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शेयर बाजार में तीसरी बड़ी गिरावट, निवेशकों के सात लाख करोड़ रुपये हुए धड़ाम

मुंबई। वैश्विक बाजारों में उथल पुथल के बीच दलाल पथ पर 'मारकाट' की हालत थी, जिसमें बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 1,624.51 अंक धराशायी हो गया। यह एक दिन में बंद के स्तर पर सेंसेक्स की यह सबसे बड़ी गिरावट है, जबकि आज दिन में सेंसेक्स एक समय 1700 अंक से भी अधिक टूट गया था। चीन की अर्थव्यवस्था का संकट पहले के अनुमानों से ज्यादा होने की आशंकाओं के बीच वैश्विक स्तर पर सोमवार को निवेशकों में बिकवाली की होड़ लगी थी। भारतीय में इस गिरावट से निवेशकों की बाजार पूंजी को सात लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स एक समय 1,741.35 अंक तक टूट गया था। अंत में यह 5.94 फीसीद गिर कर 25,741.56 अंक पर आ गया। हालांकि वित्तमंत्री अरुण जेटली और रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने बाजार में किसी तरह के भय को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा कि भारतीय बाजारों का आधार मजबूत है और आज की स्थिति के लिए विदेशी कारक जिम्मेदार हैं। ऊर्जा, बैंकिंग, वाहन, आईटी, बुनियादी ढांचा तथा रीयल एस्टेट सभी वर्गों के शेयरों में भारी बिकवाली का सिलसिला चला। रुपया भी इस 'हाहाकार' से बच नहीं पाया और दो साल के निचले स्तर 66.66 प्रति डॉलर पर आ गया। प्रतिशत में तुलना की जाए, तो यह साढ़े छह साल में सेंसेक्स में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है। इससे पहले सात जनवरी, 2009 को सेंसेक्स 7.25 फीसदी टूटा था। एक दिन में कारोबार के दौरान की यह सात साल की सबसे बड़ी गिरावट है। 21 जनवरी, 2008 को सेंसेक्स दिन में कारोबार के दौरान 2,062 अंक तक नीचे आया था। कारोबार के दौरान आज 1,700 से अधिक की गिरावट इस तरह की तीसरी सबसे बड़ी गिरावट है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी अपवाद नहीं साबित हुआ और भारी बिकवाली दबाव में 490.95 अंक के नुकसान से 7,809 अंक पर आ गया। निफ्टी 5.92 फीसदी टूटा। कच्चे तेल की कीमतें कई साल के निचले स्तर पर आने और चीन की वृद्धि को लेकर चिंता बढ़ने से यहां भी धारणा बुरी तरह प्रभावित हुई। बाजार में जोरदार गिरावट के बीच निवेशकों की पूंजी करीब सात लाख करोड़ रुपये घट गई। सभी सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण करीब सात लाख करोड़ रुपये घटकर 100 लाख करोड़ रुपये से नीचे 95,33,105 करोड़ रपये रह गया। इसमें से सूचीबद्ध कंपनियों के प्रवर्तकों को सबसे अधिक चार लाख करोड़ रपये की चोट लगी। विदेशी निवेशकों को डेढ़ लाख करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा, जबकि खुदरा निवेशकों की पूंजी 75,000 करोड़ रुपये घट गई। संस्थागत निवेशकों को भी एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। जियोजित बीएनपी परिबा फाइनेंशियल सर्विसेज के आधारभूत अनुसंधान प्रमुख विनोद नायर ने कहा, 'दो कारणों से बाजार में जोरदार गिरावट आई। उभरती बाजार की मुद्राओं के लिए जोखिम में बढ़ोतरी से रुपये में गिरावट और इंडियन आयल की बिक्री पेशकश के लिए भारी मांग। इसके लिए कुल 9,400 करोड़ रुपये की निकासी की जरूरत हुई।' वहीं कोटक सिक्योरिटीज के दीपेन शाह ने कहा कि इससे लंबे अर्से के लिए कुछ अच्छी बात भी हुई। वैश्विक स्तर पर कच्चा तेल 44 प्रति डॉलर पर आ गया है। एशियाई बाजारों में भी गिरावट का रख रहा। शांघाई बाजार 8.49 फीसदी के नुकसान के साथ बंद हुआ। शुरुआती कारोबार में यूरोपीय बाजार भी नीचे चल रहे थे। बीते शुक्रवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों ने शुद्ध रूप से 2,340.60 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। पूरे दिन में हुए नुकसान के मामले में यह सिर्फ दूसरा मौका है, जब सेंसेक्स 1,000 अंक के अधिक के नुकसान से बंद हुआ है। इससे पहले 21 जनवरी, 2008 को सेंसेक्स 1,408.35 अंक टूटा था। कारोबार के दौरान की बात की जाए, तो यह आठवां मौका है, जबकि एक दिन में कारोबार के दौरान सेंसेक्स 1,000 अंक से अधिक नीचे आया। इससे पहले सात बार 2008 में ऐसा हुआ था।
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