लखनऊ। सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि लोकसभा चुनावों का अंतिम और छठा दौर 12 मई को समाप्त होगा। उत्तर प्रदेश में जिन 18 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है उनमें प्रमुख रूप से आजमगढ़ और वाराणसी प्रतिष्ठा के क्षेत्र हैं। इनमें लड़ाई भाजपा बनाम समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह बनाम मोदी की है। मतों के संप्रदायीकरण की मोदी राजनीति यहां सफल नहीं हो पा रही है। जनता का रूझान समाजवादी पार्टी और नेताजी की धर्मनिरपेक्षता को बल प्रदान करने का है। सच तो यह है कि आजमगढ़ से लेकर वाराणसी तक पूर्वांचल में भाजपा की साम्प्रदायिकता के विरूद्ध भारी जनाक्रोश है और वहां के लोग अपनी पसंद का इजहार साइकिल वाला बटन दबाकर करेगें।
यूपी में गुजराती मोदी-शाह की जोड़ी ने सांप्रदायिकता को फैलाने की हर चन्द कोशिश की है। पूरे प्रदेश में और आजमगढ़ में खासकर समाज का हर वर्ग मुलायम सिंह यादव के प्रति लगाव महसूस करता है ओर उसे विश्वास है कि वे जो वायदे कर रहे हैं, उन्हें अवश्य पूरा करेगें। समाज के गरीबों, पिछड़ों, अल्ल्संख्यकों और किसानों के मान सम्मान की रक्षा समाजवादी पार्टी के शासनकाल में ही होती है। अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्वकाल में पांच वर्ष के लिए किए गए अधिकांश वायदे दो साल के अन्दर ही पूरे कर दिए गए। उत्तर प्रदेश की तमाम योजनाएं दूसरे सूबों के लिए का मिसाल बन गई है।
गुजरात में मोदी राज में विकास की झूठी कहानी सुनाई जा रही है। वहां महिलाओं और बच्चो में कुपोषण है, बिजली के लट्टू कुछ इलाकों में ही चमकते हैं, तमाम जगहों पर सिर्फ खम्भे गड़े हैं, तार गायब हैं। गुजरात में टोरंट पावर के उपभोक्ताओं की दरें लगभग 44 पैसे प्रति यूनिट बढ़ाई गई है। गुजरात के उद्यमशील लोगों के कौशल को अपना चमत्कार बताकर जनता को भरमाने में मोदी ने झूठों के बादशाह हिटलर के प्रचार मंत्री गोएबल्स को भी पीछे छोड़ दिया है। गुजरात की बेहद गरीबी, बेकारी से जूझते नौजवानों और किसानों की दुर्दशा को दूर न कर सकनेवाले देश को क्या दे सकेगें?
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