बयान पर बाद में उन्होंने सफाई भी दी। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'मेरे बयान का मक़सद किसी से तुलना करना नहीं था। मैं और मेरे लोग जाति, धर्म और आस्था के परे देश पर मर मिटने को तैयार रहते हैं। वहीं इस बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर बल्लभगढ़ पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे। उन्होंने पीड़ित परिवार को आश्वासन दिया कि दोषियों को जल्द ही सजा दी जाएगी। खट्टर बुधवार को ही गांव को दौरा करने वाले थे, लेकिन गुस्साए ग्रामीणों के विरोध प्रदर्शन की वजह से उन्हें अपना कार्यक्रम रद्द करना पड़ा था। इस मामले में आरोपियों की ओर से भी सफ़ाई आई है। आरोपियों की पत्नियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा है कि जिस समय ये घटना हुई सभी आरोपी अपने घरों में सो रहे थे और इस घटना के बारे में सभी को सुबह पता चला। उनका कहना है कि भला बच्चों को कोई क्यों मारेगा। आरोपियों की पत्नियों ने कहा कि अगर जितेन्द्र के परिवार पर हमला करना ही होता तो तभी कर देते जब जितेन्द्र के परिवार ने तीन लोगों की हत्या की थी।आरोपियों की पत्नियों का कहना है कि जितेन्द्र का अपनी पत्नी से झगड़ा था, इसलिए उसने पत्नी और बच्चों को खुद जला दिया। अगर कोई बाहरी हमला करता तो सबसे पहले जितेन्द्र को मारता लेकिन वो तो पूरी तरह सुरक्षित है। उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें दबंग कहा जा रहा है, जबकि उनके तीन लोग पहले मारे गए। आपको बता दें कि फरीदाबाद से सटे इस गांव में खुद को ऊंची जाति का मानने वाले लोगों ने कथित रूप से दलितों के घरों में आग लगा दी थी, जिसमें ढाई साल के वैभव और 11 महीने की दिव्या की मौत हो गई थी। बच्चों की 28 वर्षीय मां भी 70 फीसदी जली हुई हालत में जिंदगी की जंग लड़ रही है। बच्चों के पिता भी कई जगह से झुलसे हुए हैं। इस मामले में ज़िंदा जले बच्चों के पिता जितेंद्र ने एफ़आईआर में 11 लोगों के नाम लिखवाए हैं उनमें से सात गिरफ़्तार हुए हैं। खास बात यह है कि 2014 में तीन लोगों की हत्या के मामले में ठाकुरों ने जितेन्द्र के परिवार के ख़िलाफ़ जो रिपोर्ट दर्ज कराई थी उसमें भी 11 आरोपी थे। इनमें से आठ अभी भी जेल में हैं।
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