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नई औद्योगिक नीति से चौपट होंगे पंजाब के उद्योग-धंधेः बाजवा

मंदी बिजली की सप्लाई व बदहाल कानून-व्यवस्था से बिगड़ा राज्य में निवेश का माहौल, सरकार की औद्योगिक नीति को कांग्रेस ने किया खारिज
चंडीगढ़। पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान प्रताप सिंह बाजवा ने उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल द्वारा जारी की गई पंजाब की नई औद्योगिका नीति को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार की इस नीति से प्रदेश में उद्योग-धंधों का भला होने वाला नहीं है। यह नीति सिर्फ पंजाब की इंडस्ट्री के लिए तबाही लेकर आई है। यहां जारी बयान में बाजवा ने कहा कि आकाली-भाजपा सरकार ने औद्योगिक नीति को लेकर बहुत दावे किए थे, जिसे तैयार करने में इन्होंने छह साल का वक्त लगा दिया। फिर भी यह नीति यहां के उद्योग-धंधों के अनुकूल नहीं बन सकी है। उन्होंने कहा कि इस औद्योगिक नीति में राज्य की इंडस्ट्री के लिए कुछ नहीं है, बल्कि उल्टा टैक्सों का भारी बोझ डाला गया है। जो इंडस्ट्री पहले से कच्चे माल पर लगे टैक्सों के चलते समस्याएं झेल रही हैं, उनके लिए और कठिन समय आने वाला है। इस सरकार ने सबको तबाह कर दिया है। औद्योगिक नीति में स्माल स्केल इंडस्ट्री को पूरी तरह से अनदेखा कर दिया गया है। आशा थी कि स्माल स्केल इंडस्ट्री को विकास के लिए कुछ राहत दी जाएगी, लेकिन इस सरकार ने सब बेकार कर दिया है। पंजाब में स्माल स्केल इंडस्ट्री के विकास के बहुत अवसर हैं, जिससे जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था बेहतर होगी और माहिर युवाओं को रोजगार मिलेगा, लेकिन सरकार ने सब कुछ उल्टा कर दिया है। उन्होंने कहा कि अकाली-भाजपा सरकार द्वारा घोषित किए गए लाभ राज्य में निवेश के लिए वातावरण न होने के चलते नाकामयाब साबित होंगे। पंजाब सरकार मध्यवर्गीय उद्योगों को वादे के मुताबिक रियायतें देने में असफल रही है और कई यूनिटों को बंद होने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नई औद्योगिक नीति लघु औद्योगिक क्षेत्र का हत्यारा साबित होगी। जो राज्य सरकार से मदद न मिलने के कारण पहले से ही बंदी के कगार पर हैं। लुधियाना के सैकड़ों हौजरी यूनिट, अमृतसर व बटाला की हैंड टूल इंडस्ट्री, जालंधर की स्पोर्टस इंडस्ट्री व मंडी गोविंदगढ़ का लोहा उद्योग ऐसी नीति में नहीं उभर सकेगा। नई नीति पंजाब में बचे उद्योगों को भी गुजरात भेज देगी। प्रदेश कांग्रेस प्रधान ने कहा कि सरकार निवेशकों में विश्वास कायम करने में नाकाम रही है। टाटा ग्रुप यहां अपना उत्पादन कारखाना लगाने के लिए सरकार से मिला था, मगर बढिय़ा रिस्पांस न मिलने से वह गुजरात चला गया। बाजवा ने कहा कि सुखबीर सपनों को तोडऩे वाले हैं और लोगों की भावनाओं से खेलते हैं। वह अपने वादे पूरे करने में नाकाम रहे हैं। सुखबीर को उन घरानों का नाम बताना चाहिए, जो निवेश के लिए उनसे संपर्क कर चुके हैं, जिसका उन्होंने मीडिया के सामने दावा किया है। सुखबीर को बताना चाहिए कि सरकार ने इंडस्ट्रीज के लिए क्या किया है और पिछले छह सालों के दौरान औद्योगिक क्षेत्र में क्या निवेश हुआ है। बाजवा ने कहा कि सुखबीर ने औद्योगिक नीति को पेश करने के लिए उद्योग मंत्री अनिल जोशी का अधिकार भी छीन लिया। असल में सुखबीर ने कैबिनेट मंत्रियों की सभी ताकतों को अपनी मुट्ठी में कर लिया है, जो पंजाब के लिए खतरनाक है। इससे पहले वह विधानसभा में बजट पेश करने के बाद हुई वित मंत्री परमिंदर सिंह ढींढसा की प्रेस कांफ्रैंस में पहुंच गए थे और ढींढसा का सारा क्रेडिट खुद ले लिया था।
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