पूनम पाण्डे, मनाली। हिमाचल प्रदेश के मनाली से 3 किलोमीटर दूर बसे प्रीणी गांव में लोग इस चुनाव में बीजेपी को वोट देने की बात तो कर रहे हैं, लेकिन यहां मोदी लहर नहीं है। गांव के लोगों का कहना है कि बीजेपी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी हमारे गांव वाले हैं और उनसे हमारी प्रीत है, लिहाजा बीजेपी को ना नहीं कह सकते। इस गांव को वाजपेयी के गांव के नाम से जाना जाता है। वाजपेयी 2007 तक लगातार हर गर्मियों में यहां आते रहे और यहां उन्होंने घर भी खरीदा है। वाजपेयी खुद मनाली को अपना दूसरा घर कहते रहे हैं। यह गांव लोकसभा सीट मंडी में पड़ता है।
नौजवान पीढ़ी भले ही वाजपेयी से रू-ब-रू नहीं है, लेकिन बुजुर्गों से उनकी बातें सुनती रही हैं। कहते हैं कि परिवार और गांव वालों की बातें सुनकर लगता है कि वाजपेयी जी हमारे ही गांव के हैं और उन्होंने गांव के लिए काफी कुछ किया। गांव के बुजुर्ग कहते हैं कि इस गांव को पहले कौन जानता था? वाजपेयी की वजह से हमारे गांव को पूरे देश में पहचान मिली। क्या अब नरेंद्र मोदी बीजेपी में अटल के उत्तराधिकारी हैं? इससे लोग नाराज हो जाते हैं। उनका कहना है कि वाजपेयी और मोदी की तुलना की ही नहीं। हम जितना प्यार वाजपेयी से करते हैं, उतना मोदी से नहीं कर सकते। मोदी कभी भी वाजपेयी की बराबरी नहीं कर पाएंगे। पार्टी में अटल के साथी रहे लालकृष्ण आडवाणी को दरकिनार करने पर भी कुछ बुजुर्ग नाराजगी जाहिर करते हैं।
जहां गांव के बुजुर्ग वाजपेयी से अपना प्रेम जताने के लिए उनकी पार्टी के किसी भी आदमी को सपॉर्ट करने की बात कर रहे हैं, वहीं नई पीढ़ी की सोच अलग है। कहते हैं कि वाजपेयी तो सुलझे हुए इंसान थे और सब धर्मवालों को जोड़ते थे, लेकिन मोदी वैसे नहीं हैं। तो हम किसी के नाम पर किसी का साथ नहीं दे सकते। यूथ में आम आदमी पार्टी की भी चर्चा है। वह कहते हैं कि ये पार्टी भले जीते नहीं, लेकिन इन्होंने बीजेपी-कांग्रेस के लिए स्टैंडर्ड सेट कर दिए हैं। हालांकि बुजुर्गों को आप के काम करने का तरीका पसंद नहीं। कहते हैं कि जब घर का मुखिया ही बात-बात पर हड़ताल करने लगे तो परिवार कैसे चलेगा? (साभार एनबीटी)े
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