सीवान (प्रमोद रंजन)। दुनिया भर में चर्चित रहे सीवान के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को लंबित 37 मुकदमों में से 36 में जमानत मिल चुकी है। केवल एक मुकदमा सत्र वाद संख्या 158/10 में जमानत मिलना बाकी है। इसका आवेदन सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। अब कोर्ट पर निर्भर है कि वह उन्हें कब तक इस मामले में जमानत देता है, वैसे उनके समर्थकों में इस बात का जोश और उत्साह है कि शायद उन्हें शीघ्र रिहाई मिल जाए। उधर, मोहम्मद शहाबुद्दीन के मामले में पिछले 9 वर्ष में बिहार सरकार का करीब 1 करोड़ से ज्यादा रूपया खर्च हो चुका है, लेकिन परिणाम कुछ खास नहीं निकला है।
राजद के पूर्व बाहुबली सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को सजा दिलाने के लिए बिहार सरकार 9 वर्षों के अंतराल में एक करोड़ से ज्यादा रुपया खर्च कर चुकी है, लेकिन 48 मुकदमों में सिर्फ 11 मुकदमों का ही फैसला हो सका है। आज भी मंडल कारा सीवान में गठित विशेष अदालत में 37 मुकदमों पर फैसला होना बाकी है। सरकार व जिला प्रशासन की पहल पर पीड़ित परिवारों को शीघ्र न्याय दिलवाने के लिए 24 जनवरी, 2005 को मोहम्मद शहाबुद्दीन को मुख्य न्यायिक दण्दाधिकारी के कोर्ट में रिमांड कर जेल भेज दिया गया था। बिहार सरकार के आग्रह पर मंडल कारा सीवान में 10 मई, 2006 को विशेष अदालत का गठन किया गया। बिहार सरकार ने अपना पक्ष रखने के लिए पटना से विशेष लोक अभियोजक राम विलास महतो को नियुक्त किया। हाई कोर्ट पटना से श्री महतो को सीवान कोर्ट करने के लिेए विशेष वाहन द्वारा खास सुरक्षा में लाया जाता था। उन्हें स्थानीय परिसदन में विशेष सुरक्षा के बीच रखा जाता था। उनके साथ एक सहयोगी अधिवक्ता भी आते थे। साथ ही सीवान के स्थानीय लोक अभियोजक नरेन्द्र सिंह भी विशेष लोक अभियोजक का सहयोग करते थे। इनका सारा खर्च बिहार सरकार वहन करती थी। यूं कहें कि अब तक कुल खर्च करीब एक करोड़ से ज्यादा हो चुका है।
अभी विशेष लोक अभियोजक के रूप में सोमेश्वर दयाल तथा सीवान व्यवहार कोर्ट के अधिवक्ता रघुवर सिंह अभियोजन पक्ष का सहयोग कर रहे हैं। इधर, सोमेश्वर दयाल ने विशेष कोर्ट में काम करने से मना कर दिया है। करीब पांच माह पहले मंडल कारा में बंद मोहम्मद शहाबुद्दीन ने निचली अदालत के समक्ष अपनी वित्तीय स्थिति ठीक न रहने का आवेदन किया कि उन्हें सरकारी खर्च पर वकील मुहैया कराई जाए। विशेष सत्र न्यायाधीश एनके पाण्डेय ने अभय कुमार राजन को वकील नियुक्त किया। प्रथम श्रेणी न्यायिक दण्डाधिकारी संदीप अग्निहोत्री ने मनोज सिंह को अधिवक्ता नियुक्त किया। निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अभियोजन पक्ष ने हाईकोर्ट पटना में रिवीजन दाखिल कर दिया। इस पर सुनवाई चल रही है। इसी बीच हाई कोर्ट द्वारा निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगा दी गई। फलस्वरूप किसी मुकदमे की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ रही है। पीड़ित पक्षों को न्याय मिलने में भी विलंब हो रहा है। उधर, जेल में बंद मोहम्मद शहाबुद्दीन 36 मुकदमों में जमानत पर हैं। केवल एक मुकदमा सत्र वाद संख्या 158/10 में जमानत मिलना बाकी है। इसका आवेदन सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
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