मुरादाबाद। उत्तराखंड में कई दिन के बाद हालात थोड़े बेहतर हुए हैं। हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया है और जो मौत के मुंह में समा गए हैं उनका अंतिम संस्कार वहीं पर किया जा रहा है। ऐसे में हमारे समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपनी रोटियां सेंकने से बाज नहीं आ रहे हैं। चाहे वो साधुओं के वेश में लुटेरे हों या लाशों पर राजनीति करते नेता लेकिन हैरत की बात है कि मुरादाबाद का एक पत्रकार, जो अमर उजाला जैसे प्रतिष्ठित अखबार से जुडा है, ऐसी फर्जी खबरे छाप कर सनसनी फैलाने से बाज नहीं आ रहा और उत्तराखंड के पीडितों के जख्मों पर नमक छिड़क रहा है।
मुरादाबाद में 25 जून के अंक में पेज नम्बर 4 पर ‘पिता को बचाने में बह गए तीन बहन भाई’ शीर्षक से एक खबर प्रकाशित की गई है, जिसमें मुरादाबाद पालिटेक्निक में लगे राहत शिविर में पहुंचे परितोष पाण्डेय का जिक्र करते हुए अमर उजाला के रिपोर्टर ने लिखा है कि ये हादसा गौरीकुंड और केदारनाथ के बीच हुआ है। परितोष के साथ एक परिवार वहां मौजूद था, जिनमें एक पिता, दो बेटियां और एक बेटा अचानक आई बाढ़ में देखते ही देखते बह गए। रिपोर्टर ने वीडियो देखा और बिना जांच पड़ताल किये अखबार में फोटो छापकर पूरे शहर में सनसनी फैला दी। रिपोर्टर ने खबर में 4 लोगों को पानी की धार में बहने का जिक्र किया है, जबकि यह प्रतीत नहीं हो रहा है। इतना ही नहीं हमने पालिटेक्निक में लगे कैम्प में भी जाकर तस्दीक की तो पता चला कि वहां परितोष नाम का कोई शख्स नहीं आया।
मुरादाबाद अमर उजाला का ये रिपोर्टर वाकई में अपना 100 प्रतिशत अखबार के लिए दे रहा है। मगर क्या पीडितों को इस तरह से राहत दी जाती है। मुरादाबाद के भी दर्जनों लोग इस भीषण त्रासदी के बाद से लापता हैं, जिनका दर्द सुनने वाला कोई नहीं है। ऐसे में इस तरह की फर्जी खबरें उनके मन को कितनी ठेस पंहुचा रही होंगी, इसका अंदाजा हम भी नहीं लगा सकते। एक्सक्लूसिव खबर के लिए इस रिपोर्टर को अमर उजाला क्या इनाम देता है। (साभार भड़ास, shahnawaz)
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