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नई दिल्ली। आर्गेनाइजर के एक लेख में एफटीआईआई के अध्यक्ष के रूप में गजेन्द्र चौहान की नियुक्ति के विरोध को ‘हिन्दू विरोधी’ करार दिए जाने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुखपत्र में एक अन्य लेख में आरोप लगाया गया है कि आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान 'भारत विरोधी' और 'हिन्दू विरोधी' गतिविधियों का स्थान बन गए हैं। कुछ आईआईएम द्वारा सरकार के कदमों के विरोध के पीछे राजनीतिक उद्देश्य होने का जिक्र करते हुए लेख में कहा गया है कि वामदल और कांग्रेस अब भी प्रतिष्ठित संस्थाओं पर नियंत्रण किए हुए हैं और दोनों दल संचालक मंडल और निदेशकों के जरिए एक संस्थान पर 'वैचारिक नियंत्रण' के संचालक (मास्टर) हैं। इतना ही नहीं बीते जनवरी माह में बाबा रामदेव ने भी दिल्ली आईआईटी कैम्पस में पहुंचकर ग्रामीण भारत के बाबत व्याख्यान दिया था। इसकी भी चर्चा जोरों पर है।
मुखपत्र में प्रकाशित लेख में आईआईटी बम्बई के संचालक मंडल के अध्यक्ष और जाने माने परमाणु वैज्ञानिक अनिल काकोदकर और आईआईएम अहमदाबाद के अध्यक्ष एएम नाइक की विभिन्न मुद्दों पर चुटकी ली गई है। इसमें हरिद्वार जिले के आईआईटी रुड़की के छात्रों को मांसाहारी भोजन परोसे जाने और राउरकेला में एनआईटी में छात्रों को सामुदायिक हाल में पूजा आयोजित करने से रोके जाने का दावा किया गया है। दोनों यूपीए सरकार के दौरान होने की बात कही गई है। इसमें कहा गया है कि करदाताओं के पैसों से पोषित संस्थान 'भारत विरोधी' और 'हिन्दू विरोधी' गतिविधियों के स्थान बन गए हैं। आएसएस के मुखपत्र में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि निम्न मनोबल वाले संकाय के लोग छात्रों को दिग्भ्रमित कर रहे हैं। ऐसी गतिविधियां या तो संचालक मंडल के संज्ञान में नहीं आती या इन्हें नजरंदाज किया जाता है।
संचालक मंडल को इन संस्थाओं में 'भारत विरोधी' और 'हिन्दू विरोधी' गतिविधियों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। सप्ताहिक में प्रकाशित लेख में काकोदकर पर चुटकी लेते हुए कहा गया है कि वह मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी पर निदेशकों की नियुक्ति को लापरवाही से लेने का आरोप लगाते हैं, लेकिन आईआईटी मुम्बई द्वारा शिक्षकों एवं छात्रों के लिए ‘किस ऑफ लव’ मनाने पर एक शब्द भी नहीं कहते। इसमें शिक्षा क्षेत्र में सरकार से बदलाव लाने का आग्रह किया गया है और इसमें हिन्दुत्ववादी संगठनों की विचारधारा समाहित करने का जिक्र किया गया है। उधर, एनडीटीवी के लिए श्रीनिवासन जैन ने मानस रोशन के सहयोग से लिखे एक एक्सक्लूसिव स्टोरी में कहा गया है कि आमतौर पर आईआईटी दिल्ली का कैंपस बड़ा ही शांत रहता है, लेकिन पिछले कुछ समय से यह कैंपस सुर्खियों में है। इसके पीछे कारण है नई सरकार आने के बाद यहां के डायरेक्टर आरके शेवगांवकर का कैंपस से बाहर होना। अब कैंपस में राजनीतिक दखलअंदाजी पर एक नया ट्विस्ट सामने आ गया है। नए ट्विस्ट का संबंध मानव संसाधन मंत्रालय की 'उन्नत भारत योजना' से है, जो असल में आईआईटी दिल्ली की ही पहल है।
इसकी वेबसाइट पर जानकारी दी गई है कि कैसे आईआईटी जैसे संस्थान ग्रामीण भारत के विकास में योगदान दे सकते हैं। लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि इसी साल जनवरी में आईआईटी दिल्ली में हुई उन्नत भारत की मीटिंग में योग गुरु बाबा रामदेव स्टार गेस्ट की हैसियत से शरीक थे और ये बात मीटिंग के मिनट्स से सामने आयी है। मिनट्स के अनुसार स्वयं प्रो.शेवगांवकर ने बाबा रामदेव का स्वागत किया। कहा जाता है कि उन्नत भारत कार्यक्रम प्रो.वीके विजय और आईआईटी प्रो.राजेंद्र प्रसाद के दिमाग की उपज है और प्रो.विजय फिलहाल आईआईटी में सेंटर रूरल डेवलपमेंट एंड टेक्नोलॉजी के हेड हैं। उन्होंने कहा, बाबा रामदेव यहां आए क्योंकि वो जानना चाहते थे कि ग्रामीण भारत की मदद के लिए क्या किया जा सकता है। लेकिन वहां मौजूद लोगों में आरएसएस की आदिवासी विंग 'वनवासी कल्याण आश्रम' से जुड़े लोग भी शामिल थे। इसलिए कहा जा रहा है कि उन्नत भारत योजना की इस बैठक में ध्यान नवीन तकनीक की बजाय संघ परिवार के पुराने विषयों को देशभर में थोपना था। यहां बाबा रामदेव ने अपने विचार रखे तो कहा कि आईआईटी को गाय और बैल के जेनेटिक कोड पर शोध करना चाहिए। मिनट्स के अनुसार आईआईटी के बड़े-बड़े अधिकारी यहां मौजूद थे। आईआईटी के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरमैन डॉक्टर विजय भटकर भी यहां मौजूद थे और उन्होंने भी गाय पर अपने विचार रखे। डॉ.भटकर ने कहा, 'सभी समस्याओं के समाधान के लिए गाय को साधन स्वरूप इस्तेमाल करना चाहिए।' यही नहीं, उन्होंने कहा, 'कृषि में गाय के जरिए क्रांति आ सकती है और गौशाला से इसकी शुरुआत हो सकती है।' हालांकि इस बैठक को अनौपचारिक करार दिया गया है।
इसमें निर्णय किया गया कि आईआईटी उन्नत भारत ग्रुप में संघ परिवार से जुड़े हुए प्रोफेसरों को जोड़ा जाएगा। इनमें आरएसएस के वनवासी कल्याण आश्रम से जुड़े प्रो.पीएमवी सुब्बाराव, रामदेव की पतंजलि पीठ से जुड़े वीके विजय और गायत्री परिवार से जुड़े डॉ.विजय भटकर का नाम शामिल है। प्रो.शेवगांवकर से जुड़े सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि वे उन्नत भारत योजना की उस मीटिंग में खासे असहज थे और उन्होंने आयोजकों से कहा भी कि उनकी समझ में नहीं आ रहा कि आखिर उन्नत भारत है क्या? शुरुआती मीटिंग को अगर भविष्य की तस्वीर माना जाए तो उन्नत भारत में टेक्नोलॉजी की बजाय हिन्दूवादी संगठनों के हाथों में ग्रामीण अंचल सौंप दिए जाएंगे। (साभार एनडीटीवी)
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