नई दिल्ली/पटना। लोकसभा चुनावों में मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की प्रचंड जीत ने बिहार की राजनीतिक हवा बदल दी है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अप्रत्याशित इस्तीफे के बाद अब बिहार में नए सियासी समीकरण की चर्चाएं तेज हैं। चर्चा है कि बिहार में धुर विरोधी जेडीयू और आरजेडी मिलकर सरकार बना सकते हैं। न्यूज चैनल टाइम्स नाउ के सूत्रों के मुताबिक रविवार को सुबह नीतीश ने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से बात भी की है।
वहीं, जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव ने शनिवार को लालू से हाथ मिलाने के साफ संकेत दिए थे। लालू ने भी संभावना के दरवाजे खुले छोड़ते हुए कहा कि वह हालात पर नजर रखे हुए हैं। बिहार के राजनीतिक हलकों में चर्चाएं हैं कि नई सरकार में लोकसभा चुनाव हार चुकीं लालू की बेटी मीसा भारती को भी मंत्री बनाया जा सकता है।
दरअसल, नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के साथ विधानसभा को भंग न कर गहरी चाल चली है। उन्होंने नई सरकार गठन के लिए रास्ता खुला छोड़ा। इसके बाद पार्टी की तरफ से लालू की तरफ हाथ बढ़ाने के संकेत दिए गए। इसके साथ ही शनिवार को आरजेडी से अलग होकर नया गुट बनाने वाले 12 विधायकों को फिर से पार्टी के विधायक दल का अंग मान लिया गया। बिहार विधानसभा सचिवालय ने शनिवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी। बिहार विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी के इस फैसले को जेडीयू और आरजेडी के बीच संभावित तालमेल के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। बिहार के राजनीतिक गलियारे से खबर आ रही है कि एक-दो दिन के भीतर नए सीएम के नेतृत्व में फिर से सरकार बनाई जाएगी। इस बार डेप्युटी सीएम का पद भी रखा जाएगा। यह पद अब्दुल बारी सिद्धीकी या फिर किसी दूसरे अल्पसंख्यक नेता को सौंपा जा सकता है। नई सरकार में आरजेडी के शामिल होने और लालू की बेटी मीसा को मंत्री बनाए जाने की भी संभावना है। माना जा रहा है कि मीसा भारती को विधान परिषद की खाली सीट पर चुनकर सदन में शामिल किया जाएगा।
अगर आरजेडी और जेडीयू के बीच गठबंधन हो गया, तो यह बिहार की राजनीति की एक नई तस्वीर पेश करेगा। लालू, नीतीश और शरद तीनों ही जयप्रकाश नारायण और लोहिया से राजनीति की दीक्षा ले चुके हैं। यह तीनों एक साथ काम भी कर चुके हैं। 1994 में इनके बीच पहला अलगाव देखने को मिला जब नीतीश ने लालू से अलग होकर समता पार्टी का गठन किया। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि बीजेपी बिहार में जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव चाहती है। बीजेपी को उम्मीद है कि मोदी लहर का फायदा उसे बिहार विधासभा चुनाव में भी मिल सकता है। बीजेपी के पास दूसरा विकल्प यह है कि वह बिहार में सरकार बनाने का दावा पेश करे। इसके लिए उसे जेडीयू के दो तिहाई से अधिक विधायकों को तोड़ना होगा, जो कि फिलहाल संभव नहीं दिख रहा है।
बिहार विधानसभा में कुल 243 सदस्य हैं। ऐसे में बहुमत के लिए 122 विधायकों का समर्थन जरूरी है। जेडीयू के विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी समेत 116 विधायक, आरजेडी के पास 24 विधायक, कांग्रेस के 4, बीजेपी के 90, सीपीआई का एक और 6 निर्दलीय विधायक हैं। मोहनिया विधानसभा क्षेत्र से जेडीयू विधायक छेदी पासवान के इस्तीफे के कारण एक सीट खाली है। हालांकि इस सीट पर उपचुनाव की अधिसूचना जारी नहीं की गई है। (साभार)
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