नई दिल्ली (दीपांजन रॉय चौधरी)। नरेंद्र मोदी के 26 मई को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में शरीक होने का न्योता मिलने के बाद पाकिस्तान के प्राइम मिनिस्टर अभी तक इस पर अपना फैसला नहीं कर पाए हैं। हालांकि, श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे, अफगानिस्तान के आउटगोइंग प्रेजिडेंट हामिद करजई, भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोब्गे, नेपाल के प्राइम मिनिस्टर सुशील कोइराला और मालदीव के प्रेजिडेंट अब्दुल्ला यामीन अब्दुल गयूम के इस आयोजन में शामिल होने की उम्मीद है। लेकिन, पूरा फोकस शरीफ के आने या न आने पर होगा। पाकिस्तानी सरकार में मौजूद सूत्रों ने हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि शरीफ के आने के बारे में अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। शरीफ ने 16 मई को मोदी को फोन किया था और उन्हें इस्लामाबाद आमंत्रित किया था। पाकिस्तान के साथ संबंध मैनेज करना एक मोदी के लिए एक मुश्किल काम होगा क्योंकि वह साफतौर पर कह चुके हैं कि बातचीत और आतंकवाद दोनों साथ-साथ नहीं चल सकते हैं। सितंबर 2012 के बाद से दोनों देशों के बीच कोई भी व्यापक वार्ता नहीं हुई है, उस वक्त तब के फॉरेन मिनिस्टर एस एम कृष्णा ने पाकिस्तान की यात्रा की थी।
बांग्लादेश की प्राइम मिनिस्टर शेख हसीना राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में होने वाले इस समारोह में अपना रेप्रिजेंटेटिव भेज सकती हैं। मोदी के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में 3,000 से ज्यादा लोग शरीक होंगे। मंगलवार को प्रेजिडेंट प्रणव मुखर्जी के साथ मुलाकात में मोदी ने शपथ ग्रहण कार्यक्रम में SAARC के नेताओं को बुलाने की अपनी इच्छा जाहिर की थी। बतौर प्रेजिडेंट करजई की यह आखिरी भारत यात्रा हो सकती है, क्योंकि काबुल में नए प्रेजिडेंट जल्द ही गद्दी संभालने वाले हैं। करजई के भारत के साथ मजबूत रिश्ते रहे हैं।
मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, 'फॉरेन सेक्रेटरी सुजाता सिंह ने सार्क देशों के अपने समकक्षों को पत्र भेजकर उनके नेताओं को 26 मई को होने वाले शपथ ग्रहण कार्यक्रम में आमंत्रित किया है।' 1952 के बाद यह पहला मौका है जबकि ये फॉरेन लीडर्स प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में आमंत्रित किए गए हैं। शेख हसीना इस दौरान जापान की ट्रिप पर होंगी, ऐसे में वह सेरिमनी अटेंड नहीं कर पाएंगी, लेकिन उन्होंने मोदी को जल्द से जल्द ढाका आने का आमंत्रण दिया है। 16 मई को इलेक्शन के रिजल्ट आने के चंद घंटों के भीतर ही मोदी को बधाई देने और उन्हें संदेश देने वाली वह पहली फॉरेन लीडर थीं। यामीन और कोइराला की ओर से उनके समारोह में आने के बारे में अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। यामीन ने इस साल की शुरुआत में ही दिल्ली की विजिट की थी। (साभार एनबीटी)
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