नई दिल्ली। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली के पार्टी नेताओं की क्लास ली। करीब पांच घंटे चली राजनीति की पाठशाला में राहुल ने साफ शब्दों में कहा कि मैं कांग्रेस अध्यक्ष (सोनिया गांधी) जैसा नरम नहीं हूं। मैं दूसरे नंबर पर लगी फोटो (इंदिरा गांधी) जैसा सख्त हूं। अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं करूंगा। मैं तुरंत एक्शन लेता हूं। इंदिरा जी ही मेरी रोल मॉडल हैं। सूत्रों के मुताबिक दिनभर नेताओं की शिकायतें सुनने के बाद अंतिम बैठक में दो उन्होंने टूक कहा कि शिकायतें दूर करके संगठन में मिलजुल कर काम करें। बुराई करना छोड़ दें। संगठन के पदाधिकारी को सम्मान दें। अगर ब्लॉक स्तर की बैठक है तो सभी कार्यकर्ता उसमें शामिल हों। लगातार तीन बार नहीं पहुंचने पर अनुशासनहीनता मानी जाएगी। पार्टी के खिलाफ जो काम करेगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। सफेद कुर्ता और जींस में आए राहुल ने नौ बैठकें लीं। प्रदेश कार्यालय के हॉल को पर्दा लगाकर दो हिस्सों में बांटा गया था। जब तक एक क्लास में मास्टर जी (राहुल) नेताओं की बात सुन रहे थे तब तक दूसरी क्लास में विद्यार्थी (नेता) आकर बैठ रहे थे। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और प्रदेश अध्यक्ष जेपी अग्रवाल के साथ प्रदेश कांग्रेस के सभी प्रतिनिधियों के समक्ष राहुल ने यह भी साफ किया कि टिकट या मंत्रालय अनुभव को देखकर दिया जाना चाहिए। किसी सांसद या विधायक के आदमी को नहीं, बल्कि कांग्रेस के व्यक्ति को टिकट मिलनी चाहिए। अगर अनुभव और पार्टी में लगातार काम करने वालों पर ध्यान नहीं दिया तो पार्टी की हालत बिहार जैसी होगी। दिल्ली में सत्ता और संगठन के बीच चल रहे खिंचाव पर सांकेतिक भाषा में राहुल ने कहा कि दूरियां खत्म करें। दिल्ली सरकार ने जो काम किया है, वह दिखता है। संगठन भी काम कर रहा है। मैं कहूंगा कि लड़ने से कुछ नहीं मिलेगा। इस बीच शीला दीक्षित ने कहा, ‘शिकायतें स्वीकार करती हूं, लेकिन मैं कहूंगी कि दिल्ली सरकार ने अनधिकृत कॉलोनी, पुनर्वास कॉलोनी मालिकाना हक समेत बाकी जितने काम किए हैं, उन्हें जनता तक पहुंचाएं।’ (साभार)
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