मयंक शेखर (फ़िल्म समीक्षक)। ये एक भव्य सेट वाली, भारी भरकम बजट की फ़िल्म है जो सिर्फ़ सनी लियोनी पर आधारित है। सनी लियोनी पूरी फ़िल्म में पुरुष कलाकारों से घिरी हैं जो फ़िल्म में महज़ उनकी चमचागिरी करते नज़र आते हैं। फ़िल्म के सेट विशाल हैं। लाइटिंग कमाल की है। अंतरंग सीन हालांकि कम हैं और काफ़ी देर-देर बाद आते हैं लेकिन उन्हें बेहतरीन तरीक़े से फ़िल्माया गया है। बैकग्राउंड म्यूज़िक भी प्रभावशाली है। एक टिकट की क़ीमत में आपको इस फ़िल्म में दो सनी लियोनी मिलेंगी। लियोनी के फ़ैंस के लिए तो ये एक सौगात है। पहली सनी लियोनी लंदन से आती हैं जो 'कारती है, आच्चा होगा' जैसी हिंदी बोलती है. वो एक राजपूत राजकुमार से मोहब्बत करने लगती है। दूसरी लियोनी देहाती है. जो एक आम आदमी से प्यार करने लगती है। फ़िल्म की थीम प्यार और पुनर्जन्म पर आधारित है। फ़िल्म के मुख्य पात्र (मूलत: राजपूत किरदार) एक-दूसरे से बदला लेने के लिए अवतरित हुए हैं।
मैं तो रियल लाइफ़ की सनी लियोनी के पुनर्जन्म से आश्चर्यचकित हूं। पंजाबी मूल की इस पूर्व पोर्न स्टार ने बॉलीवुड कलाकार बनने तक का लंबा रास्ता तय किया है। लेकिन एक बॉलीवुड स्टार के रूप में उनकी प्रतिभा परखने के लिए क्या आपको इस तरह की किसी फ़िल्म को पूरा झेलने की ज़रूरत है। मेरे ख़्याल से कतई नहीं। (साभार बीबीसी)
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