नई दिल्ली। पूर्वोत्तर में शांति स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के तहत केंद्र सरकार ने एनएससीएन यानी नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। प्रधानमंत्री के आवास पर रक्षामंत्री, गृहमंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की मौजूदगी में इस शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। खुद प्रधानमंत्री ने समझौते से ठीक पहले एक ट्वीट कर देश को जानकारी दी कि देश के लिए एक महत्वपूर्ण और मील का पत्थर साबित होने वाली घटना होने जा रही है। पीएम के इस ट्वीट ने पूरे देश में हलचल मचा दी। सब कयास लगाने लगे कि आखिर पीएम मोदी कौन सी खास घोषणा करने वाले हैं।
पूर्वोत्तर में शांति स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के तहत केंद्र सरकार ने एनएससीएन यानी नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। हलचल इसलिए भी क्योंकि ये खबर आई कि पीएम आवास पर देश के गृहमंत्री राजनाथ शिंह, रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पहुंच चुके हैं। लेकिन जल्द ही साफ हो गया कि पीएम का इशारा ऐतिहासिक नागा डील की ओर था जिसके तहत उग्रवादी संगठन एनएससीएन और भारत सरकार के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
एनएससीएन-इसाक मुइवा का गठन 31 जनवरी 1980 को इसाक मुइवा और एसएस खापलांग ने शिलांग समझौते के खिलाफ किया था। शिलांग समझौता नगा नेशनल काउंसिल यानी एनएनसी ने भारत सरकार के साथ किया था। इसके बाद भारत सरकार के साथ वार्ता प्रक्रिया में शामिल होने को लेकर इस संगठन में मतभेद उभर आए और 30 अप्रैल 1988 को एनएससीएन दो गुटों में बंट गया। एक था एनएससीएन-इसाक मुइवा और दूसरा एनएससीएन-खापलांग। एनएससीएन के गठन का उद्देश्य ग्रेटर नागालैंड की स्थापना करना था। इसे नागालिम या पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ नागालैंड भी कहा जाता है जो माओ त्से तुंग की विचारधारा पर आधारित है। एनएससीएन में मुख्यतः तांगखुल नागा भर्ती हुए जो कि नागालैंड और मणिपुर की पहाड़ियों में बहुसंख्यक हैं। इसका प्रभाव मणिपुर के चार जिलों सेनापती, उखरूल, चंदेल और तामांगलोंग में है। ये नागालैंड के वोखा, फेक, जुनोभोटो, कोहिमा, मोकोकचुंग और तुएनसांग जिलों में फैला हुआ है। इसके अलावा असम और अरुणाचल प्रदेश के नागा बहुतायत वाले जिलों में भी अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुका है। एनएससीएन-इसाक मुइवा का गठन 31 जनवरी 1980 को इसाक मुइवा और एसएस खापलांग ने शिलांग समझौते के खिलाफ किया था। एनएससीएन ने एक निर्वासित सरकार भी बना रखी है जो दुनिया भर के संगठनों और मीडिया के साथ औपचारिक और अनौपचारिक बातचीत करता है। इसका तकरीबन 4500 सदस्यों का मजबूत काडर है। इसका वार्षिक बजट 2 से ढाई अरब का है। इसकी आय का मुख्य स्रोत म्यांमार से ड्रग्स की तस्करी है इसके अलावा ये बैंक डकैती, फिरौती आदि से भी पैसा जुटाता है।
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