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मोगा कांडः सुखबीर बादल ने अपनी ही बसों को हटाया

चंडीगढ़। पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने ऑर्बिट की बसों को सड़कों से हटाने का आदेश दिया है। बुधवार को मोगा में ऑर्बिट बस सेवा में ये कथित छेड़छाड़ की घटना हुई। ऑर्बिट बस सर्विस मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के परिवार की ही है। छेड़छाड़ की घटना के बाद बस से गिर कर एक नाबालिग लड़की की मौत हो गई। इस हादसे में बस से कूद कर घायल हुई उसकी मां की हालत गंभीर है। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के मीडिया सलाहकार हरचरण बैंस ने बताया कि सुखबीर सिंह बादल ने ऑर्बिट कंपनी की बसों को तत्काल प्रभाव से सड़कों से हटाने के आदेश दिए हैं। सुखबीर सिंह बादल ने कहा है कि ऑर्बिट बस सेवा के कर्मचारियों को पहले प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा होने तक बसें सड़कों पर नहीं चलेंगी। कथित छेड़छाड़ की घटना और फिर नाबालिग लड़की की मौत के बाद पूरे देश से इसके विरोध में आवाज़ें उठीं थीं। पंजाब सरकार ने पीड़िता के परिवार को 20 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की थी, लेकिन परिवार ने इस सहायता को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि 'उन्हें समझौता नहीं, इंसाफ़ चाहिए।' लड़की के परिवार ने बस सर्विस के मालिकों के साथ-साथ शामिल दोषियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। उधर, मोगा कस्बे में बस में एक लड़की और उसकी मां के साथ छेड़छाड़ का आरोप, उसे बस से फ़ेंका गया या उसने बस से छलांग लगाई इस पर दिन भर बहस होती रही। इस मुद्दे पर सियासत के 'बादल' छाने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगा। बस में क्या हुआ, कैसे हुआ, बस कंपनी बादल परिवार की है या नहीं और उस पर हुई सियासी बहसा-बहसी से परे, कुल जमा 'हासिल' ये रहा कि 14 साल की एक नाबालिग़ लड़की की मौत हो गई। 14 साल वह उम्र होती है जब बचपन धीरे-धीरे अपनी चादर उतार एक ऐसी उम्र की ओर दबे पाँव बढ़ रहा होता है जहां मन में हज़ारों तरंगे हिलोरें मार रही होती हैं. कई मीठे सपने उड़ान भरने से पहले ही उधेड़-बुन में होते हैं। लेकिन हम शायद ये कभी नहीं जान पाएंगे कि उसके सपने क्या थे, वह ज़िंदगी में क्या करना चाहती थी और उस मां का क्या जिसने आंखों के सामने अपनी बच्ची को खो दिया। उधर, इस मामले में मंत्री जोगिंदर पाल जैन ने कहा, यह मामला कोर्ट से बाहर निपट जाए तो अच्छा है। वहीं दूसरे मंत्री सुरजीत सिंह रखरा ने कहा, जो हुआ वह कुदरत की मर्ज़ी से हुआ। मंत्रियों के ऐसे बयान के बाद यह सवाल उठने लगा है कि राज्य सरकार इस मामले को लेकर कितनी गंभीर है। पीड़ित महिला के पति ने अपनी और अपने परिवार की जान को ख़तरा बताया है। पति ने मांग की है उन्हें, उनकी पत्नी और उनके बेटे को पुलिस सुरक्षा दी जाए। पूरा परिवार कल से ही मोगा के सिविल अस्पताल के बाहर धरने पर बैठा है। लड़की की रिश्तेदारों ने उसका अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया है और उसका शव शवगृह में रखा हुआ है। मृतक के पिता ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं न्याय चाहता हूं। मैं अपनी बेटी के लिए इंसाफ चाहता हूं। उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए जिसकी बस थी।’ यह पूछे जाने पर कि क्या वह सुखबीर बादल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराना चाहते हैं, उन्होंने कहा, ‘उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है, आखिरकार वह एक इंसान हैं।’ उन्होंने सवाल किया, ‘क्या दुनिया में कोई भी ऐसा नहीं है जो उनके (सुखबीर के) खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा सके। सरकार कहती है कि अपराध चाहे कोई भी करे, उसे सजा मिलनी चाहिए, चाहे वह राष्ट्रपति हो या कोई और।’ उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने 20 लाख रुपये मुआवजे और सरकारी नौकरी की पेशकश स्वीकार कर ली है। उस पर उन्होंने कहा, ‘न मैं धन चाहता हूं न सरकारी नौकरी। मैं केवल इंसाफ चाहता हूं।’  
बसों को दी जा रही है सुरक्षा
 बादल परिवार की बस को सुरक्षा दी जा रही है। इस बस के आगे-पीछे पुलिस की गाड़ी चल रही है ताकि कोई बच्ची और उसकी मां के साथ हुई घटना के गुस्से में उस पर हमला न कर दे। सरकारी खर्चे पर सीएम परिवार की कंपनी की बसों को खास सुरक्षा दी जा रही है। जब इस बारे में पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा से बात की गई तो उनका कहना था कि स्टेट ट्रांसपोर्ट की बसें दिनोंदिन कम हो रही हैं जबकि सीएम परिवार की बसें बढ़ रही हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आपकी नजर में अब आया पर यह नई बात नहीं है और यहां यह आम बात है | दरअसल इस बस को सरकारी खर्चे पर सुरक्षा दी जा रही है। वहीं
, पीड़ित के पिता ने यह भी कहा है कि क्या सुखबीर बादल कानून से ऊपर है? हम पैसा नहीं लेगें, सुखबीर बादल के खिलाफ FIR होनी चाहिए। ज्ञात हो कि पीड़ित महिला के मुताबिक, वह अपनी बेटी और बेटे के साथ गुरुद्वारे जाने के लिए बस में सफर कर रही थी, उसी दौरान बस में मौजूद 6-7 बदमाशों ने उनसे और बेटी के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी। जब उन्होंने इस छेड़छाड़ का विरोध किया तो बदमाशों ने इन्हें चलती बस से फेंक दिया। पीड़िता ने बताया, हमारे साथ छेड़खानी की। हम कुछ कह नहीं पाए। बस में भी किसी ने इनको नहीं रोका। इसके बाद हमको बस से धक्का दे दिया गया। धक्का देने वालों में कंडक्टर भी था। महिला ने बस के ड्राइवर से भी बस रोकने की गुहार लगाई, लेकिन वह बस को दौड़ाता रहा। दोनों को बस से फेंक देने के घंटेभर बाद मेडिकल हेल्प मिली, लेकिन बेटी सड़क पर ही दम तोड़ चुकी थी। (साभार- बीबीसी, एनडीटीवी)
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