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रमजान में इबादत का महत्व समझिए, गलतियों से तौबा कीजिएः मोहम्मद मुनीब अंसारी

मैरवा (सीवान, बिहार, भारत)। साल के बारह महीनों में रमजान का महीना मुसलमानों के लिए खास मायने रखता है। यह महीना संयम और समर्पण के साथ खुदा की इबादत का महीना माना जाता है, जिसमें हर आदमी अपनी रूह को पवित्र करने के साथ अपनी दुनियादारी की हर हरकत को पूरी तत्परता के साथ वश में रखते हुए केवल अल्लाह की इबादत में समर्पित हो जाता है। जिस खुदा ने आदमी को पैदा किया है उसके लिए सब प्रकार का त्याग मजबूरी नहीं फर्ज बन जाता है। इसीलिए तकवा लाने के लिए पूरे रमजान के महीने रोजे रखे जाते हैं। रमजान के बारे में गहराइयों से जानकारी देते हुए इलाके के संभ्रांत व शिक्षाविद् ग्राम इंग्लिश निवासी मोहम्मद मुनीब अंसारी का कहना है कि रमजान के महीने में की गई खुदा की इबादत बहुत असरदार होती है। इसमें खान-पान सहित अन्य दुनियादारी की आदतों पर संयम कर जिसे अरबी में "सोम" कहा जाता है आदमी अपने शरीर को वश में रखता है। साथ ही तराबी और नमाज पढ़ने से बार-बार अल्लाह का जिक्र होता रहता है जिससे इंसान की आत्मा (रूह) पाक-साफ होती है। उन्होंने कहा इंसान गलतियों का पुतला भी होता है। अतः अपनी गलतियों को सुधारने का मौका भी रमजान के रोजे में मिलता है। गलतियों के लिए तौबा करने एवं अच्छाइयों के बदले बरकत पाने के लिए भी इस महीने की इबादत का महत्व है। इसीलिए इन दिनों जकात देने का खासा महत्व है। जकात का मतलब है अपनी कमाई का ढाई प्रतिशत गरीबों में बाँटना। वस्तुतः जकात देने से आदमी के माल एवं कारोबार में खुदा बरकत करता है। उन्होंने कहा इस्लाम में रोजे, जकात और हज यह तीनों फर्ज हैं, मजबूरी नहीं। अतः 12 साल से ऊपर के बालिग रोजा रखना अपना फर्ज समझते हैं। ईद से पहले फितरा दिया जाता है जिसमें परिवार का प्रत्येक व्यक्ति ढाई किलो के हिसाब से गेहूँ या उसकी कीमत की रकम इकठ्ठा कर उसे जरूरतमंदों में बाँटता है। रमजान के बारे में मोहम्मद मुनीब अंसारी का कहना है कि रमजान का महीना एक गर्म पत्थर से मायने रखता है। उस जमाने में अरब में आज से भी भीषण गरमी होती थी। अतः गरमी से तपते पत्थर से नसीहत लेते हुए, जैसे सूरज की किरणों से तप रहा हो, वैसे ही तुम अल्लाह की इबादत में तप कर अपने तन-बदन एवं रूह को पाक-साफ बना लो। उन्होंने कहा कि सियासी चालबाजी और दुश्मन मुल्कों की हरकतों को समझते हुए भारत के लोगों को उन्नति के रास्ते पर चलना चाहिए। तभी हमारा देश दुनिया के सामने महाशक्ति बनकर खड़ा होगा। उन्होंने कौमी एकता पर बल देते हुए कहा कि हम सबको वहाँ की अमन शांति के लिए मिलकर दुआ माँगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि खुदा की इबादत तो हर वक्त लाजिमी है, किंतु मुस्लिम समाज में माहे रमजान में जुमे की नमाज का विशेष महत्व है। उन्होंने नमाजियों के ईमान को ताजा करते हुए रमजान की फजीलत बयां की। कहा कि रमजान तेजी से गुजर रहा है, इसमें गफलत न करें। रमजान का महीना इंसानियत दिखाने व रहम करने का महीना है। केवल रोजा रखने से अल्लाह की इबादत नहीं हो सकती। गरीबों पर दया व रहम करना भी जरूरी है। इंसान जो अपने लिए करता वह गरीबों के लिए भी करे। इस्लाम प्रेम, भाईचारा, शांति व सद्भाव का संदेश देता है।
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