छपरा। बिहार के विषय वस्तु विशेषज्ञों का गुस्सा आजकल शबाब पर है। हो भी क्यों ना? राज्य सरकार ने जो इनके ‘धोखधड़ी’ की है। अपनी नौकरी के खतरे में पड़ने से खफा हुए ये विषय वस्तु विशेषज्ञ (एसएमएस) कहते हैं कि वे अपनी इस लड़ाई को जारी रखेंगे और नौकरी लेकर रहेंगे। इसी क्रम में आंदोलनात्मक रणनीति अख्तियार करने के सिलसिले में रविवार यानी 19 मई को सारण प्रमंडल के तीनों जिलों सीवान, छपरा गोपालगंज के विषय वस्तु विशेषज्ञ संघ की एक जरूरी बैठक छपरा स्थित गोवर्धन के प्रांगण में हुई। इस दौरान मीटिंग के आरंभिक दौर में तेजतर्रार माने जाने वाले एसएमएस नित्यानंद तिवारी को प्रमंडलीय प्रवक्ता नियुक्त कर दिया गया। अब नित्यानंद तिवारी के कंधे पर इस प्रमंडल में संघ से संबंधित सधे अंदाज में फलदायी बयान जारी करने व जरूरी फैसले लेने की जिम्मेदारी है।
प्रमंडलीय प्रवक्ता नियुक्त होने के बाद जारी अपने पहले बयान में नित्यानंद तिवारी ने फिलहाल तीन मुद्दों पर फोकस किया। पहला, सरकार यह बताए कि डेढ़ वर्ष पुराने न्यायालय के फैसले का हवाला देकर एसएमएस को अब क्यों हटाया जा रहा है? करीब डेढ़ वर्षों तक एसएमएस से सरकारी काम कराने के बाद अचानक सरकार को यह याद कैसे आ गई कि कोर्ट के आदेश के आधार पर अब इन्हें हटा दिया जाए। दूसरा, यदि उपरोक्त सवालों का जवाब दिए बगैर किसी भी एसएमएस को हटाया जाता है तो ये आंदोलनकारी चुप नहीं बैठेंगे। इसके लिए चाहे जो करना पड़े वे करेंगे लेकिन अपनी नौकरी कायम करके छोड़ेंगे। तीसरा, सांगठनिक सुदृढ़ता के लिए सभी विषय वस्तु विशेषज्ञों का आह्वान किया कि वे पूरे जोश और जज्बे के साथ इस लड़ाई को मुकाम तक पहुंचाएं। सफलता अवश्य मिलेगी।
उन्होंने कहा कि विषय वस्तु विशेषज्ञों के खिलाफ हुए सरकारी फैसले हर ओर गुस्सा कायम है। किसान भी नाराज हैं। कई ब्लाकों में तो किसानों ने श्रीविधि योजना का ही बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। बकौल नित्यानंद तिवारी, यदि सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं करती है तो उसे और बहुत कुछ झेलना पड़ सकता है, जिसकी उसे उम्मीद नहीं होगी। फिलहाल इस मामले को कोर्ट में ले जाने की तैयारी है। उसके बाद अगली रणनीति बनेगी।
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