नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार का एक साल पूरा होते ही आरोपों की बौछार शुरू हो गई। ललित मोदी को मदद के आरोपों को लेकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सवालों के घेरे में हैं। डिग्री विवाद में स्मृति इरानी पर सवाल उठ रहे हंम और अब व्यापम घोटाले को लेकर मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार संकट में हैं लेकिन एक के बाद एक आरोपों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी पर विरोधी सवाल उठा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता में आए थे और एक साल पूरा होने पर बेदाग सरकार चलाने का दावा भी किया था। लेकिन सोलह मई के बाद ही मोदी सरकार के इस दावे की हवा निकलनी शुरू हो गई। आरोपों के घेरे में नरेंद्र मोदी के मंत्रियों से लेकर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री तक आ गए हैं। व्यापम घोटाले में कांग्रेस मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का इस्तीफा मांग रही है।
36 हजार करोड़ के चावल घोटाले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह फंस चुके हैं। ललित मोदी की गवाही और बेटे के कारोबारी कनेक्शन की वजह से राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे मुश्किल में हैं। ललित मोदी की मानवीय आधार पर मदद कर फंसी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज। 206 करोड़ के चिक्की घोटाले में फंसे महाराष्ट्र सरकार में मंत्री पंकजा मुंडे। बिना ई टेंडरिंग के 191 करोड़ का ठेका देकर फंसे महाराष्ट्र सरकार के मंत्री विनोद तावड़े और डिग्री विवाद में फंसी शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अब विपक्ष पूछ रहा है कि घोटाले के आरोपों से घिरी सरकार पर प्रधानमंत्री खामोश क्यों हैं? तीन हफ्ते के भीतर ही मोदी सरकार विवादों में घिर गई है। पार्टी और सरकार अपने नेताओँ का बचाव तो कर रही है लेकिन प्रधानमंत्री की तरफ से किसी भी नेता या मुख्यमंत्री के लिए कोई बयान नहीं आया है। बड़ा सवाल ये है कि घोटालों पर पीएम मोदी चुप क्यों हैं?
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