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आंकड़े चीख रहे हैं कि एक साल में ही खो गई मोदी सरकार की 'चमक'

नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी पिछले साल मई में जब अच्छे दिन का वादा कर प्रधानमंत्री बने थे, तब इंडस्ट्रियल सेक्टर को उनसे बहुत ज्यादा उम्मीदें थीं। लेकिन एक ही साल में सबसे अहम 8 इंडस्ट्रियल सेक्टर्स चमक खोते दिख रहे हैं। फाइनेंशियल ईयर 2014-15 में इन 8 सेक्टर्स की टोटल ग्रोथ रेट 3.8% रही, जो पिछले पांच साल में सबसे कम है। वहीं, इस फाइनेंशियल ईयर के पहले तीन महीने यानी अप्रैल से जून के बीच इन सेक्टर्स की ग्रोथ रेट सिर्फ 2.4% है जो पिछले साल के पहले क्वॉर्टर में 6% थी। केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन के डेटा के मुताबिक कोल और रिफाइनरी सेक्टर्स को छोड़कर बाकी सभी सेक्टर्स में प्रोडक्शन गिरा है। पिछले पांच साल में 8 सेक्टरों में सबसे अच्छी 6.6% की ग्रोथ रेट 2010-11 में रही। उसके बाद 2012-13 में यह ग्रोथ रेट 6.5% रही। पिछले साल यह गिरकर महज 3.8% पर आ गई थी। मोदी सरकार बनने के बाद अहम सेक्टर्स में प्रदर्शन गिरता गया। 2010-11 में स्टील सेक्टर में ग्रोथ रेट 13% से ज्यादा थी। अब यह घटकर 2.8% पर आ गई है। कोयले का प्रोडक्शन 2010-11 में -0.2% से बढ़कर पिछले फाइनेंशियल ईयर में 8.5% हो गया। इसकी वजह नई कोल पॉलिसी है जिसके तहत कोल ब्लॉक का ऑक्शन हुआ था। लेकिन बिजली का प्रोडक्शन बहुत कम हुआ। पिछले साल की पहली तिमाही में यह 11.3% था। इस साल अप्रैल से जून के बीच यह गिरकर 1.5% पर आ गया। इसकी एक वजह कम डिमांड बताई जा रही है। ज्यादातर राज्यों में पिछले साल के मुकाबले बिजली की मांग नहीं बढ़ी। दूसरे सेक्टर्स में ग्रोथ कम होने की वजह इंटरनेशनल मार्केट में स्टील, सीमेंट और पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के रेट में आई गिरावट रही। रियल स्टेट सेक्टर में मंदी का असर भी सीमेंट और स्टील पर पड़ा। डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन के आंकड़ों पर जेएनयू के इकोनॉमिस्ट बी.बी. भट्टाचार्य ने दैनिक भास्कर को बताया कि ये निगेटिव आंकड़े इसलिए हैं क्योंकि नई सरकार ने कामकाज संभालने के बाद पॉलिसी डिसीजन तो लिए लेकिन एक्शन नजर नहीं आया। सिर्फ एफडीआई और अमेरिका-चीन-जापान से आने वाले इन्वेस्टमेंट की ही बात हुई। इस डिपार्टमेंट के आंकड़ों को सारे सेक्टर्स के लिए डाइरेक्शनल इंडिकेशन के रूप में लिया जाना चाहिए। हालांकि, अगले साल जब जीडीपी के आंकड़े आएंगे तो उनमें और इस डिपार्टमेंट के आंकड़ों में फर्क नजर आएगा। इसकी वजह यह है कि इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन के आंकड़ों में 8 कोर सेक्टर्स की ग्रोथ को ही शामिल किया जाता है। इसमें बाकी छोटे सेक्टर्स की ग्रोथ को शामिल नहीं किया जाता। ये आंकड़े ऐसे वक्त सामने आए हैं, जब एक दिन पहले ही मशहूर इंडस्ट्रियलिस्ट राहुल बजाज ने मोदी सरकार के बारे में एक टिप्पणी की थी। बजाज ने कहा था- ऐतिहासिक जीत के साथ सत्ता में आई एनडीए सरकार अब अपनी चमक खोती जा रही है। एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “पिछले साल मई में देश को एक शहंशाह (नरेंद्र मोदी) मिला था। 20-30 साल में दुनिया के किसी भी देश में, किसी को भी ऐसी सक्सेस नहीं मिली। लेकिन अब यह सरकार चमक खो रही है। मैं सरकार के विरोध में नहीं हूं, पर मैं वही बोल रहा हूं, जो सब लोग कह रहे हैं।” (साभार दैभा)
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