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शिव के कंठ को ठंडक देता है जलाभिषेक: पं. संजीव शर्मा

मुजफ्फरनगर (विनय)। श्रवण मास भगवान शिव को अति प्रिय है। श्रावण मास में भगवान शिव का जलाभिषेक करने से जन्म जन्म के पातक नष्ट हो जाते है। भगवान शिव को जल ही प्रिय है और जल ही के द्वारा हम अपनी भावनाओं को भगवान तक पहुंचाते हैं। महामृत्युंजय मिशन संयोजक रसेश्वर पं.संजीव शर्मा ने बताया कि श्रावण के सोमवार महत्वपूर्ण है। अतः सोमवार को व्रत रखकर संघ्या काल में भगवान शिव का पूजन करना चाहिये। महामृत्यंजय उपासक पं.संजीव शर्मा के अनुसार श्रावण मास में समुन्द्र मथन के दौरान निकला काल कुट विष भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया था इसी के प्रभाव को कम करने के लिए शीतल जल चढाने की परम्परा है। विभिन्न विभन्न मनोकामनाओं के लिए भिन्न-भिन्न द्रव्यों से अभिषेक करना चाहिए। श्रावण मास में भोले बाबा की प्रसन्नता एवं सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए सोमवार व्रत ऊ नमः शिवाय का जप व रूद्राक्ष धारण करना चाहिए। मिशन संयोजक ने बताया कि ओम नमः शिवाय का जप सभी वर्ग एवं जाति के लोग कर सकते है क्योकि सभी मंत्रों में एक मात्र पंचाक्षर मंत्र ही है जो कीलित नही है बेल पत्र, धतुरा, भांग, कनैर, आखा आदि से पूजन व गन्ने के रस, फलों के रस सुगन्धित द्रव्यों व पंचामृत दूध, दही, शहद बूरा व घी से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। श्रावण मास में प्रतिदिन शिव मन्दिर जाना व ओम नमः शिवाय का अधिक से अधिक जप करना सर्वदा कल्याण कारक है। वर्षभर रखे जाने वाले सोमवार व प्रदोष व्रत का प्रारम्भ भी इसी माह से करना चाहिए।
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