गांधीनगर। गुजरात विधानसभा के विशेष सत्र में मनोनीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विदाई दी गई। इस समारोह में विधान सभा में विपक्ष के नेता शंकर सिंह वाघेला के भाषण के बाद मीडिया में यह क़यास लगाया जाने लगा है कि उन्होंने मोदी की तारीफ़ की है या उन पर तंज़ कसा है। विधान सभा में वाघेला ने कहा, "अब आपके पास बहुमत है। जाइए और राम मंदिर बनाइए... कश्मीरी पंडितों को वापस बसाइए... दाऊद को वापस लाइए।" वाघेला के संबोधन के बाद मीडिया में ख़बरें आईं कि उन्होंने मोदी की तारीफ़ की है। लेकिन बीबीसी से बातचीत में वाघेला ने कहा, "मोदी की तारीफ़ का सवाल ही नहीं है। मैंने ताना मारा था।" जब उनसे यह पूछा गया कि उन्होंने मोदी से मंदिर बनाने जैसी बात क्यों कही?
इस पर वाघेला ने कहा, "हमने उनका घोषणा पत्र याद दिलाया। हमने कहा कि आपने अपने घोषणा पत्र में राम मंदिर, अनुच्छेद 370 हटाने, कॉमन सिविल कोड और कश्मीरी पंडितों को वापस भेजने की बात की है तो अब आप इन्हें लागू करके दिखाइए।" वाघेला ने कहा कि अब भाजपा को पूर्ण बहुमत प्राप्त है इसलिए उसे ये दावे पूरे करने चाहिए। वाघेला ने विधानसभा में कहा कि भाजपा को 1984 में केवल दो संसदीय सीटें मिली थीं लेकिन मोदी के नेतृत्व में उसे 282 सीटें मिली हैं। जब उनसे बीबीसी ने पूछा कि क्या यह तारीफ़ नहीं है, तो वाघेला बोले, "हमने यह नहीं कहा, हमने तो यह कहा कि मोदी पार्टी से बड़े हो गए हैं। जबकि आप तो संगठन के आदमी थे, यह भी ताना ही था।" जब वाघेला से पूछा कि क्या उन्होंने मोदी को गुजरात दंगों के मामले में क्लीन चिट दी है? वाघेला का जवाब था, "मैं तो यह कहना चाहता था कि अगर उन्होंने गोधरा न कराया होता तो वह आज प्रधानमंत्री न होते।" वाघेला ने भाजपा में वापस आने की किसी भी संभावना से भी इनकार कर दिया। हालांकि उन्होंने बीबीसी को बताया कि वह और मोदी 1972 से ही एक दूसरे के परिचित रहे हैं और उनका आपसी रिश्ता सौहार्दपूर्ण रहा है। आज वाघेला और मोदी भले ही विरोधी खेमों में हों लेकिन 1980 के दशक में दोनों ने वाघेला की मोटरसाइकिल पर सवार होकर गुजरात का भ्रमण किया था। (साभार बीबीसी)
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